सारस न्यूज़, अररिया।
सूचना मिलने पर सीओ और कर्मचारी द्वारा नहीं किया गया जा रहा स्थल निरीक्षण।
वर्ष 2017 के बाद आपदा सूची में सुधार तक नहीं।
आपदा में बस्ती का बस्ती बह जाने का खतरा, सूचना मिलने पर कटान रोधी कार्य नदारद।
जिला मुख्यालय सहित प्रखंडों में वरीय पदाधिकारी से लेकर प्रखंड अधिकारियों द्वारा बाढ़ पूर्व तैयारी के नाम पर बैठक पर बैठक हो रही है। फिर भी इंतजाम के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। एसडीआरएफ के पास घटनास्थल पर जाने तक के लिए सरकारी वाहन तक उपलब्ध नहीं है। मुख्यालय स्थित टाउन हॉल में एसडीआरएफ की टीम ठहरी हुई है। लेकिन उनके पास न तो जरूरत के पर्याप्त सामान मौजूद है और न ही उन सामान की स्थिति अच्छी है। ऑक्सीजन भी उपलब्ध ही नहीं है। यह बातें जिप प्रतिनिधि फैसल जावेद यासीन ने कही।

साथ ही उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि बीते रविवार को झमटा पंचायत में 30 वर्षीय एक युवक पानी में डूब गया। घटना की जानकारी मिलने पर जिप प्रतिनिधि फैसल जावेद यासीन ने सीओ और जिला आपदा प्रबंधक को घटना की सूचना देकर एसडीआरएफ टीम की मांग की तो उन्हें बताया गया कि राहत कार्य शुरू किया जायेगा। लेकिन 04 घंटा बीत जाने के बाद भी लगातार संपर्क करने के बाद भी जब मुख्यालय से एसडीआरएफ टीम रवाना नहीं हुई तो जिप प्रतिनिधि कैंप पर पहुंचे। जिसके बाद उन्हें बताया गया कि टीम के पास वाहन उपलब्ध नहीं है। कैसे सामग्री या जवान को लेकर जा सकेंगे। इसके बाद जब सीओ और कर्मचारी से बात की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि वाहन का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। राजस्व कर्मचारी ने कहा कि आपलोग जनप्रतिनिधि हैं। वाहन का इंतजाम और खर्च राशि को व्यवस्था आपलोग स्वयं कर सकते हैं। सारी बात सुनने के बाद जिला पार्षद प्रतिनिधि फैसल जावेद यासीन ने खुद से एक मैजिक मालवाहक वाहन किराया पर मंगवाया और एसडीआरएफ के जवाब के लिए एक दूसरे वाहन से खुद ही ड्राइव करके घटनास्थल पर पहुंचे।

घटना के लगभग 08 घंटा बीत जाने के बाद रेसक्यू की शुरुआत तो हुई लेकिन सामग्री में 01 सेट बोट काम नहीं किया। वहीं दूसरा सेट लगभग आधे घंटे चलने के बाद खराब हो गया। अंततः रेसक्यू ऑपरेशन को टीम द्वारा बंद करना पड़ा। इधर दूसरी जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि गत तीन दिन पहले अररिया जिला पदाधिकारी को जिला पार्षद सबा फैसल ने आवेदन देकर बताया था कि झमटा पंचायत के मेटन गांव में पीडब्लूडी सड़क में कटान होने से नदी का रुख गांव की ओर बढ़ रहा है। सड़क आधे से ज्यादा खोखला हो चुका है। यदि 03 से 04 फीट सड़क और टूट जायेगा या बाढ़ के पानी में समा जायेगा तो सड़क पार वार्ड संख्या 02 स्थित बस्ती का अधिकतर घर तहस-नहस हो जायेगा। साथ ही नदी अपना रुख बदल लेगी। उक्त बात की जानकारी जिप सदस्य सबा फैसल द्वारा आपदा विभाग के अधिकारियों को दी जा चुकी है। जिसे ग्रामीण कार्य विभाग कार्य प्रमंडल, अररिया के कार्यपालक अभियंता ने जिप सदस्य का सहयोग लेते हुए स्वयं स्थल निरीक्षण कर इसके गंभीरता को समझा। लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्य नहीं होने से ग्रामीण डर के साये में जी रहे हैं। प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन्होंने कहा है कि अररिया के अधिकारी और नेता नहीं चाहते हैं कि कटान रुके। वो अक्सर चाहते हैं कि कटान ज्यादा से ज्यादा हो। ताकि बड़े से बड़े रकम को डकारा जा सके। वरना जो कटान को रोकना 08-10 हजार रुपये के बजट में संभव है। सूचना मिलने, ज्वाइंट विजिट और गुजारिश करने के बावजूद भी उसपर काम नहीं होता और जिससे कटान बढ़ता जाता है। जब इसे रोकने के लिए लाखों-करोड़ों रुपये का बजट की आवश्यकता होती है। तब वो कार्रवाई की जाती है। ताकि ज्यादा से ज्यादा कमिशन मिल सके। लेकिन इस बीच कई घर तबाह और बर्बाद हो जाते हैं। सरकार और नेताओं को बस अपने कमिशन से मतलब है। ऐसे कई मामले अधिकारों के पास पेंडिंग पडे़ हुए है। बाढ़ पूर्व तैयारी के नाम पर कुछ भी नहीं हो रहा। आगे उन्होंने बताया कि जिला पदाधिकारी को अवगत कराते हुए आवेदन दिया गया था कि आपदा संपूर्ति पोर्टल पर लाभुकों की सूची वर्ष 2017 में तैयार की गई। 07 वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई नाम जोड़ या हटाया नहीं गया। इस कारण इसमें कई सारी कमियां विद्यमान है। जैसे कि बहुत से लाभुकों की मृत्यु हो चुकी है। कुछ लाभुक अपना निवास स्थान बदल चुके हैं। 2017 से अब तक के बीच जितने नये घर बने हैं। उनका नाम किसी सूची में नहीं है और पूर्व से नाम दर्ज लागू को किसी तकनीकी कारण से आधार सत्यापन नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति पोर्टल के में नये सिरे से लाभुकों को चयनित कर जोड़ने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पोर्टल में तकनीकी समस्या को दूर करने की दिशा में कार्रवाई करने की मांग की गई है। ताकि विषम परिस्थिति में जरूरतमंदों को मदद पहुंचाया जा सके। हालंकि सरकार ने राजस्व कर्मचारीयों को पुराने लाभुकों का आधार सत्यापन के लिए आदेश जारी किया है। लेकिन तकनीकी कारण से सत्यापन नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में टार्गेट पूरा करने के लिए वे लाभुकों का नाम ही डिलीट कर रहे हैं। ऐसी खबरें भी सूत्रों से विभाग के अंदर खाने से आ रही है। हर साल बाढ़ आता है। जिसके लिए कई विभाग हैं। करोड़ों रुपया खर्च भी होता है। पोल खुलने के बाद भी जिला प्रशासन सक्रिय नहीं हो रही है।