सारस न्यूज़ टीम, वेब डेस्क, सारस न्यूज़।
सूत्रों के हवाले से – बिहार सरकार ने 30 सितंबर तक शिक्षक सहित सभी विभागों के कर्मियों को वेतन भुगतान का निर्देश दिया था, लेकिन बिहार के आधे से अधिक शिक्षकों का दुर्गापूजा वेतन के बिना मुश्किल में बीतेगा। लगभग 2 लाख से अधिक शिक्षकों को दुर्गापूजा से पहले वेतन भुगतान नहीं हो पाया। जानकारी है कि कई जिलों में जुलाई का तो वेतन मिला है पर अगस्त का वेतन भुगतान नहीं हुआ है। कहीं तो जुलाई और अगस्त दोनों माह का वेतन बकाया है। शिक्षक इंतजार करते रह गए और दुर्गापूजा भी आ गया।
कटिहार से शिक्षक नानक ने सारस न्यूज़ को बताया कि वेतन दो तरह का है – GOB (बिहार सरकार) SSA (सर्व शिक्षा अभियान)। GOB का वेतन अमूमन समय पर मिल जाता है लेकिन SSA के वेतन में देरी होती है। खासकर नवप्रशिक्षित शिक्षकों को 3 साल बाद अभी तक एरियर नहीं मिला है। एक बात यह भी की हमेशा शिक्षक संघ को मेहनत करके वेतन मांगना पड़ता है। पिछले 15 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है कि कटिहार में शिक्षकों को महीना ख़त्म होने से पहले वेतन मिल गया हो।
जुलाई और अगस्त के वेतन के लिए कैबिनेट से 22 अगस्त को राशि स्वीकृत की गई थी।
शिक्षा विभाग को राशि 13 अगस्त तक मिली। बाद में बीपी के माध्यम से राशि जिलों को भेजी भी गई लेकिन जिलों से राशि सभी शिक्षकों के खाते में अब तक नहीं पहुंच पाई। वेतन भुगतान की चली आ रही जटिल प्रक्रिया के कारण भुगतान में फिर एक बार देर हुई है।
शिक्षक संघ ने मांग की है कि कम से कम एक साल का आवंटन एक बार जारी किया जाए, ताकि नियमित वेतन मिले।
टीईटी एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोपगुट) बिहार के प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों को कभी भी बिहार सरकार समय से वेतन भुगतान नही करती है। तीन – चार महीने बीतने पर वेतन भुगतान की प्रकिया शुरू होती है। उसके बाद भी वेतन भुगतान की प्रकिया बहुत ही जटिल है। कैबिनेट से पास होने के बाद जिला को आवंटन आने में 20 से 25 दिन लग जाते हैं, उसके बाद जिला स्तर पर भी 5 से 10 दिन वेतन भुगतान में लगता है। इस हिसाब से देखें तो कैबिनेट से पास होने और वित्त विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद भी लगभग एक महीने का समय लग जाता है शिक्षकों के खाते में पैसा आने में। इसको सरल बनाने की जरूरत है। हम बिहार सरकार से मांग करते हैं कि कम से कम एक साल का आवंटन एक बार जारी किया जाए जिससे नियोजित शिक्षकों को महीने की पहली तारीख को वेतन भुगतान सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि लाखों नियोजित शिक्षकों का नवप्रशिक्षित अंतर वेतन का एरियर और 15% वेतन वृद्धि का अंतर वेतन वर्षों से बकाया है, जिस पर विभाग का बिल्कुल भी ध्यान नही है। राज्य स्तर से 24 घंटे और 48 घंटे में वेतन भुगतान के अल्टीमेटम के बावजूद जिला स्तर के अधिकारियों को वेतन भुगतान करना नागवार गुजरता है, जिला स्तर पर वैसे DEO और DPO को चिन्हित करके विभाग को काररवाई करनी चाहिए।
विश्वविद्यालय कर्मियों की दुर्गापूजा भी फीकी
दूसरी तरफ तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय और मुंगेर विश्वविद्यालय के कुल 93 कर्मियों की वजह से राज्य सरकार ने बिहार के सभी विश्वविद्यालयों का अगस्त- सितंबर का वेतन रोक दिया है! मामला चतुर्थ चरण में अंगीभूत हुए कॉलेजों से जुड़ा है। बता दें कि इन 93 कर्मियों की नियुक्ति को गलत बताकर शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय से उन्हें सेवा मुक्त करने के लिए कहा था। लेकिन विश्वविद्यालय ने इन सभी के नाम और सेवा का जिक्र बजट में करके सरकार को भेज दिया था। बताया जा रहा है कि जिन 93 कर्मियों को हटाने के लिए कहा गया था उनका जिक्र भी बजट में होने से वेतन रोक दिया है। विश्वविद्यालयों में वेतन नहीं भेजे जाने से लगभग 7500 शिक्षक और 12000 कर्मचारी प्रभावित हैं। इन सभी का दुर्गापूजा भी फीका मनेगा।