हिमालय के पर्वतीय भाग में शुरू हुई बारिश से नदियां भी हिलोरे मारने लगी हैं। उनके जल प्रवाह की गति तेज होने लगी है। बेगूसराय जिले के गढ़पुरा प्रखंड के सीमावर्ती हसनपुर और विथान होकर बहने वाली बागमती (करेह) नदी के अलावा कमला बलान और कोसी की उप धारा में पानी तेजी से बढ़ रहा है। यही कारण है कि उस इलाके में पशु चराने गए मगध के पशुपालक अपने मवेशी के साथ अब धीरे-धीरे घर की तरफ रुख कर लिया है।
हाल ही में नेपाल के तराई भाग में हुई बारिश के बाद इन नदियों का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो गया है। वैसे तो मौसम वैज्ञानिकों ने मानसून के सामान्य रहने की घोषणा की है। अब देखना यह है कि इस बार क्या हालात रहती है। लेकिन यह तो स्पष्ट है कि पिछले दो सालों में जो बारिश ने भीषण तबाही दिखाई इससे किसानों को काफी नुकसान पहुंचा। उनकी फसलें डूब गई। कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मियों द्वारा गलत रिपोर्ट किए जाने की वजह से यहां के किसानों को सरकार द्वारा मिलने वाले कृषि इनपुट के लाभ से भी वंचित रहना पड़ा। जिसका खामियाजा आज तक किसान भुगत रहे हैं।
प्रखंड वासियों के लिए करेह और बूढ़ी गंडक नदी का बांध टूटने से कई बार बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ा है। फिलहाल इन दोनों तटबंधों के संवेदनशील जगहों पर सुरक्षात्मक कार्य किया जा रहा है। वहीं नदियों के घटते-बढ़ते जल स्तर पर भी नजर रखी जा रही है। बिहार में बारिश हो या ना हो, पर नेपाल में बारिश का सीधा प्रभाव यहां की नदियों पर पड़ता है, जिससे प्रतिवर्ष भीषण बाढ़ आती है और बहुत बड़ा इलाका इससे प्रभावित हो जाता है। वहीं दूसरी ओर नवनिर्माण में भी तेजी आ गई है। गढ़पूरा नाम मंडी के लिए विख्यात है।
सारस न्यूज टीम, बेगूसराय।
हिमालय के पर्वतीय भाग में शुरू हुई बारिश से नदियां भी हिलोरे मारने लगी हैं। उनके जल प्रवाह की गति तेज होने लगी है। बेगूसराय जिले के गढ़पुरा प्रखंड के सीमावर्ती हसनपुर और विथान होकर बहने वाली बागमती (करेह) नदी के अलावा कमला बलान और कोसी की उप धारा में पानी तेजी से बढ़ रहा है। यही कारण है कि उस इलाके में पशु चराने गए मगध के पशुपालक अपने मवेशी के साथ अब धीरे-धीरे घर की तरफ रुख कर लिया है।
हाल ही में नेपाल के तराई भाग में हुई बारिश के बाद इन नदियों का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो गया है। वैसे तो मौसम वैज्ञानिकों ने मानसून के सामान्य रहने की घोषणा की है। अब देखना यह है कि इस बार क्या हालात रहती है। लेकिन यह तो स्पष्ट है कि पिछले दो सालों में जो बारिश ने भीषण तबाही दिखाई इससे किसानों को काफी नुकसान पहुंचा। उनकी फसलें डूब गई। कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मियों द्वारा गलत रिपोर्ट किए जाने की वजह से यहां के किसानों को सरकार द्वारा मिलने वाले कृषि इनपुट के लाभ से भी वंचित रहना पड़ा। जिसका खामियाजा आज तक किसान भुगत रहे हैं।
प्रखंड वासियों के लिए करेह और बूढ़ी गंडक नदी का बांध टूटने से कई बार बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ा है। फिलहाल इन दोनों तटबंधों के संवेदनशील जगहों पर सुरक्षात्मक कार्य किया जा रहा है। वहीं नदियों के घटते-बढ़ते जल स्तर पर भी नजर रखी जा रही है। बिहार में बारिश हो या ना हो, पर नेपाल में बारिश का सीधा प्रभाव यहां की नदियों पर पड़ता है, जिससे प्रतिवर्ष भीषण बाढ़ आती है और बहुत बड़ा इलाका इससे प्रभावित हो जाता है। वहीं दूसरी ओर नवनिर्माण में भी तेजी आ गई है। गढ़पूरा नाम मंडी के लिए विख्यात है।
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