केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के तहत अगले साल से सरकारी स्कूलों में तीसरी, पांचवीं और आठवीं की भी बोर्ड जैसी परीक्षा हो सकती है। इसे लेकर शिक्षा मंत्रालय ने पत्र लिखकर बिहार समेत अन्य राज्यों से सुझाव मांगा है। शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने केंद्र सरकार की चिट्ठी की पुष्टि करते हुए कहा कि प्रारंभिक विद्यालयों में तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा की परीक्षाएं भी दसवीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं जैसी आयोजित की जा सकती हैं। फिलहाल यह बोर्ड परीक्षा नहीं होगी, बल्कि उसकी जैसी होगी। इनका आयोजन भी क्षेत्रीय स्तर पर उपयुक्त प्राधिकरण की देखरेख में होगा। राज्य सरकार जल्द ही अपना सुझाव केंद्र को देगी।
केंद्र सरकार की चिट्ठी का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि कई राज्यों में पहले भी पांचवीं और आठवीं कक्षा के स्तर पर बोर्ड जैसी परीक्षाएं ली जाती थीं, लेकिन वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार (आरटीई ) कानून आने के बाद यह व्यवस्था बंद कर दी गई, क्योंकि इस कानून के तहत आठवीं तक किसी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था। इस बीच कई राज्यों ने शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने की पहल के तहत पांचवीं और आठवीं की परीक्षाओं को फिर से शुरू करने की पहल की है। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने की इस पहल के तहत शिक्षा मंत्रालय की ओर से नए कदम की तैयारी है, जिसमें तीसरी, पांचवीं एवं आठवीं कक्षा की परीक्षा को भी बोर्ड जैसी परीक्षा आयोजित कराने का प्रस्ताव बनाया गया है। नई शिक्षा नीति में भी इसे लेकर सिफारिश की गई है।
सारस न्यूज टीम, पटना।
केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के तहत अगले साल से सरकारी स्कूलों में तीसरी, पांचवीं और आठवीं की भी बोर्ड जैसी परीक्षा हो सकती है। इसे लेकर शिक्षा मंत्रालय ने पत्र लिखकर बिहार समेत अन्य राज्यों से सुझाव मांगा है। शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने केंद्र सरकार की चिट्ठी की पुष्टि करते हुए कहा कि प्रारंभिक विद्यालयों में तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा की परीक्षाएं भी दसवीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं जैसी आयोजित की जा सकती हैं। फिलहाल यह बोर्ड परीक्षा नहीं होगी, बल्कि उसकी जैसी होगी। इनका आयोजन भी क्षेत्रीय स्तर पर उपयुक्त प्राधिकरण की देखरेख में होगा। राज्य सरकार जल्द ही अपना सुझाव केंद्र को देगी।
केंद्र सरकार की चिट्ठी का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि कई राज्यों में पहले भी पांचवीं और आठवीं कक्षा के स्तर पर बोर्ड जैसी परीक्षाएं ली जाती थीं, लेकिन वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार (आरटीई ) कानून आने के बाद यह व्यवस्था बंद कर दी गई, क्योंकि इस कानून के तहत आठवीं तक किसी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था। इस बीच कई राज्यों ने शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने की पहल के तहत पांचवीं और आठवीं की परीक्षाओं को फिर से शुरू करने की पहल की है। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने की इस पहल के तहत शिक्षा मंत्रालय की ओर से नए कदम की तैयारी है, जिसमें तीसरी, पांचवीं एवं आठवीं कक्षा की परीक्षा को भी बोर्ड जैसी परीक्षा आयोजित कराने का प्रस्ताव बनाया गया है। नई शिक्षा नीति में भी इसे लेकर सिफारिश की गई है।
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