महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) को समाप्त करने के विरोध में जन जागरण शक्ति संगठन, जन आंदोलन का राष्ट्रीय समन्वय एवं मनरेगा संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में अररिया बस स्टैंड से एक विरोध रैली निकाली गई। रैली अपने निर्धारित गंतव्य धरना स्थल पर पहुंचकर सभा में तब्दील हो गई। इसके बाद जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया।
रैली में बड़ी संख्या में मजदूर शामिल हुए। मजदूरों ने एक स्वर में कहा कि बिना किसी व्यापक चर्चा के तथा संसदीय नियमों की अनदेखी करते हुए आनन-फानन में पारित किए गए नए गारंटी रोजगार एवं आजीविका मिशन अधिनियम (ग्रामीण) का वे पुरजोर विरोध करते हैं। मजदूरों का कहना था कि मनरेगा कानून उन्हें काम का कानूनी अधिकार देता था। मजदूर काम की मांग करते थे और सरकार को काम देना अनिवार्य था, लेकिन नए कानून के तहत सरकार को मनमाने ढंग से काम खोलने या न खोलने की छूट दे दी गई है।
सभा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने इस मजदूर-विरोधी और संविधान-विरोधी कानून की प्रतियों को प्रतीकात्मक रूप से जलाया। “मनरेगा पर हमला नहीं चलेगा”, “काम का अधिकार वापस करो”, “संविधान बचाओ, मजदूर बचाओ” जैसे नारों के साथ मजदूरों ने अपना आक्रोश प्रकट किया।
जन जागरण शक्ति संगठन के अध्यक्ष कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि सरकार मनमानी कर रही है। बिहार में हर साल लगभग 50 लाख और देशभर में करीब 5 करोड़ परिवार मनरेगा के तहत काम करते हैं। इतने महत्वपूर्ण कानून को बिना व्यापक चर्चा और बहस के पारित कर दिया गया, जिससे देशभर के मजदूरों में आक्रोश है।
सभा को संबोधित करते हुए मांडवी देवी ने कहा कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी कानून ने मजदूरों को 100 दिनों के काम का अधिकार दिया था, लेकिन अब यह अधिकार छीन लिया गया है। नई योजना के तहत सरकार साल में दो महीने तक काम बंद रखेगी। साथ ही बिहार जैसे गरीब राज्य को इसके लिए हर साल हजारों करोड़ रुपये देने होंगे, जबकि पहले मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करती थी। ऐसे में 100 दिनों का काम मिलना असंभव प्रतीत हो रहा है।
वहीं मायानंद ऋषिदेव ने कहा कि जब सरकार 125 दिन काम देने की बात कर रही है, तो फिर कानून बदलने की आवश्यकता क्या थी? महात्मा गांधी के नाम को क्यों हटाया गया? इससे सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं होती।
रैली में दीपनारायण पासवान, ज्योति कुमारी, नीतू माहि, रश्मि कुमारी, गौतम कुमार, पवन राम, नारद पासवान, ब्रह्मानंद ऋषिदेव, सुनील कुमार, पवन कुमार सहित दर्जनों मजदूर मौजूद थे।
सारस न्यूज़, अररिया।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) को समाप्त करने के विरोध में जन जागरण शक्ति संगठन, जन आंदोलन का राष्ट्रीय समन्वय एवं मनरेगा संघर्ष मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में अररिया बस स्टैंड से एक विरोध रैली निकाली गई। रैली अपने निर्धारित गंतव्य धरना स्थल पर पहुंचकर सभा में तब्दील हो गई। इसके बाद जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया।
रैली में बड़ी संख्या में मजदूर शामिल हुए। मजदूरों ने एक स्वर में कहा कि बिना किसी व्यापक चर्चा के तथा संसदीय नियमों की अनदेखी करते हुए आनन-फानन में पारित किए गए नए गारंटी रोजगार एवं आजीविका मिशन अधिनियम (ग्रामीण) का वे पुरजोर विरोध करते हैं। मजदूरों का कहना था कि मनरेगा कानून उन्हें काम का कानूनी अधिकार देता था। मजदूर काम की मांग करते थे और सरकार को काम देना अनिवार्य था, लेकिन नए कानून के तहत सरकार को मनमाने ढंग से काम खोलने या न खोलने की छूट दे दी गई है।
सभा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने इस मजदूर-विरोधी और संविधान-विरोधी कानून की प्रतियों को प्रतीकात्मक रूप से जलाया। “मनरेगा पर हमला नहीं चलेगा”, “काम का अधिकार वापस करो”, “संविधान बचाओ, मजदूर बचाओ” जैसे नारों के साथ मजदूरों ने अपना आक्रोश प्रकट किया।
जन जागरण शक्ति संगठन के अध्यक्ष कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि सरकार मनमानी कर रही है। बिहार में हर साल लगभग 50 लाख और देशभर में करीब 5 करोड़ परिवार मनरेगा के तहत काम करते हैं। इतने महत्वपूर्ण कानून को बिना व्यापक चर्चा और बहस के पारित कर दिया गया, जिससे देशभर के मजदूरों में आक्रोश है।
सभा को संबोधित करते हुए मांडवी देवी ने कहा कि महात्मा गांधी रोजगार गारंटी कानून ने मजदूरों को 100 दिनों के काम का अधिकार दिया था, लेकिन अब यह अधिकार छीन लिया गया है। नई योजना के तहत सरकार साल में दो महीने तक काम बंद रखेगी। साथ ही बिहार जैसे गरीब राज्य को इसके लिए हर साल हजारों करोड़ रुपये देने होंगे, जबकि पहले मजदूरी का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करती थी। ऐसे में 100 दिनों का काम मिलना असंभव प्रतीत हो रहा है।
वहीं मायानंद ऋषिदेव ने कहा कि जब सरकार 125 दिन काम देने की बात कर रही है, तो फिर कानून बदलने की आवश्यकता क्या थी? महात्मा गांधी के नाम को क्यों हटाया गया? इससे सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं होती।
रैली में दीपनारायण पासवान, ज्योति कुमारी, नीतू माहि, रश्मि कुमारी, गौतम कुमार, पवन राम, नारद पासवान, ब्रह्मानंद ऋषिदेव, सुनील कुमार, पवन कुमार सहित दर्जनों मजदूर मौजूद थे।