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एसएसबी कमांडेंट महेंद्र प्रताप की अध्यक्षता में डुमरिया बीओपी पर ग्रामीण संवाद बैठक का सफल आयोजन।

सारस न्यूज़, अररिया।


सीमा सुरक्षा के साथ सामाजिक विकास पर भी दिया गया विशेष जोर

52वीं वाहिनी, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), अररिया के कमांडेंट श्री महेंद्र प्रताप की अध्यक्षता में आज बाह्य सीमा चौकी (बीओपी) डुमरिया में एक अहम बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों और एसएसबी अधिकारियों के बीच संवाद स्थापित कर आपसी सहयोग और विश्वास को सुदृढ़ करने पर बल दिया गया।

बैठक को संबोधित करते हुए श्री महेंद्र प्रताप ने कहा कि एसएसबी केवल सीमा की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि ‘सेवा, सुरक्षा और बंधुत्व’ की भावना के साथ ग्रामीण विकास में भी सक्रिय भूमिका निभा रही है। उन्होंने बताया कि एसएसबी द्वारा समय-समय पर निःशुल्क चिकित्सा शिविर, पशु चिकित्सा शिविर, कौशल विकास प्रशिक्षण जैसे लोक-कल्याणकारी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है, जिससे सीमावर्ती गांवों को सीधे लाभ मिल रहा है।

कमांडेंट ने ग्रामीणों से आग्रह किया कि वे राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को लेकर सजग रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि अथवा अजनबी व्यक्ति की सूचना शीघ्र एसएसबी को दें। उन्होंने कहा कि यह न केवल आपकी सुरक्षा के लिए, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

इस अवसर पर श्री प्रताप ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अंतर्गत युवाओं को स्वरोजगार एवं कौशल प्रशिक्षण के लिए प्रेरित किया, साथ ही ‘नशा मुक्त भारत’, ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ तथा ‘श्री अन्न के उपयोग’ जैसे महत्वपूर्ण अभियानों की जानकारी भी ग्रामीणों को दी। उन्होंने विशेष रूप से युवतियों को केंद्रीय सशस्त्र बलों में भर्ती हेतु प्रेरित किया और आवश्यक मार्गदर्शन भी प्रदान किया।

बैठक में आपदा प्रबंधन जैसे—आग, बाढ़, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं के समय एसएसबी और ग्रामीणों के बीच तालमेल और तत्परता पर भी चर्चा की गई, ताकि समय रहते प्रभावी समाधान संभव हो सके।

इस कार्यक्रम में एसएसबी की ओर से लैलोखर कैंप प्रभारी सहायक कमांडेंट श्री प्रमोद कुमार, उप-निरीक्षक श्री मोहनचंद्र सहित अन्य जवान उपस्थित रहे। वहीं ग्रामीण समुदाय की ओर से उपमुखिया श्री मुमताज़ अंसारी, श्री राम प्रसाद मंडल, श्री शंभू मंडल, श्री उमेश मंडल समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे।

इस संवादात्मक पहल से न केवल सुरक्षा व्यवस्था को बल मिला, बल्कि सीमावर्ती समुदाय के बीच आत्मीयता और जागरूकता भी बढ़ी।

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