नई दिल्ली, 15 मई 2025: पाकिस्तान ने भारत के साथ सिंधु जल संधि पर रुकी हुई वार्ताओं को दोबारा शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा भारत की जल सचिव को हाल ही में भेजे गए पत्र में यह आग्रह किया गया है कि भारत अपने प्रतिनिधियों को नामित करे ताकि वे पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त के साथ वार्ता कर सकें।
इस पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान भारत द्वारा संधि को अस्थायी रूप से स्थगित किए जाने को लेकर असहमति जताता है, परंतु वह संवाद के लिए तैयार है और आवश्यक व्यवस्थाओं को लेकर आगे बढ़ना चाहता है।
सूत्रों के अनुसार, भारत की ओर से अब तक इस पत्र का कोई औपचारिक उत्तर नहीं दिया गया है। भारत का रुख पहले से ही यह रहा है कि सिंधु जल संधि के किसी भी संशोधन या पुनः विचार की प्रक्रिया केवल दोनों देशों की सरकारों के बीच होनी चाहिए, न कि सिर्फ सिंधु आयुक्तों के माध्यम से।
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष सितंबर में भारत ने यह स्पष्ट कर दिया था कि जब तक दोनों देशों की सरकारें आपस में बैठकर संधि की शर्तों पर चर्चा नहीं करतीं, तब तक स्थायी सिंधु आयोग की बैठकें नहीं होंगी। आखिरी बैठक मई 2022 में आयोजित की गई थी। उसके बाद भारत ने कई बार पाकिस्तान को संधि की समीक्षा के लिए प्रस्ताव भेजे, लेकिन किसी भी प्रयास को ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली।
पिछले दिनों कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमलों के बाद भारत ने इस संधि को रोक दिया था और सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान को पानी की एक बूंद भी न देने की बात कही थी।
संधि के प्रावधानों के अनुसार, भारत पश्चिम की नदियों – इंडस, झेलम और चिनाब – पर बड़े जलाशय नहीं बना सकता और न ही जल प्रवाह को इस तरह रोक सकता है जिससे पाकिस्तान की कृषि या जल आपूर्ति प्रभावित हो। भारत के किशनगंगा और बगलिहार जैसे हाइड्रो प्रोजेक्ट “रन-ऑफ-द-रिवर” प्रणाली पर आधारित हैं जो जल को रोकते नहीं बल्कि विद्युत उत्पादन के लिए बहाव का मार्ग बदलते हैं। पाकिस्तान कई बार इन प्रोजेक्ट्स की डिज़ाइन को लेकर आपत्ति जताता रहा है, जबकि भारत का कहना है कि ये परियोजनाएं पूरी तरह संधि के दायरे में हैं।
फिलहाल भारत इस नई पहल पर क्या रुख अपनाएगा, यह देखना बाकी है।
नई दिल्ली, 15 मई 2025: पाकिस्तान ने भारत के साथ सिंधु जल संधि पर रुकी हुई वार्ताओं को दोबारा शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा भारत की जल सचिव को हाल ही में भेजे गए पत्र में यह आग्रह किया गया है कि भारत अपने प्रतिनिधियों को नामित करे ताकि वे पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त के साथ वार्ता कर सकें।
इस पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि पाकिस्तान भारत द्वारा संधि को अस्थायी रूप से स्थगित किए जाने को लेकर असहमति जताता है, परंतु वह संवाद के लिए तैयार है और आवश्यक व्यवस्थाओं को लेकर आगे बढ़ना चाहता है।
सूत्रों के अनुसार, भारत की ओर से अब तक इस पत्र का कोई औपचारिक उत्तर नहीं दिया गया है। भारत का रुख पहले से ही यह रहा है कि सिंधु जल संधि के किसी भी संशोधन या पुनः विचार की प्रक्रिया केवल दोनों देशों की सरकारों के बीच होनी चाहिए, न कि सिर्फ सिंधु आयुक्तों के माध्यम से।
ज्ञात हो कि पिछले वर्ष सितंबर में भारत ने यह स्पष्ट कर दिया था कि जब तक दोनों देशों की सरकारें आपस में बैठकर संधि की शर्तों पर चर्चा नहीं करतीं, तब तक स्थायी सिंधु आयोग की बैठकें नहीं होंगी। आखिरी बैठक मई 2022 में आयोजित की गई थी। उसके बाद भारत ने कई बार पाकिस्तान को संधि की समीक्षा के लिए प्रस्ताव भेजे, लेकिन किसी भी प्रयास को ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली।
पिछले दिनों कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमलों के बाद भारत ने इस संधि को रोक दिया था और सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान को पानी की एक बूंद भी न देने की बात कही थी।
संधि के प्रावधानों के अनुसार, भारत पश्चिम की नदियों – इंडस, झेलम और चिनाब – पर बड़े जलाशय नहीं बना सकता और न ही जल प्रवाह को इस तरह रोक सकता है जिससे पाकिस्तान की कृषि या जल आपूर्ति प्रभावित हो। भारत के किशनगंगा और बगलिहार जैसे हाइड्रो प्रोजेक्ट “रन-ऑफ-द-रिवर” प्रणाली पर आधारित हैं जो जल को रोकते नहीं बल्कि विद्युत उत्पादन के लिए बहाव का मार्ग बदलते हैं। पाकिस्तान कई बार इन प्रोजेक्ट्स की डिज़ाइन को लेकर आपत्ति जताता रहा है, जबकि भारत का कहना है कि ये परियोजनाएं पूरी तरह संधि के दायरे में हैं।
फिलहाल भारत इस नई पहल पर क्या रुख अपनाएगा, यह देखना बाकी है।
Leave a Reply