नगर थाना क्षेत्र स्थित एडीबी चौक के पास एसबीआई बैंक से सटे एक नवनिर्मित भवन में रिभर फाइनेंस लिमिटेड नामक चिटफंड कंपनी के नाम पर चल रही ठगी का भंडाफोड़ हुआ है। ग्रामीण महिलाओं को लोन देने का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी करने वाले अंतरजिला ठग गिरोह के दो नटवरलाल को अररिया पुलिस ने सहरसा से गिरफ्तार किया है। गिरोह के अन्य 10-12 सदस्य अब भी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।
कैसे हुआ खुलासा? 12 मार्च को ठग कंपनी के फरार होने के बाद, दर्जनों पीड़ित महिलाओं ने नगर थाना में आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की थी। शिकायत के अनुसार, महिलाओं से प्रति व्यक्ति 2500 रुपये बतौर प्रोसेसिंग फीस वसूली गई थी, और उन्हें लोन देने का वादा किया गया था। इस तरीके से लगभग 300 महिलाओं के 25 समूहों से करीब 10 लाख रुपये की ठगी की गई।
गिरफ्तार आरोपी व बरामदगी गिरफ्तार किए गए आरोपितों की पहचान मधेपुरा के ग्वालपाड़ा निवासी जयराम कुमार (30) पुत्र सुरेश साह और शंकरपुर थाना क्षेत्र के गिद्धा निवासी सुनिल कुमार (29) पुत्र लक्ष्मण साह के रूप में हुई है। पूछताछ में दोनों ने अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है। पुलिस ने इनके पास से दो एंड्रॉयड मोबाइल फोन, एक उजले रंग की अल्टो कार, स्टेट बैंक और एचडीएफसी के एटीएम कार्ड बरामद किए हैं।
ठगी का तरीका गिरोह ने एसबीआई बैंक के पास किराए पर ऑफिस लेकर “रिभर फाइनेंस लिमिटेड” नाम से फर्जी संस्था खोली। इसके बाद गांव-गांव जाकर महिलाओं को लोन देने का झांसा देते हुए 2500 रुपये की फीस ली गई। एक निश्चित तारीख को सभी को बुलाया गया, लेकिन उससे पहले ही आरोपी सारा पैसा लेकर फरार हो गए।
फर्जी नाम व दस्तावेज से किराए पर मकान गिरोह के सदस्यों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मकान किराए पर लिया था। एसपी अंजनी कुमार ने बताया कि बिना पुलिस सत्यापन के मकान मालिक द्वारा ऑफिस किराए पर देना एक गंभीर लापरवाही है और उसकी भूमिका की जांच की जा रही है।
गिरोह का अंतरजिला नेटवर्क इस गिरोह के सदस्य बिहार के कई जिलों जैसे सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, कटिहार और मुजफ्फरपुर से जुड़े हैं। ठगी के बाद आरोपी सुपौल फरार हो गए थे, जहां उन्होंने एक और फर्जी कंपनी खोली और वहां भी महिलाओं को ठगने में सफल रहे। वहां भी एफआईआर दर्ज की गई है।
आगे की कार्रवाई गिरफ्तार दोनों आरोपितों के बैंक खातों को तत्काल फ्रीज कर दिया गया है और पुलिस तकनीकी व वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिये अन्य सदस्यों को चिन्हित करने में लगी हुई है। गिरोह का नेटवर्क काफी मजबूत है और ये लोग जरूरतमंद ग्रामीण महिलाओं को निशाना बनाते हैं।
सारस न्यूज़, अररिया।
नगर थाना क्षेत्र स्थित एडीबी चौक के पास एसबीआई बैंक से सटे एक नवनिर्मित भवन में रिभर फाइनेंस लिमिटेड नामक चिटफंड कंपनी के नाम पर चल रही ठगी का भंडाफोड़ हुआ है। ग्रामीण महिलाओं को लोन देने का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी करने वाले अंतरजिला ठग गिरोह के दो नटवरलाल को अररिया पुलिस ने सहरसा से गिरफ्तार किया है। गिरोह के अन्य 10-12 सदस्य अब भी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है।
कैसे हुआ खुलासा? 12 मार्च को ठग कंपनी के फरार होने के बाद, दर्जनों पीड़ित महिलाओं ने नगर थाना में आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की थी। शिकायत के अनुसार, महिलाओं से प्रति व्यक्ति 2500 रुपये बतौर प्रोसेसिंग फीस वसूली गई थी, और उन्हें लोन देने का वादा किया गया था। इस तरीके से लगभग 300 महिलाओं के 25 समूहों से करीब 10 लाख रुपये की ठगी की गई।
गिरफ्तार आरोपी व बरामदगी गिरफ्तार किए गए आरोपितों की पहचान मधेपुरा के ग्वालपाड़ा निवासी जयराम कुमार (30) पुत्र सुरेश साह और शंकरपुर थाना क्षेत्र के गिद्धा निवासी सुनिल कुमार (29) पुत्र लक्ष्मण साह के रूप में हुई है। पूछताछ में दोनों ने अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है। पुलिस ने इनके पास से दो एंड्रॉयड मोबाइल फोन, एक उजले रंग की अल्टो कार, स्टेट बैंक और एचडीएफसी के एटीएम कार्ड बरामद किए हैं।
ठगी का तरीका गिरोह ने एसबीआई बैंक के पास किराए पर ऑफिस लेकर “रिभर फाइनेंस लिमिटेड” नाम से फर्जी संस्था खोली। इसके बाद गांव-गांव जाकर महिलाओं को लोन देने का झांसा देते हुए 2500 रुपये की फीस ली गई। एक निश्चित तारीख को सभी को बुलाया गया, लेकिन उससे पहले ही आरोपी सारा पैसा लेकर फरार हो गए।
फर्जी नाम व दस्तावेज से किराए पर मकान गिरोह के सदस्यों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मकान किराए पर लिया था। एसपी अंजनी कुमार ने बताया कि बिना पुलिस सत्यापन के मकान मालिक द्वारा ऑफिस किराए पर देना एक गंभीर लापरवाही है और उसकी भूमिका की जांच की जा रही है।
गिरोह का अंतरजिला नेटवर्क इस गिरोह के सदस्य बिहार के कई जिलों जैसे सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, कटिहार और मुजफ्फरपुर से जुड़े हैं। ठगी के बाद आरोपी सुपौल फरार हो गए थे, जहां उन्होंने एक और फर्जी कंपनी खोली और वहां भी महिलाओं को ठगने में सफल रहे। वहां भी एफआईआर दर्ज की गई है।
आगे की कार्रवाई गिरफ्तार दोनों आरोपितों के बैंक खातों को तत्काल फ्रीज कर दिया गया है और पुलिस तकनीकी व वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिये अन्य सदस्यों को चिन्हित करने में लगी हुई है। गिरोह का नेटवर्क काफी मजबूत है और ये लोग जरूरतमंद ग्रामीण महिलाओं को निशाना बनाते हैं।
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