अररिया जिले में पुलिसकर्मियों के लिए कंप्यूटर संबंधित बेसिक ट्रेनिंग का कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस पहल का उद्देश्य पुलिस अधिकारियों को डिजिटल साक्ष्य की प्रक्रिया में सक्षम बनाना और पुलिस कार्यों को पेपरलेस बनाना है। इस बारे में जानकारी देते हुए जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) अंजनी कुमार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की।
एसपी ने बताया कि मुख्यालय द्वारा सभी अनुसंधान अधिकारियों (आईओ) को लैपटॉप प्रदान किया गया है, और इनकी प्रशिक्षण प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है। अब तक सभी थानाध्यक्षों और पुलिस कर्मियों को लैपटॉप ऑपरेशन की बेसिक जानकारी दी जा रही है, ताकि वे अपनी जांच प्रक्रिया को अधिक सटीक और पेपरलेस तरीके से कर सकें। विशेष रूप से 55 वर्ष से कम उम्र के अनुसंधानकर्ताओं को लैपटॉप उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे वे केस डायरी और अन्य जरूरी कार्यों को डिजिटल रूप से पूरा कर सकें।
इस कंप्यूटर प्रशिक्षण के माध्यम से पुलिसकर्मियों को रिपोर्ट का आदान-प्रदान, ईमेल और कांड संबंधित पत्राचार पेपरलेस तरीके से करने की दिशा में सक्षम बनाया जाएगा। इससे न केवल कार्य की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि हैंडराइटिंग की समस्याओं का भी समाधान होगा। एसपी ने यह भी कहा कि यह डिजिटल साक्ष्य की प्रक्रिया से जुड़े कार्यों में तेजी लाएगा, और 01 जुलाई 2024 से लागू होने वाले नए कानून के अनुसार, अब किसी भी बयान को एक बार रिकॉर्ड करने के बाद बदला नहीं जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि डिजिटल साक्ष्य को प्रमाणित करने के लिए अब गवाही की आवश्यकता नहीं होगी। अगले एक साल में इसके असर को तीन गुना बढ़ते हुए देखा जाएगा। इसके अलावा, भविष्य में पुलिस की कार्रवाई में भी डिजिटल परिवर्तन होगा, जिसके लिए सभी पुलिसकर्मियों को कंप्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए तैयार रहना होगा।
थाना में प्रशिक्षण सत्र की झलकियां भरगामा थाना और महिला थाना में थानाध्यक्ष और अनुसंधान अधिकारियों ने लैपटॉप से कंप्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो पुलिस विभाग में डिजिटलाइजेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस डिजिटल पहल से पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली में बदलाव आएगा, जो न केवल कार्यों को अधिक सटीक बनाएगा, बल्कि पुलिस सेवा को भी पारदर्शी और नागरिकों के प्रति उत्तरदायी बनाएगा।
सारस न्यूज़, अररिया।
अररिया जिले में पुलिसकर्मियों के लिए कंप्यूटर संबंधित बेसिक ट्रेनिंग का कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस पहल का उद्देश्य पुलिस अधिकारियों को डिजिटल साक्ष्य की प्रक्रिया में सक्षम बनाना और पुलिस कार्यों को पेपरलेस बनाना है। इस बारे में जानकारी देते हुए जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) अंजनी कुमार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की।
एसपी ने बताया कि मुख्यालय द्वारा सभी अनुसंधान अधिकारियों (आईओ) को लैपटॉप प्रदान किया गया है, और इनकी प्रशिक्षण प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है। अब तक सभी थानाध्यक्षों और पुलिस कर्मियों को लैपटॉप ऑपरेशन की बेसिक जानकारी दी जा रही है, ताकि वे अपनी जांच प्रक्रिया को अधिक सटीक और पेपरलेस तरीके से कर सकें। विशेष रूप से 55 वर्ष से कम उम्र के अनुसंधानकर्ताओं को लैपटॉप उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे वे केस डायरी और अन्य जरूरी कार्यों को डिजिटल रूप से पूरा कर सकें।
इस कंप्यूटर प्रशिक्षण के माध्यम से पुलिसकर्मियों को रिपोर्ट का आदान-प्रदान, ईमेल और कांड संबंधित पत्राचार पेपरलेस तरीके से करने की दिशा में सक्षम बनाया जाएगा। इससे न केवल कार्य की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि हैंडराइटिंग की समस्याओं का भी समाधान होगा। एसपी ने यह भी कहा कि यह डिजिटल साक्ष्य की प्रक्रिया से जुड़े कार्यों में तेजी लाएगा, और 01 जुलाई 2024 से लागू होने वाले नए कानून के अनुसार, अब किसी भी बयान को एक बार रिकॉर्ड करने के बाद बदला नहीं जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि डिजिटल साक्ष्य को प्रमाणित करने के लिए अब गवाही की आवश्यकता नहीं होगी। अगले एक साल में इसके असर को तीन गुना बढ़ते हुए देखा जाएगा। इसके अलावा, भविष्य में पुलिस की कार्रवाई में भी डिजिटल परिवर्तन होगा, जिसके लिए सभी पुलिसकर्मियों को कंप्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए तैयार रहना होगा।
थाना में प्रशिक्षण सत्र की झलकियां भरगामा थाना और महिला थाना में थानाध्यक्ष और अनुसंधान अधिकारियों ने लैपटॉप से कंप्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो पुलिस विभाग में डिजिटलाइजेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस डिजिटल पहल से पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली में बदलाव आएगा, जो न केवल कार्यों को अधिक सटीक बनाएगा, बल्कि पुलिस सेवा को भी पारदर्शी और नागरिकों के प्रति उत्तरदायी बनाएगा।
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