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महिला संवाद की 36वीं कड़ी में जागरूकता और आकांक्षाओं की गूंज।

सारस न्यूज, अररिया।

महिला संवाद के 36वें दिन भी अररिया जिले में 36 स्थानों पर महिला संवाद कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसमें महिलाओं ने काफी उत्साह के साथ हिस्सा लिया। कार्यक्रम में पहुंची महिलाओं ने दहेज प्रथा और नशा का विरोध करते हुए शपथ भी ली। महिलाओं ने इन कुरीतियों का कभी समर्थन न करने की बात कही।

महिला संवाद कार्यक्रम का कारवां दिनों-दिन आगे बढ़ रहा है। इससे जुड़ने वाली महिलाओं की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इसका बड़ा प्रभाव भी देखने को मिल रहा है। कार्यक्रम में शिरकत करने वाली महिलाओं को सरकार की ओर से चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी मिल रही है, जिसका लाभ वे उठा रही हैं। इसके अलावा उन्हें अपनी आकांक्षाएं व्यक्त करने का मौका भी दिया जा रहा है, जिसमें वे अपनी व्यक्तिगत और सामाजिक समस्याएं बता रही हैं। इन समस्याओं को व्यवस्थित ढंग से अंकित किया जा रहा है तथा उनकी प्रविष्टि मोबाइल एप में भी की जा रही है।

इन प्रविष्टियों को देखने के बाद सक्षम पदाधिकारी उनके निराकरण की कोशिश कर रहे हैं। लोगों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है, जिससे लोग काफी खुश हैं। महिलाओं को यह समझ आने लगा है कि महिला संवाद में कही गई हमारी बातों को सरकार सुन रही है और उनका समाधान भी कर रही है। इससे उनका विश्वास बढ़ रहा है और उनमें जागरूकता भी आ रही है।

महिला संवाद कार्यक्रम के दौरान एलईडी वैन के माध्यम से तीन लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। इनमें सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से महिला सशक्तिकरण पर, ग्रामीण विकास विभाग की ओर से जीविका की सफलता की कहानियों पर, और तीसरी वीडियो माननीय मुख्यमंत्री महोदय के नेतृत्व में बिहार की विकास यात्रा से संबंधित रही। इसके अलावा वहां सरकारी योजनाओं की जानकारी से युक्त लीफलेट भी बांटे गए। ये सारी गतिविधियां काफी प्रभावी साबित हो रही हैं।

महिलाएं अपनी आकांक्षाएं व्यक्त करती हैं, जिसमें कई प्रकार की बातें सामने आ रही हैं। कुछ महिलाओं ने बाढ़ की विभीषिका को बड़ा मुद्दा बताया। उनका कहना है कि बाढ़ की समस्या से निजात दिलाने के लिए सरकारी स्तर पर व्यापक इंतजाम करने की जरूरत है। बाढ़ के पानी की निकासी का उचित प्रबंध नहीं होने के कारण पानी घरों में घुस जाता है, जिससे सारा सामान बह जाता है और मवेशियों को संभालना मुश्किल हो जाता है। बाढ़ आश्रय स्थल की उचित व्यवस्था नहीं होने से लोगों को भी बहुत परेशानी उठानी पड़ती है। इसलिए सरकार को इसका इंतजाम करना चाहिए।

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