भारत सरकार ने चावल के निर्यात पर लगाए गए 20 प्रतिशत सीमा शुल्क को हटा दिया है। इससे पहले भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए गैर बासमती चावल पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने का फैसला किया था। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग) ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी की और नेपाल को चावल निर्यात पर फिर से शून्य प्रतिशत सीमा शुल्क बनाए रखा है। भारत सरकार ने पिछले साल 23 अगस्त को एक नोटिस जारी किया था और नेपाल, भूटान के देशों को चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाया था।
अधिसूचना जारी होने के बाद से, नेपाल में बीरगंज उद्योग और वाणिज्य संघ द्वारा नेपाल और भारत के संबंधित निकायों में नेपाल को चावल निर्यात पर लगाए गए 20 प्रतिशत सीमा शुल्क को शून्य करने के लिए पहल करते आ रहे हैं। भारत द्वारा चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाए जाने के बाद, नेपाली चावल उद्योग बंद हो गए और नेपाली उपभोक्ताओं को महंगे चावल का उपभोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सुवोधकुमार गुप्ता ने कहा। भारत द्वारा चावल के निर्यात पर लगाए गए सीमा शुल्क के कारण नेपाल और भारत के बीच सदियों पुराने रोटी-बेटी के रिश्ते को भी प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा कि आम उपभोक्ता को अब सस्ते दाम पर गुणवत्तापूर्ण चावल मिलेगा। बताते चलें कि भारत 150 से अधिक देशों को चावल का निर्यात करता है लेकिन कुछ राज्यों में बारिश औसत से कम होने की वजह से धान का बुवाई क्षेत्र घटा था। ऐसे में घरेलू सप्लाई को बढ़ाने के लिए सरकार ने टूटे चावल पर प्रतिबंध का बड़ा कदम उठाया था। जिससे देश के नागरिकों को चावल की कमी ना हो।भारत सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दिया था। साथ ही घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए टूटे चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था।
विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
भारत सरकार ने चावल के निर्यात पर लगाए गए 20 प्रतिशत सीमा शुल्क को हटा दिया है। इससे पहले भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए गैर बासमती चावल पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने का फैसला किया था। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग) ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी की और नेपाल को चावल निर्यात पर फिर से शून्य प्रतिशत सीमा शुल्क बनाए रखा है। भारत सरकार ने पिछले साल 23 अगस्त को एक नोटिस जारी किया था और नेपाल, भूटान के देशों को चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाया था।
अधिसूचना जारी होने के बाद से, नेपाल में बीरगंज उद्योग और वाणिज्य संघ द्वारा नेपाल और भारत के संबंधित निकायों में नेपाल को चावल निर्यात पर लगाए गए 20 प्रतिशत सीमा शुल्क को शून्य करने के लिए पहल करते आ रहे हैं। भारत द्वारा चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाए जाने के बाद, नेपाली चावल उद्योग बंद हो गए और नेपाली उपभोक्ताओं को महंगे चावल का उपभोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सुवोधकुमार गुप्ता ने कहा। भारत द्वारा चावल के निर्यात पर लगाए गए सीमा शुल्क के कारण नेपाल और भारत के बीच सदियों पुराने रोटी-बेटी के रिश्ते को भी प्रभावित किया है।
उन्होंने कहा कि आम उपभोक्ता को अब सस्ते दाम पर गुणवत्तापूर्ण चावल मिलेगा। बताते चलें कि भारत 150 से अधिक देशों को चावल का निर्यात करता है लेकिन कुछ राज्यों में बारिश औसत से कम होने की वजह से धान का बुवाई क्षेत्र घटा था। ऐसे में घरेलू सप्लाई को बढ़ाने के लिए सरकार ने टूटे चावल पर प्रतिबंध का बड़ा कदम उठाया था। जिससे देश के नागरिकों को चावल की कमी ना हो।भारत सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दिया था। साथ ही घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए टूटे चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था।
Leave a Reply