सरकार ने बिहार की मदरसा शिक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए मदरसों के छात्रों को आधुनिक एवं वैज्ञानिक शिक्षा से जोड़ा गया है।12वीं कक्षा में साइंस, आर्ट्स एवं कॉमर्स फैकल्टी की व्यवस्था लागू की गई है। उर्दू भाषा में विज्ञान, कला एवं वाणिज्य संकाय की किताबें पढ़ाई जाने लगी हैं। वहीं पहली से लेकर आठवीं कक्षा (तहतानिया से लेकर वस्तानिया तक) में एससीईआरटी (स्टेट काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग, बिहार) और नौवीं से 12वीं (फौकानिया से मौलवी तक) में एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) द्वारा विकसित पाठ्यक्रम और तैयार किताबें लागू की गई हैं।
शिक्षा विभाग के मुताबिक बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से पहली से 12वीं (तहतानिया से मौलवी) कक्षा तक के पाठ्यक्रम की समीक्षा राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं ने की है। इनमें एनसीईआरटी, जामिया मिलिया इस्लामिया, पटना यूनिवर्सिटी और मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय शामिल हैं। इन संस्थानों के विशेषज्ञों की मदद से नया पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है, जबकि दीनी तालिम के पाठ्यक्रम को दारुल उलूम देववंद, नदवा, सलफिया और बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड के सहयोग से तैयार किया गया है। पाठ्यक्रम में वर्गों का विभाजन आधुनिक शिक्षा पद्धति के अनुरूप किया गया है। इसके तहत तहतानिया में पहली से पांचवी, वस्तानिया में छठी से आठवीं, फौकानिया में नौवीं से दसवीं, मौलवी में 11वीं एवं 12वीं कक्षा शामिल किए गए हैं। कक्षा मौलवी में मौलवी विज्ञान, मौलवी कला और मौलवी वाणिज्य के अतिरिक्त मौलवी इस्लामिक स्टडीज को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। गणित, जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन, भूगोल, अर्थशास्त्र, नागरिक शास्त्र और इतिहास समेत अन्य विषयों के किताबों को उर्दू में तैयार किया गया है।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि राज्य सरकार ने मदरसों के छात्रों को दीनी तालिम के साथ आधुनिक एवं वैज्ञानिक शिक्षा से जोड़ने की प्राथमिकता दी है। एनसीईआरटी व एससीईआरटी द्वारा विकसित पाठ्यक्रम को लागू किया गया है। अब जो छात्र मदरसों से पढ़कर निकलेंगे वे सभी नई शिक्षा से जुड़ी प्रतिस्पर्धा व प्रतियोगिता में शामिल होकर आगे बढ़ने में सक्षम होंगे। मदरसों को आधुनिक शिक्षण पद्घति में शामिल करना सरकार का विशेष ध्यान है। इन्हें आनलाइन शिक्षा से जोड़ा गया है। अब एप से भी बच्चे पढ़ाई भी कर रहे हैं।
सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़।
सरकार ने बिहार की मदरसा शिक्षा में बड़ा बदलाव करते हुए मदरसों के छात्रों को आधुनिक एवं वैज्ञानिक शिक्षा से जोड़ा गया है।12वीं कक्षा में साइंस, आर्ट्स एवं कॉमर्स फैकल्टी की व्यवस्था लागू की गई है। उर्दू भाषा में विज्ञान, कला एवं वाणिज्य संकाय की किताबें पढ़ाई जाने लगी हैं। वहीं पहली से लेकर आठवीं कक्षा (तहतानिया से लेकर वस्तानिया तक) में एससीईआरटी (स्टेट काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग, बिहार) और नौवीं से 12वीं (फौकानिया से मौलवी तक) में एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) द्वारा विकसित पाठ्यक्रम और तैयार किताबें लागू की गई हैं।
शिक्षा विभाग के मुताबिक बिहार राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से पहली से 12वीं (तहतानिया से मौलवी) कक्षा तक के पाठ्यक्रम की समीक्षा राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं ने की है। इनमें एनसीईआरटी, जामिया मिलिया इस्लामिया, पटना यूनिवर्सिटी और मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय शामिल हैं। इन संस्थानों के विशेषज्ञों की मदद से नया पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है, जबकि दीनी तालिम के पाठ्यक्रम को दारुल उलूम देववंद, नदवा, सलफिया और बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड के सहयोग से तैयार किया गया है। पाठ्यक्रम में वर्गों का विभाजन आधुनिक शिक्षा पद्धति के अनुरूप किया गया है। इसके तहत तहतानिया में पहली से पांचवी, वस्तानिया में छठी से आठवीं, फौकानिया में नौवीं से दसवीं, मौलवी में 11वीं एवं 12वीं कक्षा शामिल किए गए हैं। कक्षा मौलवी में मौलवी विज्ञान, मौलवी कला और मौलवी वाणिज्य के अतिरिक्त मौलवी इस्लामिक स्टडीज को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। गणित, जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन, भूगोल, अर्थशास्त्र, नागरिक शास्त्र और इतिहास समेत अन्य विषयों के किताबों को उर्दू में तैयार किया गया है।
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि राज्य सरकार ने मदरसों के छात्रों को दीनी तालिम के साथ आधुनिक एवं वैज्ञानिक शिक्षा से जोड़ने की प्राथमिकता दी है। एनसीईआरटी व एससीईआरटी द्वारा विकसित पाठ्यक्रम को लागू किया गया है। अब जो छात्र मदरसों से पढ़कर निकलेंगे वे सभी नई शिक्षा से जुड़ी प्रतिस्पर्धा व प्रतियोगिता में शामिल होकर आगे बढ़ने में सक्षम होंगे। मदरसों को आधुनिक शिक्षण पद्घति में शामिल करना सरकार का विशेष ध्यान है। इन्हें आनलाइन शिक्षा से जोड़ा गया है। अब एप से भी बच्चे पढ़ाई भी कर रहे हैं।
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