मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के छात्रों को बड़ी राहत दी है। बिहार सरकार ने प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए होने वाली टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) के आयोजन पर रोक लगा दी है। टीईटी पर रोक लगाने का फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा नियमित रूप से सीटीईटी (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) का आयोजन किया जा रहा है। टीईटी नहीं लिए जाने के राज्य सरकार के फैसले की जानकारी प्राथमिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश की ओर से चिट्ठी लिखकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव को दी गई है।
निदेशक रवि प्रकाश ने परीक्षा समिति को फैसले से अवगत कराते हुए कहा है कि बिहार पंचायत प्रारंभिक विद्यालय (नियुक्ति, प्रोन्नति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्त) नियमावली-2020 में किए गए प्रविधानों के तहत शिक्षक नियुक्ति हेतु निर्धारित अर्हता में केंद्र सरकार या बिहार सरकार द्वारा आयोजित टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) में उत्तीर्णता प्राप्त होना शामिल है। चूंकि केंद्र सरकार द्वारा प्रति वर्ष सीटीईटी (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) आयोजित होती है। उक्त स्थिति में राज्य सरकार द्वारा टीईटी अलग से आयोजित करने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है। भविष्य में शिक्षा विभाग द्वारा आवश्यकता आधारित टीईटी आयोजित किए जाने पर विचार कर निर्णय लिया जा सकेगा। अब छात्रों को एसटीईटी एग्जाम पास करना होगा। एक ही परीक्षा देने से अभ्यर्थियों को राहत मिलेगी। शिक्षा विभाग ने खुद आधिकारिक पत्र के द्वारा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को अपने फैसले से अवगत कराया है।
सरकार द्वारा केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीइटी) आयोजित होती है। ऐसी स्थिति में बिहार सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अलग से कराने की से मना कर दिया है। यह प्राथमिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, पटना के सचिव को लिखे एक पत्र में कहा है। बिहार में शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी सरकार ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दे रखी है। शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं होने पर अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। अदालत ने सुनवाई करते हुए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) से हलफनामा देने का निर्देश दिया था। अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में शिक्षक पात्रता परीक्षा के संबंध में इसी साल अप्रैल में एक बैठक हुई थी। कहा गया कि केंद्र सरकार शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित कराती है। ऐसे में बिहार सरकार की ओर से भी टीईटी परीक्षा लेने की जरूरत नहीं है। प्रारंभिक स्कूलों के शिक्षकों के लिए प्रस्तावित सातवें चरण के शिक्षक नियोजन में अब तक टीईटी और सीटीईटी पास अभ्यर्थी ही पात्र माने जायेंगे।
सारस न्यूज टीम, पटना।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के छात्रों को बड़ी राहत दी है। बिहार सरकार ने प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए होने वाली टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) के आयोजन पर रोक लगा दी है। टीईटी पर रोक लगाने का फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा नियमित रूप से सीटीईटी (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) का आयोजन किया जा रहा है। टीईटी नहीं लिए जाने के राज्य सरकार के फैसले की जानकारी प्राथमिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश की ओर से चिट्ठी लिखकर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव को दी गई है।
निदेशक रवि प्रकाश ने परीक्षा समिति को फैसले से अवगत कराते हुए कहा है कि बिहार पंचायत प्रारंभिक विद्यालय (नियुक्ति, प्रोन्नति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्त) नियमावली-2020 में किए गए प्रविधानों के तहत शिक्षक नियुक्ति हेतु निर्धारित अर्हता में केंद्र सरकार या बिहार सरकार द्वारा आयोजित टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) में उत्तीर्णता प्राप्त होना शामिल है। चूंकि केंद्र सरकार द्वारा प्रति वर्ष सीटीईटी (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) आयोजित होती है। उक्त स्थिति में राज्य सरकार द्वारा टीईटी अलग से आयोजित करने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है। भविष्य में शिक्षा विभाग द्वारा आवश्यकता आधारित टीईटी आयोजित किए जाने पर विचार कर निर्णय लिया जा सकेगा। अब छात्रों को एसटीईटी एग्जाम पास करना होगा। एक ही परीक्षा देने से अभ्यर्थियों को राहत मिलेगी। शिक्षा विभाग ने खुद आधिकारिक पत्र के द्वारा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को अपने फैसले से अवगत कराया है।
सरकार द्वारा केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीइटी) आयोजित होती है। ऐसी स्थिति में बिहार सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अलग से कराने की से मना कर दिया है। यह प्राथमिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, पटना के सचिव को लिखे एक पत्र में कहा है। बिहार में शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी सरकार ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को दे रखी है। शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं होने पर अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। अदालत ने सुनवाई करते हुए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) से हलफनामा देने का निर्देश दिया था। अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में शिक्षक पात्रता परीक्षा के संबंध में इसी साल अप्रैल में एक बैठक हुई थी। कहा गया कि केंद्र सरकार शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित कराती है। ऐसे में बिहार सरकार की ओर से भी टीईटी परीक्षा लेने की जरूरत नहीं है। प्रारंभिक स्कूलों के शिक्षकों के लिए प्रस्तावित सातवें चरण के शिक्षक नियोजन में अब तक टीईटी और सीटीईटी पास अभ्यर्थी ही पात्र माने जायेंगे।
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