शुक्रवार को किशनगंज प्रखंड के पाटकोई विद्यालय में आरबीएस के दल ने बच्चों की स्क्रिनिंग की। इस संबंध में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डा. मुनाजिम ने बताया कि विद्यालय में 35 बालक एवं 37 बालिका की 38 तरह की बीमारी की स्क्रीनिंग की गई। इसके साथ साथ अन्य चिकित्सा सुविधा भी दी गई। स्क्रीनिंग के दौरान एक बालक एवं एक बालिका समस्या से ग्रसित पाए गए। जिससे बेहतर उपचार के लिए रेफर किया गया।
आरबीएसके के संबंध में जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि देश के भविष्य अपने नौनिहालों के लिए स्वस्थ रहना बेहद महत्वपूर्ण है। बच्चें स्वस्थ रहेंगे तो हमारा समाज व देश भी स्वस्थ रहेंगे। इसलिए सरकार बाल स्वास्थ्य देखभाल की शुरुआती पहचान और उपचार के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एक नई पहल है।
जिसका उद्देश्य शून्य से 18 वर्ष के सभी बच्चों में चार प्रकार की परेशानियों की जांच करनी है। इन परेशानियों में जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रुकावट की जांच शामिल है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में दल पहुंचती है। टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं। जांच में सामान्य बीमारी मिलने पर मौके से दवा दी जाती है।
वहीं, बीमारी गंभीर के संकेत मिलने पर समुचित इलाज के लिए निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाता है। वहींं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जिला समन्यवक डा. ब्रह्मदेव शर्मा ने बताया कि ऐसे बच्चे जिसके दिल में छेद है, उनकी जांच के साथ ऑपरेशन का सभी खर्च सरकार द्वारा आरबीएसके के तहत मुहैया कराया जाता हैं।
सारस न्यूज, किशनगंज।
शुक्रवार को किशनगंज प्रखंड के पाटकोई विद्यालय में आरबीएस के दल ने बच्चों की स्क्रिनिंग की। इस संबंध में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डा. मुनाजिम ने बताया कि विद्यालय में 35 बालक एवं 37 बालिका की 38 तरह की बीमारी की स्क्रीनिंग की गई। इसके साथ साथ अन्य चिकित्सा सुविधा भी दी गई। स्क्रीनिंग के दौरान एक बालक एवं एक बालिका समस्या से ग्रसित पाए गए। जिससे बेहतर उपचार के लिए रेफर किया गया।
आरबीएसके के संबंध में जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि देश के भविष्य अपने नौनिहालों के लिए स्वस्थ रहना बेहद महत्वपूर्ण है। बच्चें स्वस्थ रहेंगे तो हमारा समाज व देश भी स्वस्थ रहेंगे। इसलिए सरकार बाल स्वास्थ्य देखभाल की शुरुआती पहचान और उपचार के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एक नई पहल है।
जिसका उद्देश्य शून्य से 18 वर्ष के सभी बच्चों में चार प्रकार की परेशानियों की जांच करनी है। इन परेशानियों में जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रुकावट की जांच शामिल है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों में दल पहुंचती है। टीम में शामिल आयुष चिकित्सक बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं। जांच में सामान्य बीमारी मिलने पर मौके से दवा दी जाती है।
वहीं, बीमारी गंभीर के संकेत मिलने पर समुचित इलाज के लिए निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भेजा जाता है। वहींं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम जिला समन्यवक डा. ब्रह्मदेव शर्मा ने बताया कि ऐसे बच्चे जिसके दिल में छेद है, उनकी जांच के साथ ऑपरेशन का सभी खर्च सरकार द्वारा आरबीएसके के तहत मुहैया कराया जाता हैं।
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