सारस न्यूज टीम, बेतिया।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) क्षेत्र के जानवरों की हमेशा निगरानी होती रहती हैं। ऐसे में वीटीआर या उससे संबंधित किसी भी चीज में बढ़ोतरी होने पर इसे खुशी का प्रतिक माना जाता है। इन दिनों यहां कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। दरअसल वाल्मीकिनगर की गंडक नदी में निरीक्षण के दौरान घड़ियाल के पांच घोसले मिले, जिसमें से एक घोसले के अंडे को सियार और अन्य जीवों ने खा लिया है। वहीं एक अन्य घोसले के अंडे गंडक नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण बह गए। अन्य तीन घोसले से 148 घड़ियाल के बच्चे मिले हैं। इनके बेहतर रखरखाव हेतु गंडक नदी में बगहा से फतेहाबाद (मुजफ्फरपुर) तक 140 किमी लंबे घड़ियाल अधिवास क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है।
डब्ल्यूटीआई के अधिकारी सुब्रत बहेरा ने बताया वाल्मीकिनगर से मुजफ्फरपुर तक की गंडक में अगर घड़ियाल के इन बच्चों का बेहतर रखरखाव हुआ तो वाल्मीकिनगर की गंडक नदी में घड़ियालों की संख्या फिर से बढ़ जाएगी. सुब्रत बहेरा ने बताया कि घड़ियालों की मौत के कारण वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में इनकी संख्या में कमी आ जाती है। ऐसे में पिछले साल और इस साल जो बच्चे जन्म लिए हैं। उनको रखने के लिए गंडक नदी में बगहा एक से फतेहाबाद (मुजफ्फरपुर) तक 140 किलोमीटर लंबे घड़ियाल अधिवास क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।
गंडक नदी का जल स्तर बढ़ने से घड़ियालों के अंडें तथा उनके छोटे बच्चों की बहकर मौत हो जाती है। साथ ही जल स्तर की अधिक कमी होने से भी उनकी मौत हो जाती है। मछुआरों द्वारा लगाए गए जाल मे फंसकर भी घड़ियाल के बच्चों की मौत हो जाती है। बैट्री संचालित करंट लगाने के कारण भी घड़ियाल समेत अन्य जलीय जीवों की मौत हो जाती है।
इस संबंध में जब हमने वीटीआर के निदेशक डा. नेशामणी के से बात की तो उन्होंने बताया कि गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने से घड़ियालों के अंडों और उनके छोटे बच्चों की नदी में बहकर मौत हो जाती है। इसे देखते हुए उनके अंडे और छोटे बच्चों को बेहतर रखरखाव और संरक्षण के लिए डब्ल्यूटीआई और वन विभाग प्रशासन की ओर से एक मास्टर प्लान बनाया गया है। इसके जरिए घड़ियालों के अड़े और उनके छोटे बच्चों को नदी से निकालकर एक सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा तथा बड़ा होने पर उन्हें पुन: वाल्मीकिनगर की गंडक नदी में छोड़ दिया जाएगा।