प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका, परम आदरणीय दादी रतन मोहिनी जी का 101 वर्ष की आयु में ब्रह्माकुमारीज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू, राजस्थान में शांतिपूर्वक ब्रह्मालीन होना समस्त आध्यात्मिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। आज उन्हें सैकड़ों श्रद्धालुओं की नम आंखों के साथ पंचतत्व में विलीन किया गया।
अररिया जिला की ब्रह्माकुमारी केंद्र की संचालिका राजयोगिनी उर्मिला बहन ने माउंट आबू से दूरभाष पर जानकारी देते हुए बताया कि दादी जी का जीवन पूर्णतः समर्पण और सेवा का प्रतीक था। 1936 में सिंध (अब पाकिस्तान) के हैदराबाद में ब्रह्माकुमारी यज्ञ की स्थापना के बाद से ही उन्होंने अपनी जीवन यात्रा इसी संस्था के प्रति अर्पित कर दी। महज 11 वर्ष की उम्र में संस्था से जुड़ने वाली दादी जी ने 89 वर्षों तक निःस्वार्थ भाव से आध्यात्मिक सेवा की।
दादी रतन मोहिनी जी नारी सशक्तिकरण की जीती-जागती मिसाल थीं। उन्होंने युवा प्रभाग की अध्यक्ष रहते हुए असंख्य युवाओं को जागरूक किया और उनके जीवन की दिशा बदली। बैंक कर्मी संजय गुप्ता ने उन्हें याद करते हुए कहा – “दादी जी से जो भी मिलता, वह उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता था। वह एक ऐसी दिव्य आत्मा थीं जो भगवान की सबसे सुंदर रचना के रूप में जानी जाएंगी।”
अररिया आर.एस. स्थित ब्रह्माकुमारी केंद्र पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में फुल मनी बहन ने भावुक स्वर में कहा – “दादी जी ने यह सिद्ध कर दिया कि एक सच्ची ‘माँ’ ही परिवार को पालती और संवारती है। उनके दिव्य गुण, सेवा, और तपस्या सदैव प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।”
इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे, जिनमें कौशल्या देवी, प्रभावती देवी, शर्मिला गुप्ता, मंजू वाल्मीकि, डोली कुमारी, सोनी बहन, आरती बहन, अंशिका कुमारी, विष्णु देव राम, रामाधार शाह, संजय शाह, शारदा देवी, भुवनेश्वरी देवी, शांति देवी, विजन पंडित, राजमणि देवी, लक्ष्मी देवी, कविता देवी, सीता देवी, हीरामणि देवी, सुनीता देवी, राजमणि शाह सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल रहे।
दादी रतन मोहिनी जी का आध्यात्मिक योगदान और उनकी स्मृतियाँ सदैव हमारे हृदयों में जीवित रहेंगी। समस्त ब्रह्माकुमारी परिवार उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
सारस न्यूज़, अररिया।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुख्य प्रशासिका, परम आदरणीय दादी रतन मोहिनी जी का 101 वर्ष की आयु में ब्रह्माकुमारीज के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू, राजस्थान में शांतिपूर्वक ब्रह्मालीन होना समस्त आध्यात्मिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। आज उन्हें सैकड़ों श्रद्धालुओं की नम आंखों के साथ पंचतत्व में विलीन किया गया।
अररिया जिला की ब्रह्माकुमारी केंद्र की संचालिका राजयोगिनी उर्मिला बहन ने माउंट आबू से दूरभाष पर जानकारी देते हुए बताया कि दादी जी का जीवन पूर्णतः समर्पण और सेवा का प्रतीक था। 1936 में सिंध (अब पाकिस्तान) के हैदराबाद में ब्रह्माकुमारी यज्ञ की स्थापना के बाद से ही उन्होंने अपनी जीवन यात्रा इसी संस्था के प्रति अर्पित कर दी। महज 11 वर्ष की उम्र में संस्था से जुड़ने वाली दादी जी ने 89 वर्षों तक निःस्वार्थ भाव से आध्यात्मिक सेवा की।
दादी रतन मोहिनी जी नारी सशक्तिकरण की जीती-जागती मिसाल थीं। उन्होंने युवा प्रभाग की अध्यक्ष रहते हुए असंख्य युवाओं को जागरूक किया और उनके जीवन की दिशा बदली। बैंक कर्मी संजय गुप्ता ने उन्हें याद करते हुए कहा – “दादी जी से जो भी मिलता, वह उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता था। वह एक ऐसी दिव्य आत्मा थीं जो भगवान की सबसे सुंदर रचना के रूप में जानी जाएंगी।”
अररिया आर.एस. स्थित ब्रह्माकुमारी केंद्र पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में फुल मनी बहन ने भावुक स्वर में कहा – “दादी जी ने यह सिद्ध कर दिया कि एक सच्ची ‘माँ’ ही परिवार को पालती और संवारती है। उनके दिव्य गुण, सेवा, और तपस्या सदैव प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।”
इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे, जिनमें कौशल्या देवी, प्रभावती देवी, शर्मिला गुप्ता, मंजू वाल्मीकि, डोली कुमारी, सोनी बहन, आरती बहन, अंशिका कुमारी, विष्णु देव राम, रामाधार शाह, संजय शाह, शारदा देवी, भुवनेश्वरी देवी, शांति देवी, विजन पंडित, राजमणि देवी, लक्ष्मी देवी, कविता देवी, सीता देवी, हीरामणि देवी, सुनीता देवी, राजमणि शाह सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल रहे।
दादी रतन मोहिनी जी का आध्यात्मिक योगदान और उनकी स्मृतियाँ सदैव हमारे हृदयों में जीवित रहेंगी। समस्त ब्रह्माकुमारी परिवार उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता है।