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बिहार छुट्टी विवाद पर प्रशांत किशोर का बड़ा बयान, बोले; सत्ता में बैठे लोगों की जिम्मेदारी है कि सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक परंपराओं को ध्यान में रखकर लें निर्णय, नहीं तो भुगतना पड़ेगा खामियाजा।


सारस न्यूज, किशनगंज।


बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने साल 2024 के लिए एकेडमिक कलेंडर लिस्ट जारी किया है। इसमें रामनवमी, शिवरात्रि सहित दूसरे त्योहारों की छुट्टी को रद्द कर दी गई है। जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार में चल रहे छुट्टी विवाद पर मधुबनी में प्रेस वार्ता कर बड़ा बयान दिया है। प्रशांत किशोर ने कहा कि जो लोग भी सत्ता में बैठे हैं उनकी ये जिम्मेदारी है, उनसे ये अपेक्षा है कि सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक जो परंपराएं हैं उसको ध्यान में रखकर इस तरह के निर्णय लिए जाए। अगर उसको ध्यान में रखकर आप निर्णय नहीं लेंगे तो उसका खामियाजा आपको भुगतना पड़ेगा, समाज उसका जवाब देगा। हर पांच वर्ष में जनता के पास इसीलिए तो वोट का अधिकार है। इस तरह की गलती अगर सरकार करती है तो वोट के ज़रिए लोग सजा दें।
प्रशांत किशोर ने कहा कि छुट्टियां देने का जो मामला है ये सामाजिक और प्रशासनिक दोनों को मिलाकर आधार बनाया जाता है कि किस-किस दिन छुट्टी देनी है। उसमें समाज की परंपराओं, मर्यादाओं का ध्यान रखा जाता है और प्रशासक के हिसाब से जिस दिन छुट्टी दी जानी है वो तय किया जाता है। अगर बैलेंस गड़बड़ाएंगे तो दिक्कत होगी। चाहे हिंदू धर्म की बात हो या मुस्लिम धर्म की, समाज की परंपराएं हैं, मर्यादाएं हैं उसको ध्यान में रखकर ही इस विषय पर काम करना चाहिए। जो भी लोग सरकार में बैठे हुए हैं उनकी ये जिम्मेदारी है। उदाहरण देते हुए बताया कि मान लीजिए कि यहां छठ का त्योहार बड़े पैमाने पर मनाया जाता है, तो प्रशासन में कोई भी हो अगर छठ पर्व की छुट्टी रद्द कर दीजिएगा तो ये बहुत गलत बात है।

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