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भाजपा-जदयू शासन में दबंगों का मनोबल चरम पर-भाकपा माले।

सारस न्यूज़, अररिया।

  • कटिहार के पिंडा गांव में भाजपा संरक्षित दबंगों ने सिकमी बटाईदारों पर किया जानलेवा हमला
  • आगजनी व गोलीबारी से दहशत फैलाने की कोशिश, एक की मौत और कई घायल
  • भाकपा माले व आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने घटनास्थल का दौरा कर सरकार से न्यायिक कार्रवाई और मुआवजे की मांग की

भाकपा माले जिला कमेटी (सीपीआई माले) अररिया के नेतृत्व में सोमवार को मुख्यालय स्थित बस स्टैंड से चांदनी चौक तक एक दिवसीय प्रतिविरोध मार्च निकाला गया। भाकपा माले नेता रामविलास यादव ने बताया कि यह मार्च कटिहार जिले के मनसाही थाना क्षेत्र के पिंडा गांव में 30 नवंबर को हुई भयावह घटना के विरोध में आयोजित किया गया।

30 नवंबर को पिंडा गांव में महेंद्र उरांव और रघुनाथ उरांव जमीन जोत रहे थे, जब गोविंद सिंह और उनके साथ आए दबंग-अपराधियों ने उन पर हमला कर दिया। गोलीबारी में वैद्यनाथ उरांव के पेट में गोली लगी, जिससे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। जबना उरांव को जांघ और हाथ में गोली लगी, और वे फिलहाल भागलपुर में इलाजरत हैं। इस हमले में एक महिला भी घायल हुई।

दबंगों ने दो ट्रैक्टरों में आग लगाकर पूरे इलाके में दहशत फैलाने की कोशिश की। भाकपा माले के नेताओं ने आरोप लगाया कि घटना के दौरान स्थानीय थाना चार घंटे तक मूकदर्शक बना रहा।

भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कटिहार एसपी से बात की, जिसके बाद एक नामजद अभियुक्त और तीन अन्य की गिरफ्तारी हुई। हालांकि, मुख्य अभियुक्त गोविंद सिंह अभी भी खुलेआम आदिवासियों को धमकी दे रहा है।

4 दिसंबर को भाकपा माले के नेता महबूब आलम, आदिवासी संघर्ष मोर्चा के राज्य संयोजक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता और पूर्व विधायक मनोज मंजिल ने पिंडा गांव का दौरा कर मामले की जांच की।

भूपति जहरूल हक की 3.20 एकड़ जमीन पर चैधरी उरांव का पुश्तैनी सिकमी बटाईदारी का अधिकार है। जहरूल हक के वंशज इसे स्वीकार करते हैं। लेकिन, भाजपा एमएलसी के संरक्षण में गोविंद सिंह ने इस जमीन पर रजिस्ट्री का दावा किया।

भाकपा माले के नेताओं ने बताया कि गोविंद सिंह का दावा फर्जी है, क्योंकि जहरूल हक की मृत्यु 1979 में हो चुकी थी, जबकि रजिस्ट्री का दावा 1983 का है। इस फर्जी दावे के कारण डीसीएलआर ने 5 जनवरी 2024 को महेंद्र उरांव और रघुनाथ उरांव को सिकमी बटाईदार के रूप में मान्यता दी थी।

गोविंद सिंह ने इससे बौखलाकर 30 नवंबर को आदिवासियों पर हमला किया।

भाकपा माले की मांगें

भाकपा माले और आदिवासी संघर्ष मोर्चा ने सरकार से निम्नलिखित मांगें की हैं:

  1. वैद्यनाथ उरांव के परिजनों को 20 लाख रुपये मुआवजा।
  2. जले हुए ट्रैक्टरों के लिए 10-10 लाख रुपये का मुआवजा।
  3. घायलों का सरकारी स्तर पर मुफ्त इलाज।
  4. महेंद्र उरांव और रघुनाथ उरांव को मजिस्ट्रेट और पुलिस की निगरानी में उनकी जमीन पर अधिकार दिलाना।
  5. मनसाही थाना की संदिग्ध भूमिका की जांच और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई।

नेताओं और कार्यकर्ताओं का समर्थन

इस प्रतिविरोध मार्च में भाकपा माले के नेता अजित पासवान, जितेंद्र पासवान, इंद्रानंद पासवान, रामेश्वर ऋषिदेव, रामविलास यादव, मो. इस्माइल सहित दर्जनों कार्यकर्ता शामिल हुए। भाकपा माले ने स्पष्ट किया कि सिकमी बटाईदारों के अधिकारों की रक्षा में भाजपा-जदयू सरकार की विफलता अस्वीकार्य है और इसके खिलाफ उनका संघर्ष जारी रहेगा।

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