शहर के मारवाड़ी पट्टी स्थित संकट मोचन स्थान बजरंगबली मंदिर में इन दिनों भक्तिभाव की अनूठी छटा देखने को मिल रही है। 12 अप्रैल से आरंभ हुआ 216 घंटे का महाअष्टयाम पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ जारी है, जिसका समापन 21 अप्रैल को होगा।
विश्व प्रसिद्ध मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर के साधक नानु बाबा ने गुरुवार को इस पावन अवसर पर मंदिर पहुंचकर आयोजन की गरिमा बढ़ाई। मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं ने नानु बाबा से आशीर्वाद प्राप्त किया और उनकी दिव्य उपस्थिति से अभिभूत हो उठे।
महिला कीर्तन मंडली के द्वारा “हरे राम, हरे कृष्ण” की गूंज मंदिर परिसर को भक्तिमय वातावरण में परिवर्तित कर रही है। साथ ही सुंदर और आकर्षक भक्ति झांकियों का भी विशेष आयोजन किया गया है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालु उमड़ रहे हैं।
मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटिंग से भव्य रूप से सजाया गया है, जो रात में एक दिव्य आभा प्रदान करता है। संकट मोचन स्थान के मुख्य पुजारी राम नारायण ओझा ने जानकारी दी कि वर्ष 1972 से लगातार इस पारंपरिक नवाह संकीर्तन और महाअष्टयाम का आयोजन किया जा रहा है।
महाअष्टयाम न सिर्फ आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत करता है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समरसता का भी अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
सारस न्यूज़, अररिया।
शहर के मारवाड़ी पट्टी स्थित संकट मोचन स्थान बजरंगबली मंदिर में इन दिनों भक्तिभाव की अनूठी छटा देखने को मिल रही है। 12 अप्रैल से आरंभ हुआ 216 घंटे का महाअष्टयाम पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ जारी है, जिसका समापन 21 अप्रैल को होगा।
विश्व प्रसिद्ध मां खड्गेश्वरी महाकाली मंदिर के साधक नानु बाबा ने गुरुवार को इस पावन अवसर पर मंदिर पहुंचकर आयोजन की गरिमा बढ़ाई। मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं ने नानु बाबा से आशीर्वाद प्राप्त किया और उनकी दिव्य उपस्थिति से अभिभूत हो उठे।
महिला कीर्तन मंडली के द्वारा “हरे राम, हरे कृष्ण” की गूंज मंदिर परिसर को भक्तिमय वातावरण में परिवर्तित कर रही है। साथ ही सुंदर और आकर्षक भक्ति झांकियों का भी विशेष आयोजन किया गया है, जिसे देखने के लिए श्रद्धालु उमड़ रहे हैं।
मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटिंग से भव्य रूप से सजाया गया है, जो रात में एक दिव्य आभा प्रदान करता है। संकट मोचन स्थान के मुख्य पुजारी राम नारायण ओझा ने जानकारी दी कि वर्ष 1972 से लगातार इस पारंपरिक नवाह संकीर्तन और महाअष्टयाम का आयोजन किया जा रहा है।
महाअष्टयाम न सिर्फ आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत करता है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समरसता का भी अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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