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अररिया में मजदूर दिवस पर जन सैलाब, जन जागरण शक्ति संगठन के मजदूर मेले में उमड़े हजारों श्रमिक।

सारस न्यूज़, अररिया।

श्रमिक अधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता अभियान, चुनावी मुद्दा बनाने का आह्वान

अररिया (बिहार): अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर 1 मई 2025 को जन जागरण शक्ति संगठन द्वारा महात्मा गांधी स्मारक उच्च विद्यालय, अररिया आर.एस. में भव्य मजदूर मेला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में अररिया, कटिहार, सहरसा, मुजफ्फरपुर और पूर्णिया जिलों से हजारों श्रमिकों और किसानों ने भाग लिया। मेले ने न केवल मजदूरों के संघर्षों को सम्मान दिया, बल्कि सामाजिक एकता और जन-जागरूकता का संदेश भी दिया।

जन मेले की जीवंत झलकियाँ:
मेले में चारों ओर उत्सव का माहौल था। सस्ते दामों पर किताबें, औजार, वस्त्र, खिलौने, आभूषण और चाय-नाश्ते के स्टॉल पर भारी भीड़ उमड़ी। सांस्कृतिक मंच पर कटिहार से आई आदिवासी नृत्य मंडली ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। गीतों में धर्म और जाति की सीमाओं से ऊपर उठकर एकजुटता का संदेश प्रतिध्वनित हुआ।

बच्चों के लिए प्रथम संस्था द्वारा आयोजित बाल प्रदर्शनी विशेष आकर्षण बनी रही। वहीं छत्तीसगढ़ से आईं डॉ. वसु ने सैकड़ों मजदूरों की स्वास्थ्य जांच कर उन्हें जरूरी परामर्श दिया। इस अवसर पर महान क्रांतिकारियों की स्मृति में एक विशेष कैलेंडर का विमोचन भी किया गया।

क्रांतिकारी गीतों से गूंज उठा मंच:
संगठन की सांस्कृतिक टीम ने मजदूर एकता और बदलाव की प्रेरणा से भरे गीत पेश किए —
“हम लोग हैं ऐसे दीवाने, दुनिया को बदलकर मानेंगे”
“बदली के देसवा के खाका बलमवा, ले ल ललका पताका रे”
इन गीतों ने युवाओं और मजदूरों में नई ऊर्जा का संचार किया।

संगठन के नेताओं ने रखे विचार:

  • रणजीत पासवान ने मजदूर दिवस के वैश्विक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “आठ घंटे कार्य, आठ घंटे आराम और आठ घंटे मनोरंजन के अधिकार को छीनने की कोशिशें हो रही हैं। बेरोजगारी बढ़ रही है और मजदूरों से अमानवीय शर्तों पर काम करवाया जा रहा है — इसे रोकना होगा।”
  • सचिव आशीष रंजन ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “आज की राजनीति मजदूरों के बुनियादी सवालों से भटक गई है। हमें लोकतंत्र की मुख्य धारा को अपने अधिकारों की दिशा में मोड़ना होगा।”
  • महासचिव जितेन्द्र पासवान ने मनरेगा की दुर्दशा उजागर करते हुए कहा, “₹255 प्रतिदिन की मजदूरी और महीनों की देरी — यह मजदूरों के साथ अन्याय है। सरकार को जवाब देना होगा।”
  • कामायनी स्वामी (बिहार राज्य विद्यालय रसोइया यूनियन) ने विद्यालय रसोइयों की दशा पर चिंता जताते हुए कहा, “₹1650 मासिक यानी मात्र ₹50 प्रतिदिन में रसोइयों से काम लिया जा रहा है — यह बेगार से कम नहीं।”

सफल आयोजन के पीछे समर्पित सहयोग:
इस आयोजन को सफल बनाने में तन्मय, सोहिनी, मांडवी देवी, सुनील, सुलोचना, दीपक, लक्ष्मी, रंजय, गोपाल, नीतू और श्रीदेव ने अहम भूमिका निभाई। स्थानीय नागरिकों का भी आयोजन में भरपूर सहयोग मिला।


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