पूर्णिया में एक 12वीं की छात्रा आंखों पर काली पट्टी बांधकर न्यूज पेपर पढ़ लेती है। रिमझिम कुमारी भीड़ वाले इलाके में आंख पर पट्टी बांधकर साइकिल भी चला लेती हैं। रिमझिम कुमारी का कहना है कि वो रोज मेडिटेशन करती हैं। इससे उनकी तीसरी आंख खुल जाती है और वो आंखे बंद होने के बाद भी सब कुछ देख सकती हैं। ये मेडिटेशन रिमझिम को उनके पिता ने सीखाया है।
रिमझिम कुमारी मधेपुरा के उदाकिशनगंज की रहने वाली हैं। उनके पिता का नाम पंकज कुमार है। रिमझिम कुमारी 12वीं की छात्रा है और वर्तमान में पूर्णिया कोर्ट स्टेशन स्थित अपने ननिहाल में रहती है।
रिमझिम कुमारी दोनों आंख पर पट्टी बांध कर पूरा न्यूज पेपर और कोई भी किताब आसानी से पढ़ लेती है। आसपास कौन मौजूद है और उसने किस रंग के कपड़े पहने हैं, इसे आसानी से बता देती है। रिमझिम कुमारी ने बताया कि वह दोनों आंख पर पट्टी बांधकर भीड़-भाड़ में आसानी से साइकिल भी चला लेती हैं।
रिमझिम कुमारी के पिता पंकज कुमार ने कहा कि 4 साल पहले उन्हें स्किन डिजीज कैंसर हो गया था। उनके सिर से लेकर शरीर के सभी बाल उड़ गए थे। शरीर से पस की दुर्गंध भी आने लगी थी। उनको देखकर लोग दूर भाग जाते थे। इलाज में लाखों रुपए खर्च किए लेकिन रोग ठीक नहीं हुई। वह जीवन से हार मान गए थे। तभी किसी ने उन्हें मेडिटेशन करने की सलाह दी। वह हर रोज सुबह शाम मेडिटेशन करने लगे। कुछ ही दिनों में उनके सिर पर बाल उग आए। अब वह पूरी तरह स्वस्थ भी हो गए। अब वह दूसरों को मेडिटेशन की ट्रेनिंग देते हैं।
एक्सपर्ट क्या कहते हैं
पटना में 400 बच्चों को इसकी ट्रेनिंग दे चुके अध्यापक अमित वर्मा बताते हैं कि ध्यान से सब कुछ भी संभव है। ये सिर्फ 14 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ संभव है। बच्चों का दिमाग बाहरी दुनिया से अलग होता है। ध्यान और एक खास विधि से तीसरी आंख खुल जाती है। आंख बंद कर के बच्चा सब देख सकता है। इसे मिड-ब्रेन एक्टिवेशन कहा जाता है।
सारस न्यूज टीम, पूर्णिया।
पूर्णिया में एक 12वीं की छात्रा आंखों पर काली पट्टी बांधकर न्यूज पेपर पढ़ लेती है। रिमझिम कुमारी भीड़ वाले इलाके में आंख पर पट्टी बांधकर साइकिल भी चला लेती हैं। रिमझिम कुमारी का कहना है कि वो रोज मेडिटेशन करती हैं। इससे उनकी तीसरी आंख खुल जाती है और वो आंखे बंद होने के बाद भी सब कुछ देख सकती हैं। ये मेडिटेशन रिमझिम को उनके पिता ने सीखाया है।
रिमझिम कुमारी मधेपुरा के उदाकिशनगंज की रहने वाली हैं। उनके पिता का नाम पंकज कुमार है। रिमझिम कुमारी 12वीं की छात्रा है और वर्तमान में पूर्णिया कोर्ट स्टेशन स्थित अपने ननिहाल में रहती है।
रिमझिम कुमारी दोनों आंख पर पट्टी बांध कर पूरा न्यूज पेपर और कोई भी किताब आसानी से पढ़ लेती है। आसपास कौन मौजूद है और उसने किस रंग के कपड़े पहने हैं, इसे आसानी से बता देती है। रिमझिम कुमारी ने बताया कि वह दोनों आंख पर पट्टी बांधकर भीड़-भाड़ में आसानी से साइकिल भी चला लेती हैं।
रिमझिम कुमारी के पिता पंकज कुमार ने कहा कि 4 साल पहले उन्हें स्किन डिजीज कैंसर हो गया था। उनके सिर से लेकर शरीर के सभी बाल उड़ गए थे। शरीर से पस की दुर्गंध भी आने लगी थी। उनको देखकर लोग दूर भाग जाते थे। इलाज में लाखों रुपए खर्च किए लेकिन रोग ठीक नहीं हुई। वह जीवन से हार मान गए थे। तभी किसी ने उन्हें मेडिटेशन करने की सलाह दी। वह हर रोज सुबह शाम मेडिटेशन करने लगे। कुछ ही दिनों में उनके सिर पर बाल उग आए। अब वह पूरी तरह स्वस्थ भी हो गए। अब वह दूसरों को मेडिटेशन की ट्रेनिंग देते हैं।
एक्सपर्ट क्या कहते हैं
पटना में 400 बच्चों को इसकी ट्रेनिंग दे चुके अध्यापक अमित वर्मा बताते हैं कि ध्यान से सब कुछ भी संभव है। ये सिर्फ 14 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ संभव है। बच्चों का दिमाग बाहरी दुनिया से अलग होता है। ध्यान और एक खास विधि से तीसरी आंख खुल जाती है। आंख बंद कर के बच्चा सब देख सकता है। इसे मिड-ब्रेन एक्टिवेशन कहा जाता है।
Leave a Reply