आज अररिया सर्किट हाउस में एनडीए द्वारा प्रेस वार्ता कर माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 30 अप्रैल को कैबिनेट की बैठक में जाति आधारित जनगणना को मंजूरी देने पर नेताओं द्वारा खुशी व्यक्त करते हुए कहा गया कि देश की मौजूदा सरकार देश के सर्वांगीण हितों और मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है। कांग्रेस की सरकार आज तक जाति जनगणना का विरोध करती रही है और एक बार भी जनगणना में उन्होंने जाति जनगणना को शामिल नहीं किया, यह उसका सबसे बड़ा प्रमाण है। आज़ादी के बाद पहली बार जाति जनगणना को प्रॉपर तरीके से करने की मंजूरी सरकार द्वारा ली गई है। इससे समाज के दबे-कुचले लोगों के लिए अच्छे संकेत मिल रहे हैं। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना के लिए कैबिनेट में विचार किया जाएगा। तब पश्चात एक कैबिनेट समूह भी बनाया गया था, लेकिन 2011 में कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम द्वारा इसका विरोध किया गया। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना नहीं कर के एक सर्वे कराया जिसका नाम SECC था, जिसमें 4893 करोड़ रुपयों से ज्यादा का खर्च आया और इसमें लगभग 8 करोड़ से ज्यादा गलतियां हुईं। तत्पश्चात इस आंकड़े को प्रकाशित नहीं किया जा सका। इन सब के बावजूद कांग्रेस और विपक्ष के नेता सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए लोगों को भ्रम फैला रहे थे कि वे जाति जनगणना के पक्षधर हैं। जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने 1990 के दशक में ही इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर कई सरकारों के सामने जाति जनगणना को लागू करवाने का आग्रह किया था और पहली बार उन्होंने बिहार में सफल जाति जनगणना करके यह साबित किया कि वे जाति जनगणना के प्रबल पक्षधर हैं।
प्रेस वार्ता में अररिया लोकसभा के सांसद प्रदीप कुमार सिंह, जदयू के प्रदेश महासचिव इरशाद अली आजाद, भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष आदित्य नारायण झा, जदयू के प्रदेश सचिव रमेश सिंह, जिला परिषद के अध्यक्ष आफताब अजीम उर्फ पप्पू अजीम, मुखिया संघ के जिला अध्यक्ष सदा अहमद, बबलू राष्ट्रीय लोक मोर्चा के जिला अध्यक्ष विभाश चंद्र मेहता, हम पार्टी के जिला अध्यक्ष विष्णु ऋषि देव, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के जिला अध्यक्ष अरुण सिंह के अलावा एनडीए के वरिष्ठ कार्यकर्ता गण मौजूद रहे।
सारस न्यूज, अररिया।
आज अररिया सर्किट हाउस में एनडीए द्वारा प्रेस वार्ता कर माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 30 अप्रैल को कैबिनेट की बैठक में जाति आधारित जनगणना को मंजूरी देने पर नेताओं द्वारा खुशी व्यक्त करते हुए कहा गया कि देश की मौजूदा सरकार देश के सर्वांगीण हितों और मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है। कांग्रेस की सरकार आज तक जाति जनगणना का विरोध करती रही है और एक बार भी जनगणना में उन्होंने जाति जनगणना को शामिल नहीं किया, यह उसका सबसे बड़ा प्रमाण है। आज़ादी के बाद पहली बार जाति जनगणना को प्रॉपर तरीके से करने की मंजूरी सरकार द्वारा ली गई है। इससे समाज के दबे-कुचले लोगों के लिए अच्छे संकेत मिल रहे हैं। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आश्वासन दिया था कि जाति जनगणना के लिए कैबिनेट में विचार किया जाएगा। तब पश्चात एक कैबिनेट समूह भी बनाया गया था, लेकिन 2011 में कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम द्वारा इसका विरोध किया गया। इसके बाद कांग्रेस सरकार ने जाति जनगणना नहीं कर के एक सर्वे कराया जिसका नाम SECC था, जिसमें 4893 करोड़ रुपयों से ज्यादा का खर्च आया और इसमें लगभग 8 करोड़ से ज्यादा गलतियां हुईं। तत्पश्चात इस आंकड़े को प्रकाशित नहीं किया जा सका। इन सब के बावजूद कांग्रेस और विपक्ष के नेता सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए लोगों को भ्रम फैला रहे थे कि वे जाति जनगणना के पक्षधर हैं। जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने 1990 के दशक में ही इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर कई सरकारों के सामने जाति जनगणना को लागू करवाने का आग्रह किया था और पहली बार उन्होंने बिहार में सफल जाति जनगणना करके यह साबित किया कि वे जाति जनगणना के प्रबल पक्षधर हैं।
प्रेस वार्ता में अररिया लोकसभा के सांसद प्रदीप कुमार सिंह, जदयू के प्रदेश महासचिव इरशाद अली आजाद, भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष आदित्य नारायण झा, जदयू के प्रदेश सचिव रमेश सिंह, जिला परिषद के अध्यक्ष आफताब अजीम उर्फ पप्पू अजीम, मुखिया संघ के जिला अध्यक्ष सदा अहमद, बबलू राष्ट्रीय लोक मोर्चा के जिला अध्यक्ष विभाश चंद्र मेहता, हम पार्टी के जिला अध्यक्ष विष्णु ऋषि देव, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के जिला अध्यक्ष अरुण सिंह के अलावा एनडीए के वरिष्ठ कार्यकर्ता गण मौजूद रहे।
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