शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों के लिए हाल में की गई छुट्टी कटौती के आदेश को वापस ले लिया है। छुट्टी कटौती के आदेश को सोमवार को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है। पहली से लेकर 12वीं तक के स्कूलों में छुट्टी की पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी गई है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने अधिसूचना जारी की है। इसके तहत राजकीय, राजकीयकृत, प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में छुट्टी की पुरानी व्यवस्था ही प्रभावी रहेगी। निदेशक ने इसकी जानकारी सभी जिला पदाधिकारियों, क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशकों, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव, सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के साथ-साथ सभी सरकारी विद्यालयों को भी दे दी है।
गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से विद्यालयों में छुट्टी की पुरानी व्यवस्था में बदलाव कर दिया गया था। इसमें दिसम्बर तक स्कूलों की छुट्टी में कटौती का आदेश जारी किया गया था। 31 अगस्त को रक्षा बंधन पर छुट्टी समाप्त कर दी गई थी। दिसम्बर तक विभिन्न पर्व त्योहारों पर स्कूलों में 23 छुट्टियां थीं, जिसे घटाकर 11 कर दी गई थी। दुर्गापूजा में स्कूलों में छह दिनों की छुट्टी थी, जिसमें नई व्यवस्था में रविवार जोड़कर महज तीन दिनों का रखा गया था। छठ की छुट्टी भी सिर्फ दो दिन की थी। तब छुट्टी कटौती आदेश जारी करते हुए विभाग ने कहा था कि शिक्षा का अधिकार कानून 2009 में पहली से पांचवीं तक कम-से-कम 200 दिन तथा छठी से आठवीं तक कम-से-कम 220 दिनों के कार्यदिवस का प्रावधान है। इसी के मद्देनजर यह कटौती की गई है।
बता दें कि बिहार के शिक्षकों के अवकाश को लेकर उपजे विवाद को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि कोई विवाद नहीं है। मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक के कार्यों का समर्थन किया और कहा कि वे बढ़िया काम कर रहे हैं। वे तो स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना ही चाहते हैं। इसमें परेशानी क्या है? विभाग या अधिकारी जो अच्छा समझते हैं, वही निर्णय लेते हैं। कोई इस पर सवाल खड़ा करता है तो मुझे आश्चर्य होता है। किसी को कोई शंका है तो वे आकर बताएं। हम सबकी बातें सुनेंगे। हम सबकी बात सुनते हैं और सबके हित में काम करते हैं। हम चाहते हैं कि बच्चे-बच्चियों की पढ़ाई समय पर हो।
शिक्षकों व शिक्षक संगठन थे नाराज पर्व-त्योहारों पर विद्यालयी छुट्टी में की गई इस कटौती को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था। राजनीतिक बयानबाजियां भी जमकर हुई थीं। खासतौर से शिक्षक संगठनों ने इस कटौती के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी। खुद शिक्षा विभाग ने भीरक्षाबंधन (31 अगस्त) पर विद्यालयों की उपस्थिति रिपोर्ट ली तो इसमें 75 फीसदी स्कूलों में आधे बच्चे भी नहीं आए थे। सोमवार को ही यह रिपोर्ट भी विभाग ने जारी की और इसी दिन छुट्टी कटौती वापस लेने का आदेश भी जारी हो गया।
सारस न्यूज, किशनगंज।
शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों के लिए हाल में की गई छुट्टी कटौती के आदेश को वापस ले लिया है। छुट्टी कटौती के आदेश को सोमवार को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है। पहली से लेकर 12वीं तक के स्कूलों में छुट्टी की पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी गई है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने अधिसूचना जारी की है। इसके तहत राजकीय, राजकीयकृत, प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में छुट्टी की पुरानी व्यवस्था ही प्रभावी रहेगी। निदेशक ने इसकी जानकारी सभी जिला पदाधिकारियों, क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशकों, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव, सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के साथ-साथ सभी सरकारी विद्यालयों को भी दे दी है।
गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से विद्यालयों में छुट्टी की पुरानी व्यवस्था में बदलाव कर दिया गया था। इसमें दिसम्बर तक स्कूलों की छुट्टी में कटौती का आदेश जारी किया गया था। 31 अगस्त को रक्षा बंधन पर छुट्टी समाप्त कर दी गई थी। दिसम्बर तक विभिन्न पर्व त्योहारों पर स्कूलों में 23 छुट्टियां थीं, जिसे घटाकर 11 कर दी गई थी। दुर्गापूजा में स्कूलों में छह दिनों की छुट्टी थी, जिसमें नई व्यवस्था में रविवार जोड़कर महज तीन दिनों का रखा गया था। छठ की छुट्टी भी सिर्फ दो दिन की थी। तब छुट्टी कटौती आदेश जारी करते हुए विभाग ने कहा था कि शिक्षा का अधिकार कानून 2009 में पहली से पांचवीं तक कम-से-कम 200 दिन तथा छठी से आठवीं तक कम-से-कम 220 दिनों के कार्यदिवस का प्रावधान है। इसी के मद्देनजर यह कटौती की गई है।
बता दें कि बिहार के शिक्षकों के अवकाश को लेकर उपजे विवाद को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि कोई विवाद नहीं है। मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक के कार्यों का समर्थन किया और कहा कि वे बढ़िया काम कर रहे हैं। वे तो स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना ही चाहते हैं। इसमें परेशानी क्या है? विभाग या अधिकारी जो अच्छा समझते हैं, वही निर्णय लेते हैं। कोई इस पर सवाल खड़ा करता है तो मुझे आश्चर्य होता है। किसी को कोई शंका है तो वे आकर बताएं। हम सबकी बातें सुनेंगे। हम सबकी बात सुनते हैं और सबके हित में काम करते हैं। हम चाहते हैं कि बच्चे-बच्चियों की पढ़ाई समय पर हो।
शिक्षकों व शिक्षक संगठन थे नाराज पर्व-त्योहारों पर विद्यालयी छुट्टी में की गई इस कटौती को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था। राजनीतिक बयानबाजियां भी जमकर हुई थीं। खासतौर से शिक्षक संगठनों ने इस कटौती के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी। खुद शिक्षा विभाग ने भीरक्षाबंधन (31 अगस्त) पर विद्यालयों की उपस्थिति रिपोर्ट ली तो इसमें 75 फीसदी स्कूलों में आधे बच्चे भी नहीं आए थे। सोमवार को ही यह रिपोर्ट भी विभाग ने जारी की और इसी दिन छुट्टी कटौती वापस लेने का आदेश भी जारी हो गया।
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