ऐतिहासिक सफल चातुर्मास और मंगलभावना कार्यक्रम का समापन
तीन दिनों की मंगलभावना के साथ साध्वीश्री स्वर्णरेखा जी ठाणा 4 का सानंद विहार
फारबिसगंज के आरबी लेन स्थित तेरापंथ भवन से आचार्य श्री महाश्रमण की विदुषी शिष्या साध्वीश्री स्वर्णरेखा जी ठाणा 4 ने चातुर्मास सानंद संपन्न करके शनिवार प्रातः चक्रदाहा की ओर विहार किया।
इससे पूर्व तीन दिनों तक प्रातःकालीन और सांध्यकालीन सत्र में फारबिसगंज श्रावक-श्राविका समाज ने साध्वीश्री को मंगलभावना दी। साध्वीश्री ने अपने प्रवचन में राजा प्रदेशी का आख्यान प्रस्तुत करते हुए आत्मा और शरीर के भिन्नत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि साधु निर्मल जल की तरह होते हैं, जो गतिशील रहते हुए समाज के लिए उपयोगी बनते हैं। साध्वीश्री ने प्रेरणा देते हुए कहा कि आत्मा में रमण करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। मन को ध्यान, वाणी को मौन और तन को कार्योत्सर्ग के माध्यम से साधने का प्रयास करना चाहिए।
मंगलभावना कार्यक्रम का आयोजन:
मंगलभावना कार्यक्रम की शुरुआत भक्तामर मंडल से हुई। सभाध्यक्ष महेंद्र बैद ने साध्वीश्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए समाज की ओर से किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना की। सभा के मंत्री मनोज भंसाली ने साध्वीवृंद के प्रति आभार प्रकट करते हुए चातुर्मास के दौरान आयोजित सभी कार्यक्रमों की क्रमबद्ध सूची प्रस्तुत की।
चातुर्मास के कार्यों में विशेष योगदान देने वाले कार्यकर्ताओं सुमन डागा, मुकेश राखेचा और कल्पना सेठिया को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन कल्पना सेठिया, सरिता सेठिया, वीणा बैद और पंकज नाहटा ने किया।
विहार का भव्य दृश्य:
शनिवार प्रातः 7:07 बजे साध्वीश्री ने तेरापंथ भवन को सभा अध्यक्ष, मंत्री, और सकल समाज को सौंपते हुए चक्रदाहा की ओर विहार किया। विहार में 51 जोड़ों के साथ सभा, महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, कन्यामंडल, और ज्ञानशाला के बच्चों ने हिस्सा लिया। जुलूसबद्ध विहार का दृश्य अत्यंत भव्य और भावपूर्ण था।
पूरा तेरापंथ समाज साध्वीश्री के विहार से भाव-विह्वल था। उनके स्नेह और वात्सल्य ने इस चातुर्मास के दौरान पूरे फारबिसगंज के तेरापंथ समाज को एक सूत्र में बांध दिया। समाज की आंखों में साध्वीश्री के विछोह का गम तो था, लेकिन उनके सफल और ऐतिहासिक चातुर्मास ने सभी को संतोष और गर्व से भर दिया।
सारस न्यूज़, अररिया।
ऐतिहासिक सफल चातुर्मास और मंगलभावना कार्यक्रम का समापन
तीन दिनों की मंगलभावना के साथ साध्वीश्री स्वर्णरेखा जी ठाणा 4 का सानंद विहार
फारबिसगंज के आरबी लेन स्थित तेरापंथ भवन से आचार्य श्री महाश्रमण की विदुषी शिष्या साध्वीश्री स्वर्णरेखा जी ठाणा 4 ने चातुर्मास सानंद संपन्न करके शनिवार प्रातः चक्रदाहा की ओर विहार किया।
इससे पूर्व तीन दिनों तक प्रातःकालीन और सांध्यकालीन सत्र में फारबिसगंज श्रावक-श्राविका समाज ने साध्वीश्री को मंगलभावना दी। साध्वीश्री ने अपने प्रवचन में राजा प्रदेशी का आख्यान प्रस्तुत करते हुए आत्मा और शरीर के भिन्नत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि साधु निर्मल जल की तरह होते हैं, जो गतिशील रहते हुए समाज के लिए उपयोगी बनते हैं। साध्वीश्री ने प्रेरणा देते हुए कहा कि आत्मा में रमण करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। मन को ध्यान, वाणी को मौन और तन को कार्योत्सर्ग के माध्यम से साधने का प्रयास करना चाहिए।
मंगलभावना कार्यक्रम का आयोजन:
मंगलभावना कार्यक्रम की शुरुआत भक्तामर मंडल से हुई। सभाध्यक्ष महेंद्र बैद ने साध्वीश्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए समाज की ओर से किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना की। सभा के मंत्री मनोज भंसाली ने साध्वीवृंद के प्रति आभार प्रकट करते हुए चातुर्मास के दौरान आयोजित सभी कार्यक्रमों की क्रमबद्ध सूची प्रस्तुत की।
चातुर्मास के कार्यों में विशेष योगदान देने वाले कार्यकर्ताओं सुमन डागा, मुकेश राखेचा और कल्पना सेठिया को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन कल्पना सेठिया, सरिता सेठिया, वीणा बैद और पंकज नाहटा ने किया।
विहार का भव्य दृश्य:
शनिवार प्रातः 7:07 बजे साध्वीश्री ने तेरापंथ भवन को सभा अध्यक्ष, मंत्री, और सकल समाज को सौंपते हुए चक्रदाहा की ओर विहार किया। विहार में 51 जोड़ों के साथ सभा, महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद, कन्यामंडल, और ज्ञानशाला के बच्चों ने हिस्सा लिया। जुलूसबद्ध विहार का दृश्य अत्यंत भव्य और भावपूर्ण था।
पूरा तेरापंथ समाज साध्वीश्री के विहार से भाव-विह्वल था। उनके स्नेह और वात्सल्य ने इस चातुर्मास के दौरान पूरे फारबिसगंज के तेरापंथ समाज को एक सूत्र में बांध दिया। समाज की आंखों में साध्वीश्री के विछोह का गम तो था, लेकिन उनके सफल और ऐतिहासिक चातुर्मास ने सभी को संतोष और गर्व से भर दिया।
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