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आठ मार्च को तीन सिद्ध योग में होगी शिव की आराधना।

सारस न्यूज, अररिया।

72 साल बाद बने महासंयोग में फल दाई रहेगी महादेव की पूजा।

देवाधिदेव महादेव व मां गौरी को समर्पित महाशिवरात्रि का पावन पर्व शिव भक्तों के लिए बेहद ही खास होता है। उत्साह व उमंग से भरा पावन पर्व इस साल 08 मार्च को मनाया जायेगा। शिव के भक्त इस दिन व्रत रख विशेष पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन रात्रि भर जागरण करने की भी परंपरा है। फाल्गुन मास में आने वाली शिवरात्रि पर्व पर शिवलिंग का विशेष सामग्री के साथ अभिषेक किया जाता है। आचार्य पंडित शिवादित्य पांडे के अनुसार महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण हो चुके होते हैं। इस समय चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो जाती है। चंद्रमा को शिवजी ने अपने मस्तक पर धारण किया है। इसलिए इस दिन शिव की पूजा करने से व्यक्ति का चंद्र मजबूत होता है। चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। इसलिए शिव की अराधना करने से भक्तों की इच्छाशक्ति मजबूत होती है। शिवलिंग पर गंगा जल से अभिषेक करने से अभीष्ट की सिद्धि होती है। भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है। पंडित शिवादित्य पांडे ने बताया कि इस बार महाशिवरात्रि पर 72 साल बाद अद्भुत संयोग में शिवयोग, सिद्ध योग व चतुर्ग्रही योग बन रहा है। साथ ही इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी पड़ रहा है।जो मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस महासंयोग में भगवान शिव की पूजा व आराधना काफी फल दाई होगा।

शिव पूजन का शुभ मुहूर्त।

पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 08 मार्च को संध्याकाल 09:57 बजे होगी। इसका समापन अगले दिन 09 मार्च को संध्याकाल 06:17 बजे होगा। भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इसलिए उदया तिथि देखना जरूर नहीं होता है। ऐसे में इस साल महाशिवरात्रि का व्रत 08 मार्च को रखा जाएंगा। महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा का समय शाम के 06:25 बजे से रात 09:28 बजे तक है। इसके अलावा चार प्रहर का पूजन के मुहूर्त है। प्रथम प्रहर पूजा समय शाम 06:25 मिनट से रात 09:28 बजे तक होगी। द्वितीय प्रहर की पूजा समय रात 09:28 से 09 मार्च को रात 12:31 बजे तक, तृतीय प्रहर पूजा समय रात 12:31 बजे से प्रातः 03:34 बजे तक, रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय प्रातः 03:34 बजे से प्रातः 06:37 बजे तक, निशिथ काल मुहूर्त रात में 12:07 मिनट से 12: 55 बजे तक, व्रत पारण समय 09 मार्च सुबह 06:37 से दोपहर 03:28 बजे तक होगी।

राशि के अनुसार करें पूजन।

मेष – देशी गाय के कच्चे दूध में शहद मिलाकर अभिषेक करें।

वृष – दही से अभिषेक करें व सफेद पुष्प, फल व वस्त्र चढ़ाएं।

मिथुन – गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें व धतूरा, हरा पुष्प, भांग व हरा फल चढ़ाएं।

कर्क – दूध में शक्कर मिलाकर रुद्राभिषेक करें व सफेद वस्त्र, मिष्ठान्न व मंदार का पुष्प चढ़ाएं।

सिंह – मधु या तीर्थ मिश्रित गुड़ से अभिषेक करें व लाल पुष्प, वस्त्र व रोली अर्पित करें।

कन्या – गन्ने के रस से अभिषेक करें व भांग, धतूरा, मंदार का पत्र व पुष्प चढ़ाएं।

तुला – शहद से रुद्राभिषेक करें व भांग, मंदार पुष्प व सफेद वस्त्र चढ़ाएं।

वृश्चिक – शहदयुक्त तीर्थजल से रुद्राभिषेक करें व लाल पुष्प, फल व मिष्ठान चढ़ाएं।

धनु – गाय के दूध में केसर मिलाकर रुद्राभिषेक करें व पीला वस्त्र, फल, भांग व धतूरा चढ़ाएं।

मकर – गंगाजल या शमी के रस से रुद्राभिषेक करें व शमी पत्र, भांग, धतूरा चढ़ाएं।

कुंभ – दूर्वा या शमी के रस से रुद्राभिषेक करें व दूर्वा, शमी, मंदार पुष्प चढ़ाएं।

मीन – केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें व हल्दी, केला व पीला पुष्प, फल चढ़ाएं।

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