मॉनसून आने के बाद भी नवादा में पानी की किल्लत कम नहीं हो रही है। जिले के एक महादलित टोले के लोग गांव से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी चापाकल से पानी लाने को विवश हैं। बड़ी बात है कि गांव में बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना के तहत पाइप भी बिछाई गई है। घर-घर नल भी लगाया गया है। लेकिन लगभग 6 महीने से मोटर खराब रहने के कारण पानी नहीं मिल पा रहा है।
मामला जिले के वारिसलीगंज प्रखंड के दोसुत पंचायत अंतर्गत गडुआ गांव के महादलित टोला का है। ग्रामीण बताते हैं कि गांव में 7 चापाकल हैं। लेकिन गर्मी के दिनों में सभी चापाकल सूख गए हैं। नल-जल का मोटर भी खराब है। इससे एक किलोमीटर दूर बेलधा गांव के पास से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि स्थानीय बीडीओ से लेकर डीएम तक आवेदन दिया गया है। लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं की गई है।
जानकारी के अनुसार इस महादलित टोले में कुल 50 घर हैं। सभी 50 घरों के लोग एक ही चापाकल पर पानी लाने जाते हैं। इस वजह से कभी-कभी पानी को लेकर तू-तू मैं-मैं भी हो जाता है।
इस बारे में डीएम उदिता सिंह ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर उस गांव में पेयजल की किल्लत है। तो जल्द ही समस्या का समाधान किया जाएगा।
सारस न्यूज टीम नवादा।
मॉनसून आने के बाद भी नवादा में पानी की किल्लत कम नहीं हो रही है। जिले के एक महादलित टोले के लोग गांव से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी चापाकल से पानी लाने को विवश हैं। बड़ी बात है कि गांव में बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना के तहत पाइप भी बिछाई गई है। घर-घर नल भी लगाया गया है। लेकिन लगभग 6 महीने से मोटर खराब रहने के कारण पानी नहीं मिल पा रहा है।
मामला जिले के वारिसलीगंज प्रखंड के दोसुत पंचायत अंतर्गत गडुआ गांव के महादलित टोला का है। ग्रामीण बताते हैं कि गांव में 7 चापाकल हैं। लेकिन गर्मी के दिनों में सभी चापाकल सूख गए हैं। नल-जल का मोटर भी खराब है। इससे एक किलोमीटर दूर बेलधा गांव के पास से पानी लाकर प्यास बुझा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि स्थानीय बीडीओ से लेकर डीएम तक आवेदन दिया गया है। लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं की गई है।
जानकारी के अनुसार इस महादलित टोले में कुल 50 घर हैं। सभी 50 घरों के लोग एक ही चापाकल पर पानी लाने जाते हैं। इस वजह से कभी-कभी पानी को लेकर तू-तू मैं-मैं भी हो जाता है।
इस बारे में डीएम उदिता सिंह ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर उस गांव में पेयजल की किल्लत है। तो जल्द ही समस्या का समाधान किया जाएगा।
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