संभलकर इस नए वायरस की चपेट में है पूरे भारत, सर्दी-खांसी बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं तेजी से, लगभग हर घर में एक व्यक्ति Influenza H3N2 वायरस से हैं पीड़ित।
पूरे भारत में इस समय फ्लू की चपेट में है। सर्दी-खांसी के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। लगभग हर घर में एक व्यक्ति Influenza H3N2 वायरस से पीड़ित है। मरीजों का कहना है कि बुखार तो 2 से 4 दिन में चला जा रहा है वहीं खांसी और गले में खरास हफ्तों तक बनी हुई है। इस बीच मार्केट में कफ सिरप और एंटी-एलर्जी दावाओं की बिक्री बढ़ रही है। फ्लू के मरीज बढ़ने के साथ इनकी बिक्री में जबरदस्त उछाल देखा गया है। शहर के दवाई विक्रेताओं के अनुसार, पिछले 45 दिनों में एंटी एलर्जिक दवाइओं की खरीद में 35 फीसदी तो वहीं दुकान में मौजूद अलग-अलग तरह की कफ सिरप की बिक्री में 25 फीसदी का उछाल देखा गया है। वहीं पिछले हफ्ते ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इसके बाबत एक एडवायजरी भी जारी कर चुका है।
एंटीबायोटिक दवाईयां नहीं पहुंचा रहीं फायदा डॉक्टरों ने बताया कि Influenza H3N2 वायरस सबसे पहले गले पर अटैक करता है। इसके बाद मरीज को गले में खरास जैसा फील होता है। यही नहीं इस वायरस के चलते मरीज को अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। डॉक्टरों ने आगे बताया कि हवा में घुला जहर और एलर्जी के चलते मरीज के अंदर ज्यादा समय तक कफ बना रहता है। डॉक्टरों ने आगे बताया कि एंटी एलर्जिक दवाईयां और इनहेलर का उपयोग एक बेहतर इलाज हो सकता है। हालांकि डॉक्टरों ने यह भी कहा कि एंटीबायोटिक दवाईयों का ज्यादा सेवन कोई खास फायदा नहीं पहुंचाएगा।
IMA भी जारी कर चुका है एडवायजरी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 3 दिन पहले H3N2 वायरस को लेकर एक एडवायजरी भी जारी की थी। एडवायजरी में बताया गया था कि इन्फ्लुएंजा या अन्य वायरस के कारण इस समय लोगों को सर्दी-खांसी होना आम बात है। हालांकि IMA ने इस वायरस से निपटने के लिए एंटीबायोटिक दवाइयों के इस्तेमाल पर कहा कि एजिथ्रोमाइसिन और एमोक्सिक्लेव जैसी एंटीबायोटिक का प्रयोग न करें। ऐसा देखा जा रहा है कि कुछ लोग एंटीबायोटिक दवाओं का कुछ शर्तों के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके चलते यह दवाईयां रोगियों के बीच प्रतिरोध विकसित कर रहे हैं।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
पूरे भारत में इस समय फ्लू की चपेट में है। सर्दी-खांसी के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। लगभग हर घर में एक व्यक्ति Influenza H3N2 वायरस से पीड़ित है। मरीजों का कहना है कि बुखार तो 2 से 4 दिन में चला जा रहा है वहीं खांसी और गले में खरास हफ्तों तक बनी हुई है। इस बीच मार्केट में कफ सिरप और एंटी-एलर्जी दावाओं की बिक्री बढ़ रही है। फ्लू के मरीज बढ़ने के साथ इनकी बिक्री में जबरदस्त उछाल देखा गया है। शहर के दवाई विक्रेताओं के अनुसार, पिछले 45 दिनों में एंटी एलर्जिक दवाइओं की खरीद में 35 फीसदी तो वहीं दुकान में मौजूद अलग-अलग तरह की कफ सिरप की बिक्री में 25 फीसदी का उछाल देखा गया है। वहीं पिछले हफ्ते ही इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इसके बाबत एक एडवायजरी भी जारी कर चुका है।
एंटीबायोटिक दवाईयां नहीं पहुंचा रहीं फायदा डॉक्टरों ने बताया कि Influenza H3N2 वायरस सबसे पहले गले पर अटैक करता है। इसके बाद मरीज को गले में खरास जैसा फील होता है। यही नहीं इस वायरस के चलते मरीज को अस्थमा, सांस लेने में तकलीफ जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। डॉक्टरों ने आगे बताया कि हवा में घुला जहर और एलर्जी के चलते मरीज के अंदर ज्यादा समय तक कफ बना रहता है। डॉक्टरों ने आगे बताया कि एंटी एलर्जिक दवाईयां और इनहेलर का उपयोग एक बेहतर इलाज हो सकता है। हालांकि डॉक्टरों ने यह भी कहा कि एंटीबायोटिक दवाईयों का ज्यादा सेवन कोई खास फायदा नहीं पहुंचाएगा।
IMA भी जारी कर चुका है एडवायजरी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 3 दिन पहले H3N2 वायरस को लेकर एक एडवायजरी भी जारी की थी। एडवायजरी में बताया गया था कि इन्फ्लुएंजा या अन्य वायरस के कारण इस समय लोगों को सर्दी-खांसी होना आम बात है। हालांकि IMA ने इस वायरस से निपटने के लिए एंटीबायोटिक दवाइयों के इस्तेमाल पर कहा कि एजिथ्रोमाइसिन और एमोक्सिक्लेव जैसी एंटीबायोटिक का प्रयोग न करें। ऐसा देखा जा रहा है कि कुछ लोग एंटीबायोटिक दवाओं का कुछ शर्तों के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके चलते यह दवाईयां रोगियों के बीच प्रतिरोध विकसित कर रहे हैं।
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