सारस न्युज टीम, पटना।
बिहार में वंचित समूहों की लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए अब तक कुल 634 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संचालित हैं। इसमें ऐसे 534 विद्यालय हैं। जिनमें लड़कियों के लिए कक्षा छह से आठ तक की पढ़ाई की व्यवस्था है। कक्षा छह से आठ तक संचालित इन सभी विद्यालयों को इसी वर्ष प्लस-टू में अपग्रेड किया जाएगा। इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग, गरीबी रेखा वाले वंचित समूहों और अल्पसंख्यक वर्गों से संबंधित बालिकाओं को न सिर्फ कक्षा छह से बारहवीं तक की शिक्षा मिलेगी, बल्कि व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी संचालित होंगे। देश भर में 5,726 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संचालित हैं।
केंद्र सरकार से सहमति मिलने के बाद शिक्षा विभाग ने संबंधित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को प्लस-टू में अपग्रेड करने की कार्ययोजना बनाई है। इन विद्यालयों में नामांकित कुल 50,963 वंचित समूहों की लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें छात्रावास में रखकर पढ़ाई कराई जाती है। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम, आइसीटी लैब और वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना की जाएगी। शिक्षा विभाग ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों पर एक रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को सौंपी है।
इसमें केंद्र से कहा गया है कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों को जल्द से जल्द चालू करने के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तत्काल कदम उठाया जाए।
प्लस-टू में अपग्रेड किए जाने के बाद कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में लड़कियों के नामांकन हेतु डोर-टू-डोर अभियान चलाया जाएगा। अभिभावकों से बालिकाओं को विद्यालय में नामांकन कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा। बालिकाओं की माताओं को विद्यालय में नि:शुल्क शिक्षा के साथ सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं की जानकारी दी जाएगी। बालिकाओं को शिक्षा के साथ जुडो-कराटे, गीत-संगीत और नृत्य का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
बता दें कि केंद्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा देने के लिए कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरुआत वर्ष 2006-07 में की थी। इन विद्यालयों में 75 प्रतिशत सीटें अनुसूचित जाति व जनजाति, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक वर्गों की बालिकाओं के लिए आरक्षित होंगी। बाकी 25 प्रतिशत सीटें गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की बालिकाओं के लिए आरक्षित हैं।
