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अररिया से शुरू हुई हिंद सेना की जनयात्रा, शिवदीप लांडे ने कहा – युवाओं के साथ मिलकर लाएंगे नया बिहार।

सारस न्यूज़, अररिया।

नवगठित हिंद सेना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप वामनराव लांडे ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत अररिया से की है। यह दौरा जोकीहाट प्रखंड से शुरू होकर अररिया के ऐतिहासिक काली मंदिर तक पहुंचा, जहां उन्होंने साधक नानू बाबा का आशीर्वाद लिया। इसी के साथ उन्होंने अपनी पार्टी की पहली जनसंपर्क यात्रा को “जन संवाद और बदलाव की शुरुआत” बताया।

अपने दौरे के दौरान श्री लांडे ने अररिया, फारबिसगंज और जोकीहाट क्षेत्र के युवा साथियों से मुलाकात की और जोर देकर कहा कि सीमांचल और कोसी क्षेत्र उनके दिल के बेहद करीब हैं। पूर्व में आईपीएस और डीआईजी के रूप में इस क्षेत्र में सेवा दे चुके लांडे ने कहा, “यह इलाका मेरे लिए सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आत्मीय रिश्ता है।”

उन्होंने बताया कि यह दौरा महाखड़गेश्वरी मां काली मंदिर से शुरू हुआ है, जो आस्था के साथ-साथ जनता से उनके जुड़ाव का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि लोगों से सीधा संवाद और उनकी समस्याओं को महसूस करना ही सच्ची राजनीति की बुनियाद है।

शिवदीप लांडे ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वे जनबल और युवाशक्ति के साथ मैदान में उतरेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि अगर बिहार के युवा जागे, तो एक नई राजनीतिक लहर उठेगी जो पुराने सिस्टम को जड़ से हिला सकती है। उन्होंने कहा, “अगर जनता ने ठान लिया तो बदलाव को कोई नहीं रोक सकता।”

अपनी प्रशासनिक सेवा को छोड़कर राजनीति में आने के फैसले को लेकर उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “मेरा नाम माता-पिता ने दिया, लेकिन मेरी पहचान बिहार ने बनाई। इस धरती ने मुझे बहुत कुछ दिया है, अब इसे लौटाने का समय है।”

उन्होंने यह भी बताया कि 21 अप्रैल से 28 अप्रैल तक चलने वाली यह जनसंवाद यात्रा अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार जिलों में जारी रहेगी। यात्रा का उद्देश्य लोगों से मिलकर उनकी वास्तविक समस्याओं को जानना, समझना और एक ठोस बदलाव की नींव रखना है।

मंगलवार को यह यात्रा जोकीहाट बाजार से शुरू हुई, जो उदाहाट, महलगांव, डुमरिया और बैरगाछी होते हुए काली मंदिर चौक तक पहुंची। शाम को फारबिसगंज स्थित होटल ज्योति में उन्होंने लोगों से व्यक्तिगत भेंट भी की।

लांडे ने अंत में कहा, “आपकी उम्मीदें और आवाज ही उस परिवर्तन की शुरुआत है जिसकी नींव अररिया की धरती से रखी गई है।”


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