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अररिया में पुलों की गुणवत्ता पर उठे गंभीर सवाल: फारबिसगंज के कौआचार गांव को जोड़ने वाला 3.80 करोड़ का पुल ध्वस्त, आवाजाही बंद।

सारस न्यूज़, अररिया।

अररिया जिले में पुल निर्माण की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सिकटी प्रखंड के पड़रिया में बना पुल धंसने की घटना के कुछ ही महीनों बाद अब फारबिसगंज प्रखंड के कौआचार गांव को जोड़ने वाला पुल भी ध्वस्त हो गया है। बताया जा रहा है कि परमान नदी पर बना यह पुल 3.80 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2019 में तैयार किया गया था, लेकिन कुछ ही वर्षों में इसकी हालत इतनी जर्जर हो गई कि अब इसे आवागमन के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है।

ग्रामीणों ने बताई पुल निर्माण में अनियमितताएं

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पुल निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती गई थी। घटिया निर्माण सामग्री और कमजोर तकनीकी निगरानी के कारण पुल की नींव कमजोर पड़ गई। परिणामस्वरूप पुल का बीच का पाया अचानक धंस गया। लोगों ने कहा कि यह पुल शुरू में ही कई जगहों से दरारें दिखाने लगा था, जिसकी शिकायत कई बार विभाग को दी गई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

विभाग और सरकार पर सवाल

इस घटना ने विभागीय अधिकारियों और राज्य सरकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। विधानसभा चुनाव के बीच पुल ध्वस्त होने से प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है। इससे पहले 18 जून 2024 को सिकटी प्रखंड के पड़रिया में बकरा नदी पर बन रहा 12 करोड़ रुपये का पुल भी धंस गया था। दोनों पुलों का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग, अररिया द्वारा कराया गया था।

विभाग का बयान

ग्रामीण कार्य विभाग के इंजीनियर चंद्रशेखर कुमार ने बताया कि पुल धंसने की जानकारी विभाग को पहले ही मिल गई थी और 30 अक्टूबर 2025 को इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को भेज दी गई थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए डीएम और एसपी को भी सूचित किया गया है ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इंजीनियर ने यह भी कहा कि पुल की पांच साल की गारंटी अवधि समाप्त हो चुकी है, फिर भी विभाग गुणवत्ता और संरचना की जांच कराएगा। जांच के बाद जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।

दोनों मामलों में समानता — विभाग एक ही

ध्यान देने वाली बात यह है कि सिकटी के बकरा नदी पर निर्माणाधीन 12 करोड़ का पुल और कौआचार गांव जाने वाला 3.80 करोड़ का कविलाशा पुल — दोनों ही ग्रामीण कार्य विभाग, अररिया द्वारा बनाए गए थे। भले ही दोनों के संवेदक (कॉन्ट्रैक्टर) अलग-अलग हों, लेकिन निर्माण की निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण एक ही विभाग के अधीन था।
कौआचार पुल की लंबाई 129 मीटर थी, जिसका एस्टीमेट 4.15 करोड़ रुपये का था, जबकि निर्माण पर 3.80 करोड़ रुपये खर्च हुए।

चुनावी मौसम में बढ़ी सरकार की परेशानी

चुनाव के इस माहौल में पुल धंसने की घटनाओं ने सरकार की साख पर बड़ा असर डाला है। विपक्ष लगातार भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि पुल निर्माण की निगरानी भगवान भरोसे चल रही है और जिम्मेदार अधिकारी केवल कागजों में जांच पूरी कर रहे हैं।

मुख्य तथ्य एक नजर में

  • पुल का निर्माण वर्ष 2019 में हुआ था।
  • लागत — ₹3.80 करोड़, लंबाई — 129 मीटर
  • निर्माण विभाग — ग्रामीण कार्य विभाग, अररिया
  • बीच का पाया धंसने से पुल पूरी तरह बंद।
  • विभागीय जांच के आदेश जारी, कार्रवाई की संभावना।

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि पुल की गुणवत्ता जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए और दोषी अधिकारियों व संवेदकों पर सख्त कार्रवाई की जाए। लोगों का कहना है कि पुल टूटने से अब उन्हें आवागमन के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ रहा है, जिससे किसानों, छात्रों और आम नागरिकों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

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