सारस न्यूज, वेब डेस्क।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार येलो फीवर एक मच्छर जनित रोग है, जो संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से होता है। डेंगू मच्छरों की तरह ही यह मच्छर दिन में मनुष्य को काटता है और संक्रमित करता है। येलो फीवर के लक्षण तत्काल दिखाई नहीं देते हैं। धीरे धीरे संक्रमित व्यक्ति में अचानक बुखार आना, सिर एवं पीठ में तेज दर्द, जी मचलना अथवा उल्टी होना, थकावट का अहसास जैसे कई लक्षण दिखाई पड़ते हैं। येलो फीवर के इलाज के लिए कोई दवा फिलहाल उपलब्ध नहीं है।
येलो फीवर जिसे पित्त ज्वर भी कहा जाता है, का टीका राज्य में सिर्फ एम्स पटना में ही लगेगा। सचिव स्वास्थ्य सह कार्यपालक निदेशक राज्य स्वास्थ्य समिति ने इस संबंध में सभी जिले के सिविल सर्जन को इस संबंध में आदेश जारी किया है। अपने आदेश में उन्होंने कहा है कि कुछ वर्ष पहले पूर्वी चंपारण के एक अनधिकृत केंद्र पर येलो फीवर का टीका लगाया गया था। इसे ध्यान में रखते हुए सिर्फ एम्स पटना को ही टीका लगाने के लिए अधिकृत किया गया है। साथ ही सिविल सर्जन को यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि किसी भी अन्य केंद्र पर येलो फीवर का टीका नहीं लगे। पत्र में कहा गया है कि येलो फीवर का कोई उपचार नहीं है। 9 माह की आयु में इसका टीका शिशु को लगाया जाता है। इससे वह आगे चलकर इस रोग से सुरक्षित रहता है।
हर साल 30 हजार गंवाते हैं जान
येलो फीवर से सुरक्षा के लिए 9 माह अथवा इससे ऊपर के बच्चों को वाईएफ 17 डी वैक्सीन लगायी जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में हर वर्ष 2 लाख से ज्यादा येलो फीवर के मरीज पाए जाते हैं। इस रोग से प्रतिवर्ष करीब 30 हजार लोग अपनी जान गंवा देते हैं।