बिहार में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए लगातार चल रहे प्रयासों के बीच अब स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है। कोरोना काल (2020-21) में संस्थागत प्रसव में आई कमी को देखते हुए भावी योजना बनाई जा रही है। जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवतियों को अस्पताल में प्रसव के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस काम का जिम्मा पूर्व की तरह एक बार फिर आशा कर्मियों को दिया जाएगा।
राज्य में जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखने के इरादे से 2014-15 में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने का काम शुरू किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक अभियान चलाकर घर की अपेक्षा सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए महिलाओं को जागरूक करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इस कार्य में आशा का सहयोग भी लिया गया।
अधिक से अधिक महिलाएं सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए आएं इसके लिए राज्य सरकार ने आर्थिक मदद के प्रविधान भी किए। प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में प्रसव को अस्पताल आने वाली महिलाओं के लिए 14 सौ रुपये, जबकि शहरी क्षेत्र में एक हजार की आर्थिक मदद के प्रविधान किए गए। इसी प्रकार आशा के लिए शहरी क्षेत्र में चार सौ और ग्रामीण इलाके में छह सौ रुपये की मदद के प्रविधान किए गए।
सरकारी प्रयासों का नतीजा है कि 2014-15 में जहां प्रदेश के अस्पतालों में 14.94 लाख प्रसव हो रहे थे वे 2017-18 में बढ़कर 16.35 लाख और 2019-20 में बढ़कर 16.47 लाख तक पहुंच गए।
स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो 2020-21 में कोरोना संक्रमण के दौरान अस्पतालों में प्रसव के केस अचानक कम हो गए। जानकारी के अनुसार 2020-21 में पूर्व की अपेक्षा 15.77 लाख प्रसव के मामले सरकारी अस्पताल में आए।
बीते वर्ष के आंकड़ों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अब नए सिरे से संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए जिला और प्रखंडों में अभियान की रूपरेखा तैयार की है। गांवों में माइकिंग के जरिए महिला और उसके परिवार को संस्थागत प्रसव के फायदे बताए जाएंगे। साथ ही उन्हें दिए जाने वाले आर्थिक लाभ के बारे में भी विस्तार से बताया जाएगा। इसके अलावा आशा कर्मियों को एक बार घर-घर महिलाओं को जागरूक करने का काम भी सौंपा जाएगा। यह अभियान जुलाई से प्रारंभ होना था, लेकिन एक बार फिर कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसमें विलंब की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
स्वास्थ्य सूत्रों ने बताया कि 2020-21 में संस्थागत प्रसव में तीन जिलों का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। ये जिले हैं : अरवल, शिवहर और जहानाबाद। जानकारी के अनुसार अरवल में 10 हजार, शिवहर में 13 हजार, जबकि जहानाबाद में 14 हजार संस्थागत प्रसव कराए गए। इन जिलों में प्रारंभ होने वाले अभियान में विशेष जोर रहेगा।
विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में तीन जिलों का प्रदर्शन सबसे बेहतर माना गया है। ये जिले रहे : समस्तीपुर, पूर्णिया और पूर्वी चंपारण। आधिकारिक जानकारी के अनुसार समस्तीपुर में उक्त वर्ष 87 हजार, पूर्णिया में 80 हजार, जबकि पूर्वी चंपारण में 68 हजार संस्थागत प्रसव कराए गए।
सारस न्यूज टीम, पटना।
बिहार में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए लगातार चल रहे प्रयासों के बीच अब स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है। कोरोना काल (2020-21) में संस्थागत प्रसव में आई कमी को देखते हुए भावी योजना बनाई जा रही है। जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवतियों को अस्पताल में प्रसव के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस काम का जिम्मा पूर्व की तरह एक बार फिर आशा कर्मियों को दिया जाएगा।
राज्य में जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखने के इरादे से 2014-15 में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने का काम शुरू किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक अभियान चलाकर घर की अपेक्षा सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए महिलाओं को जागरूक करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इस कार्य में आशा का सहयोग भी लिया गया।
अधिक से अधिक महिलाएं सरकारी अस्पतालों में प्रसव के लिए आएं इसके लिए राज्य सरकार ने आर्थिक मदद के प्रविधान भी किए। प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में प्रसव को अस्पताल आने वाली महिलाओं के लिए 14 सौ रुपये, जबकि शहरी क्षेत्र में एक हजार की आर्थिक मदद के प्रविधान किए गए। इसी प्रकार आशा के लिए शहरी क्षेत्र में चार सौ और ग्रामीण इलाके में छह सौ रुपये की मदद के प्रविधान किए गए।
सरकारी प्रयासों का नतीजा है कि 2014-15 में जहां प्रदेश के अस्पतालों में 14.94 लाख प्रसव हो रहे थे वे 2017-18 में बढ़कर 16.35 लाख और 2019-20 में बढ़कर 16.47 लाख तक पहुंच गए।
स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो 2020-21 में कोरोना संक्रमण के दौरान अस्पतालों में प्रसव के केस अचानक कम हो गए। जानकारी के अनुसार 2020-21 में पूर्व की अपेक्षा 15.77 लाख प्रसव के मामले सरकारी अस्पताल में आए।
बीते वर्ष के आंकड़ों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अब नए सिरे से संस्थागत प्रसव को बढ़ाने के लिए जिला और प्रखंडों में अभियान की रूपरेखा तैयार की है। गांवों में माइकिंग के जरिए महिला और उसके परिवार को संस्थागत प्रसव के फायदे बताए जाएंगे। साथ ही उन्हें दिए जाने वाले आर्थिक लाभ के बारे में भी विस्तार से बताया जाएगा। इसके अलावा आशा कर्मियों को एक बार घर-घर महिलाओं को जागरूक करने का काम भी सौंपा जाएगा। यह अभियान जुलाई से प्रारंभ होना था, लेकिन एक बार फिर कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसमें विलंब की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
स्वास्थ्य सूत्रों ने बताया कि 2020-21 में संस्थागत प्रसव में तीन जिलों का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। ये जिले हैं : अरवल, शिवहर और जहानाबाद। जानकारी के अनुसार अरवल में 10 हजार, शिवहर में 13 हजार, जबकि जहानाबाद में 14 हजार संस्थागत प्रसव कराए गए। इन जिलों में प्रारंभ होने वाले अभियान में विशेष जोर रहेगा।
विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में तीन जिलों का प्रदर्शन सबसे बेहतर माना गया है। ये जिले रहे : समस्तीपुर, पूर्णिया और पूर्वी चंपारण। आधिकारिक जानकारी के अनुसार समस्तीपुर में उक्त वर्ष 87 हजार, पूर्णिया में 80 हजार, जबकि पूर्वी चंपारण में 68 हजार संस्थागत प्रसव कराए गए।
Leave a Reply