नदियों से घिरे बिहार का फरकिया अपने गर्भ में इतिहास की असीम यादें लिए हैं। हर साल आने वाली बाढ़ से संघर्ष करता ये जिला अब नए नाम के रूप में 41 साल का हो गया है। आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है।
अकबर के मंत्री राजा टोडरमल उनके आदेश पर बिहार पहुंचे। यहां नदियों, धारा-उपधारा के जाल-संजाल के कारण जिस जिले की मापी नहीं कर सके, उसे ‘फरक’ कर दिया। इसे राजस्व की दृष्टि से अनुपयोगी मानते हुए ‘फरक’ यानी अलग किया गया। तब इसका नाम फरकिया पड़ा। आज उसी फरकिया यानी खगड़िया के बारे में जानेंगे क्योंकि 10 मई 1981 को मुंगेर से अलग होकर जिला बना था। तब से आज तक जिले ने बड़ी छलांग लगाई है। स्थापना दिवस पर खास जिले में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, उनकी कुछ तस्वीरें भी देखेंगे…
खगड़िया के शहरी क्षेत्र का विस्तार हुआ है। खगड़िया नगर परिषद से पांच नई पंचायतें जुड़ी। अब खगड़िया नगर परिषद 26 के बदले 39 वार्डों का है, जबकि गोगरी नगर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा मिल चुका है। 20 वार्डों का गोगरी नगर पंचायत अब 36 वार्डों का नगर परिषद है। दूसरी ओर मानसी, अलौली, बेलदौर और परबत्ता चार नई नगर पंचायतें बनी हैं।
खगड़िया की 41वीं वर्षगांठ- मानव श्रृंखला के साथ छात्राएं)
चार नदियों का यहां होता है संगम
1486 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के खगड़िया जिले को नदियों का नैहर कहा जाता है। यहां से होकर सात नदियां गुजरती हैं। 56 धारा-उपधारा है। यहां बूढ़ी गंडक गोगरी के पास गंगा से संगम करती है। कमला नदी भी आगे बागमती में मिलती है। जबकि सोनवर्षा (चौथम प्रखंड) के पास बागमती का संगम कोसी से होता है। बेलदौर के कंजरी-गवास गांव के पास काली कोसी नदी कोसी में मिलती है। इस मायने में अद्भुत है यह जिला।
(नदियों का नैहर- खगड़िया) यहां की प्रमुख नदियां, धारा-उपधारा कोसी, कमला, करेह, काली कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, गंगा प्रमुख नदियां हैं। इसके साथ ही मालती नदी, खर्रा धार, भगीरथी, कठनई, हाहाधार, मंदरा धार आदि जिले को सिंचित करती है। कलकल-छलछल बहती नदियां-धारा-उपधारा खगड़िया की विशिष्ट पहचान है। हालांकि, नदियां बाढ़ भी लाती है, जिससे तबाही मचती है। बाढ़ का दंश झेलता खगड़िया हर साल अपने जख्मों पर मरहम लगाता है और फिर आगे बढ़ता है। यहां के लोग अब नदियों की पूजा करते हैं। 41 साल का हो चुका खगड़िया विकासशील है, विद्युत उत्पादन के लिए उपयुक्त स्थान है। इसको लेकर हाल ही में केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह को अवगत कराया जा चुका है। यहां नदियों के पानी का समुचित उपयोग नहीं हो रहा है। इस बाबत पनबिजली से विद्युत उत्पादन कर सस्ती बिजली मुहैया कराई जा सकती है, ऐसा केंद्रीय मंत्री को सौंपे ज्ञापन में कहा गया।
सारस न्यूज टीम, बिहार, खगड़िया।
नदियों से घिरे बिहार का फरकिया अपने गर्भ में इतिहास की असीम यादें लिए हैं। हर साल आने वाली बाढ़ से संघर्ष करता ये जिला अब नए नाम के रूप में 41 साल का हो गया है। आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है।
अकबर के मंत्री राजा टोडरमल उनके आदेश पर बिहार पहुंचे। यहां नदियों, धारा-उपधारा के जाल-संजाल के कारण जिस जिले की मापी नहीं कर सके, उसे ‘फरक’ कर दिया। इसे राजस्व की दृष्टि से अनुपयोगी मानते हुए ‘फरक’ यानी अलग किया गया। तब इसका नाम फरकिया पड़ा। आज उसी फरकिया यानी खगड़िया के बारे में जानेंगे क्योंकि 10 मई 1981 को मुंगेर से अलग होकर जिला बना था। तब से आज तक जिले ने बड़ी छलांग लगाई है। स्थापना दिवस पर खास जिले में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, उनकी कुछ तस्वीरें भी देखेंगे…
खगड़िया के शहरी क्षेत्र का विस्तार हुआ है। खगड़िया नगर परिषद से पांच नई पंचायतें जुड़ी। अब खगड़िया नगर परिषद 26 के बदले 39 वार्डों का है, जबकि गोगरी नगर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा मिल चुका है। 20 वार्डों का गोगरी नगर पंचायत अब 36 वार्डों का नगर परिषद है। दूसरी ओर मानसी, अलौली, बेलदौर और परबत्ता चार नई नगर पंचायतें बनी हैं।
खगड़िया की 41वीं वर्षगांठ- मानव श्रृंखला के साथ छात्राएं)
चार नदियों का यहां होता है संगम
1486 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के खगड़िया जिले को नदियों का नैहर कहा जाता है। यहां से होकर सात नदियां गुजरती हैं। 56 धारा-उपधारा है। यहां बूढ़ी गंडक गोगरी के पास गंगा से संगम करती है। कमला नदी भी आगे बागमती में मिलती है। जबकि सोनवर्षा (चौथम प्रखंड) के पास बागमती का संगम कोसी से होता है। बेलदौर के कंजरी-गवास गांव के पास काली कोसी नदी कोसी में मिलती है। इस मायने में अद्भुत है यह जिला।
(नदियों का नैहर- खगड़िया) यहां की प्रमुख नदियां, धारा-उपधारा कोसी, कमला, करेह, काली कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, गंगा प्रमुख नदियां हैं। इसके साथ ही मालती नदी, खर्रा धार, भगीरथी, कठनई, हाहाधार, मंदरा धार आदि जिले को सिंचित करती है। कलकल-छलछल बहती नदियां-धारा-उपधारा खगड़िया की विशिष्ट पहचान है। हालांकि, नदियां बाढ़ भी लाती है, जिससे तबाही मचती है। बाढ़ का दंश झेलता खगड़िया हर साल अपने जख्मों पर मरहम लगाता है और फिर आगे बढ़ता है। यहां के लोग अब नदियों की पूजा करते हैं। 41 साल का हो चुका खगड़िया विकासशील है, विद्युत उत्पादन के लिए उपयुक्त स्थान है। इसको लेकर हाल ही में केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह को अवगत कराया जा चुका है। यहां नदियों के पानी का समुचित उपयोग नहीं हो रहा है। इस बाबत पनबिजली से विद्युत उत्पादन कर सस्ती बिजली मुहैया कराई जा सकती है, ऐसा केंद्रीय मंत्री को सौंपे ज्ञापन में कहा गया।
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