स्थानीय साहित्यिक संस्था इंद्रधनुष साहित्य परिषद के तत्वावधान में महान स्वतंत्रता सेनानी और साहित्यकार पंडित रामदेनी तिवारी ‘द्विजदेनी’ जी की पुण्यतिथि पर एक भव्य कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम प्रोफेसर कॉलोनी के पास स्थित पीडब्ल्यूडी परिसर में संपन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार हेमंत यादव शशि ने की।
कार्यक्रम की शुरुआत द्विजदेनी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनकी स्मृति को नमन करते हुए हुई। उपस्थित साहित्यकारों और गणमान्य जनों ने उनके जीवन, संघर्ष और साहित्यिक योगदान पर विस्तार से विचार साझा किए।
इस अवसर पर हेमंत यादव शशि, बिनोद कुमार तिवारी, पूर्व बीईओ प्रमोद कुमार झा, हरिशंकर झा, रघुनंदन मंडल और अरविंद ठाकुर सहित वक्ताओं ने कहा कि द्विजदेनी जी का जन्म 15 जनवरी 1885 को सारण जिले में हुआ था। जीवन के शुरुआती दिनों में वे रोजगार की तलाश में फारबिसगंज आए और फिर भरगामा प्रखंड के सिमरबनी गांव में रहने लगे।
राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत द्विजदेनी जी ने सिमरबनी में नाट्य परिषद की स्थापना की और अपने लिखे नाटकों के माध्यम से युवाओं में आजादी की अलख जगाई। उन्होंने नाटक, कहानी, व्यंग्य और ग़ज़लों सहित विविध विधाओं में साहित्य सृजन किया। वर्ष 1918 में उन्होंने ‘हितैषी’ पत्रिका का संपादन और प्रकाशन आरंभ किया, जो मरिशस, फिजी और सूरीनाम जैसे देशों तक पहुंची, हालांकि आर्थिक कठिनाइयों के चलते पत्रिका के कुछ ही अंक प्रकाशित हो सके।
1942 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के विरुद्ध फारबिसगंज में निकाले गए जुलूस में भाग लेने के कारण वे गिरफ्तार हुए और भागलपुर सेंट्रल जेल भेजे गए। वहीं 18 जून 1943 को उन्होंने अंतिम सांस ली। वक्ताओं ने यह भी कहा कि द्विजदेनी जी को बिहार के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में जो स्थान मिलना चाहिए था, वह अब तक नहीं मिला।
कार्यक्रम में हेमंत यादव, मेघराज बोथरा, अरविंद ठाकुर और सुनील दास ने द्विजदेनी जी को समर्पित अपनी कविताओं का पाठ किया। मंच संचालन मनीष राज ने किया। इस अवसर पर शिवनारायण चौधरी, शिवशंकर तिवारी, पलकधारी मंडल, शिवराम साह, दिनेश ठाकुर समेत कई साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।
सारस न्यूज़, अररिया।
स्थानीय साहित्यिक संस्था इंद्रधनुष साहित्य परिषद के तत्वावधान में महान स्वतंत्रता सेनानी और साहित्यकार पंडित रामदेनी तिवारी ‘द्विजदेनी’ जी की पुण्यतिथि पर एक भव्य कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम प्रोफेसर कॉलोनी के पास स्थित पीडब्ल्यूडी परिसर में संपन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार हेमंत यादव शशि ने की।
कार्यक्रम की शुरुआत द्विजदेनी जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनकी स्मृति को नमन करते हुए हुई। उपस्थित साहित्यकारों और गणमान्य जनों ने उनके जीवन, संघर्ष और साहित्यिक योगदान पर विस्तार से विचार साझा किए।
इस अवसर पर हेमंत यादव शशि, बिनोद कुमार तिवारी, पूर्व बीईओ प्रमोद कुमार झा, हरिशंकर झा, रघुनंदन मंडल और अरविंद ठाकुर सहित वक्ताओं ने कहा कि द्विजदेनी जी का जन्म 15 जनवरी 1885 को सारण जिले में हुआ था। जीवन के शुरुआती दिनों में वे रोजगार की तलाश में फारबिसगंज आए और फिर भरगामा प्रखंड के सिमरबनी गांव में रहने लगे।
राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत द्विजदेनी जी ने सिमरबनी में नाट्य परिषद की स्थापना की और अपने लिखे नाटकों के माध्यम से युवाओं में आजादी की अलख जगाई। उन्होंने नाटक, कहानी, व्यंग्य और ग़ज़लों सहित विविध विधाओं में साहित्य सृजन किया। वर्ष 1918 में उन्होंने ‘हितैषी’ पत्रिका का संपादन और प्रकाशन आरंभ किया, जो मरिशस, फिजी और सूरीनाम जैसे देशों तक पहुंची, हालांकि आर्थिक कठिनाइयों के चलते पत्रिका के कुछ ही अंक प्रकाशित हो सके।
1942 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के विरुद्ध फारबिसगंज में निकाले गए जुलूस में भाग लेने के कारण वे गिरफ्तार हुए और भागलपुर सेंट्रल जेल भेजे गए। वहीं 18 जून 1943 को उन्होंने अंतिम सांस ली। वक्ताओं ने यह भी कहा कि द्विजदेनी जी को बिहार के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में जो स्थान मिलना चाहिए था, वह अब तक नहीं मिला।
कार्यक्रम में हेमंत यादव, मेघराज बोथरा, अरविंद ठाकुर और सुनील दास ने द्विजदेनी जी को समर्पित अपनी कविताओं का पाठ किया। मंच संचालन मनीष राज ने किया। इस अवसर पर शिवनारायण चौधरी, शिवशंकर तिवारी, पलकधारी मंडल, शिवराम साह, दिनेश ठाकुर समेत कई साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।
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