बिहार में शराबबंदी को सख्ती से लागू करने के लिए जिलास्तर पर बनाई गई एंटी लिकर टास्क फोर्स (एएलटीएफ) का नए सिरे से पुनर्गठन होगा। मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि शराबबंदी को और प्रभावकारी बनाने की तैयारी है। कानून में ढिलाई हो गई है। अगर कोई ऐसा सोच रहे हैं तो गलत सोच रहे हैं। भले शराबियों को जेल नहीं भेजा जा रहा है लेकिन उनकी गिरफ्तारी बढ़ाई जाएगी। जुर्माना वसूली तेज होगी। जुर्माना नहीं देने पर जेल भी जाना होगा।
उन्होंने बताया कि एएलटीएफ का लक्ष्य भी बढ़ाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक शराब माफिया पर शिकंजा कसा जा सके। पिछले दिनों गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और डीजीपी एसके सिंघल की संयुक्त बैठक में इस बाबत निर्णय लिया गया है।
आयुक्त ने बताया कि एएलटीएफ के कार्यों की रोज समीक्षा होगी। साप्ताहिक समीक्षा में अच्छे और खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों को चिह्नित किया जाएगा। खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों की हर सप्ताह अलग से वीडियो कांफ्रेंसिग से समीक्षा होगी। इसके अलावा बड़े और शराब को लेकर संवेदनशील जिलों में एएलटीएफ की संख्या बढ़ाई जाएगी वहीं छोटे व अपेक्षाकृत कम संवेदनशील जिलों में अगर संख्या अधिक है तो उसे दूसरे जिले में स्थानांतरित किया जाएगा। अभी पूरे राज्य में 217 एएलटीएफ हैं।
जून में पुलिस और मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग की संयुक्त कार्रवाई तेज हुई है। आयुक्त ने बताया कि पहले एक सप्ताह में औसत दो हजार गिरफ्तारी होती थी जो अब बढ़कर 3600 तक हो गई है। सिर्फ उत्पाद विभाग हर दिन 150-180 लोगों को उत्पाद अधिनियम में गिरफ्तार कर रहा है। एक से 11 जून के बीच 35,331 छापेमारी की गई है। जिसमें 3,879 उत्पाद अभियोग दर्ज किए गए हैं। इस दौरान संयुक्त रूप से 5,771 को गिरफ्तार किया गया है। इसमें पुलिस ने 3896 जबकि उत्पाद विभाग ने 1875 को गिरफ्तार किया है।
सारस न्यूज टीम पटना।
बिहार में शराबबंदी को सख्ती से लागू करने के लिए जिलास्तर पर बनाई गई एंटी लिकर टास्क फोर्स (एएलटीएफ) का नए सिरे से पुनर्गठन होगा। मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि शराबबंदी को और प्रभावकारी बनाने की तैयारी है। कानून में ढिलाई हो गई है। अगर कोई ऐसा सोच रहे हैं तो गलत सोच रहे हैं। भले शराबियों को जेल नहीं भेजा जा रहा है लेकिन उनकी गिरफ्तारी बढ़ाई जाएगी। जुर्माना वसूली तेज होगी। जुर्माना नहीं देने पर जेल भी जाना होगा।
उन्होंने बताया कि एएलटीएफ का लक्ष्य भी बढ़ाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक शराब माफिया पर शिकंजा कसा जा सके। पिछले दिनों गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक और डीजीपी एसके सिंघल की संयुक्त बैठक में इस बाबत निर्णय लिया गया है।
आयुक्त ने बताया कि एएलटीएफ के कार्यों की रोज समीक्षा होगी। साप्ताहिक समीक्षा में अच्छे और खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों को चिह्नित किया जाएगा। खराब प्रदर्शन करने वाले जिलों की हर सप्ताह अलग से वीडियो कांफ्रेंसिग से समीक्षा होगी। इसके अलावा बड़े और शराब को लेकर संवेदनशील जिलों में एएलटीएफ की संख्या बढ़ाई जाएगी वहीं छोटे व अपेक्षाकृत कम संवेदनशील जिलों में अगर संख्या अधिक है तो उसे दूसरे जिले में स्थानांतरित किया जाएगा। अभी पूरे राज्य में 217 एएलटीएफ हैं।
जून में पुलिस और मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग की संयुक्त कार्रवाई तेज हुई है। आयुक्त ने बताया कि पहले एक सप्ताह में औसत दो हजार गिरफ्तारी होती थी जो अब बढ़कर 3600 तक हो गई है। सिर्फ उत्पाद विभाग हर दिन 150-180 लोगों को उत्पाद अधिनियम में गिरफ्तार कर रहा है। एक से 11 जून के बीच 35,331 छापेमारी की गई है। जिसमें 3,879 उत्पाद अभियोग दर्ज किए गए हैं। इस दौरान संयुक्त रूप से 5,771 को गिरफ्तार किया गया है। इसमें पुलिस ने 3896 जबकि उत्पाद विभाग ने 1875 को गिरफ्तार किया है।
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