सारस न्यूज, किशनगंज।
जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आईएनडीआईए गठबंधन और कांग्रेस को चुनाव में व्यस्त बताकर आईएनडीआईए गठबंधन के भविष्य पर नीतीश कुमार ने जो सवाल उठाया था, उस पर प्रशांत ने कहा कि आप बिना किसी नैरेटिव के, बिना किसी विचारधारा के, बिना किसी कार्यक्रम के आप अलग-अलग दलों के नेताओं को एक साथ बैठा देंगे। नेता या दल एक साथ चाय पी सकते हैं, नाश्ता कर सकते हैं, इसके बाद प्रेस वार्ता भी कर सकते हैं, लेकिन उससे जमीन पर कोई असर नहीं हो सकता है। पिछले 2 सालों से मैं बता रहा कि नेताओं के साथ बैठ जाने से गठबंधन की ताकत नहीं बनती है। अगर आपके पास नैरेटिव नहीं है और जमीन पर जनता से जुड़ने के लिए मुद्दे नहीं हैं तो आपको राजनीतिक सफलता नहीं मिल सकती है। आईएनडीआईए जो गठबंधन बना है उसमें पिछले 4 महीने से इनकी उपलब्धि क्या है? पिछले 4 महीनों में ये दल 3 बार मिले हैं और अपना नाम यूपीए से बदल कर आईएनडीआईए कर दिया है। इसके बाद इन गठबंधनों ने न कोई अपना कार्यक्रम घोषित किया न ही कोई जमीन पर कार्यक्रम किया, न कोई नेता का ऐलान किया, न कोई कमेटी बनाई, न कोई जनमानस के मुद्दे पर आंदोलन शुरू किया, तो अभी तो स्थिति यही है। आगे कुछ इस पर करेंगे तो तीखा टिप्पणी की जाएगी।
मधुबनी के जयनगर में पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि आईएनडीआईए में जो आपस में खींचतान दिख रही है वो तो होना ही होना है। अलग – अलग जो ईंट होती है, उसे जोड़ने के लिए सीमेंट चाहिए होता है, नहीं तो अगर ईंट के ऊपर ईंट रखीं जाए तो भर भराकर गिर जाया करती है। नेता भी ठीक वैसे ही सीमेंट के जैसा काम करता है जो इनको जोड़कर रखता है। आईएनडीआईए गठबंधन ने कोई अपना मिनिमम कॉमन प्रोग्राम शुरू नहीं किया है जिसे जनता समझ पाए। यही वजह है कि आप जो देख रहे हैं जो नीतीश कुमार 2 दिन पहले कह रहे थे कि कांग्रेस सीरियस नहीं है। अखिलेश यादव ने इससे पहले मध्य प्रदेश की घटनाओं पर अपनी राय रखी थी। चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आएगा आपको ये विरोधाभास आपको और अधिक देखने को मिलेगा।
