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जाति आधारित जनगणना हेतु प्रगणक पद पर विद्यालयों के शिक्षिकाओं की प्रतिनियुक्तियों से कार्य में पड़ सकता है प्रभाव।

सारस न्यूज, किशनगंज।

बिहार जाति आधारित जनगणना हेतु प्रगणक पद पर विद्यालयों के शिक्षक – शिक्षिकाओं के साथ अन्य विभागों के कर्मियों को प्रतिनियुक्त किया गया है। इसमें पर्याप्त संख्या में पुरुष बल की उपलब्धता के बावजूद बड़ी संख्या में शिक्षिकाओं को प्रतिनियुक्त किया गया है। शिक्षिकाओं के प्रगणक पद पर प्रतिनियुक्ति आदेश में वार्ड आवंटन को लेकर उनसभी में भारी बेचैनी देखी जा रही है। कई शिक्षिकाएं जो मातृत्व अवकाश, चिकित्सा अवकाश, गर्भावस्था तथा तीन से छः माह के बच्चों की माता हैं, का भी नाम इस सूची में शामिल है। इसके अलावे उक्त सूची में सेवानिवृत्त और मृत शिक्षकों का भी नाम शामिल है। शिक्षिकाओं की शिकायत यह है कि उनको वैसे वार्ड आवंटित किए गए हैं जो उनके विद्यालयों से 05-08 किलो मीटर पर अवस्थित है। पीड़ित शिक्षिकाओं ने नाम नहीं छापने के शर्त्त पर बताया कि वार्ड आवंटन में व्यापक स्तर पर लापरवाही बरती गई है जिसमें संशोधन किया जाना चाहिए।

वहीं दूसरी तरफ पर्यवेक्षक पदों पर प्रतिनियुक्ति मामलें में भी स्थल चयन में लापरवाही बरती गई है। इस समस्या का समाधान करने हेतु ब्रजेश सिंह, अंचल अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ, ठाकुरगंज ने चार्ज अधिकारी सह प्रखण्ड विकास पदाधिकारी ठाकुरगंज के मोबाइल पर सम्पर्क साध उन्हें शिक्षिकाओं के समस्याओं से अवगत कराया तथा उनसे इस मामलें पर मानवता आधारित दृष्टिकोण अपनाने का अनुरोध किया।

वही इस मामलें में स्थानीय शिक्षा विभाग के कार्यालय से सम्पर्क करने पर बताया गया कि प्रतिनियुक्ति तथा वार्ड एवं स्थल आवंटन में प्रखण्ड मुख्यालय द्वारा शिक्षा विभाग से न तो विमर्श किया गया और न ही तालमेल बैठाने का कोई प्रयास किया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार जाति-आधारित जनगणना के प्रथम चरण में मकानों का सूचीकरण 07 जनवरी से आरम्भ होना है जिसके लिए विभिन्न तिथियों को प्रशिक्षण का आयोजन चार्ज अधिकारी, जाति जनगणना – सह – प्रखंड विकास पदाधिकारी ठाकुरगंज द्वारा प्रखण्ड मुख्यालय परिसर में किया गया था।

इस क्रम में कई ऐसे विद्यालय हैं जिनसे एक भी शिक्षक- शिक्षिकाओं को शामिल नहीं किया गया है और कई ऐसे विद्यालय हैं जिनसे सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को इस कार्य मे शामिल कर लिया गया है। दूसरी तरफ वर्ष 2021-22 में बहाल हुए शिक्षकों में इस बात की निराशा है कि उन्हें इस कार्य से बाहर रखा गया है जबकि वो सभी इस कार्य को करने हेतु उत्साहित होकर आदेश का इंतजार कर रहे थे।

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