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मखाना को जीआई टैग मिलने से मिथिला क्षेत्र में खुशी की लहर, मखाना के साथ अब तक बिहार के पांच कृषि उत्‍पादों को मिल चुका है जीआई टैग।

सारस न्यूज टीम, पटना।

बिहार के मिथिला मखाना को भौगोलिक उपदर्शन रजिस्ट्री (जीआई) टैग मिलने के साथ ही पांचवें उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई है। इससे पहले 2016 में भागलपुर का जर्दालु आम, कतरनी धान, नवादा के मगही पान और मुजफ्फरपुर के शाही लीची को जीआई टैग मिल चुका है। देश में 80 प्रतिशत मखाना का उत्पादन बिहार में होता है। सर्वाधिक मिथिला में। इसलिए मखाना फसल का भौगोलिक सूचक में मिथिला मखाना के नाम से प्रस्तावित किया गया था।

कृषि विभाग और बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में  मखाना के भौगोलिक उपदर्शन हेतु आवश्यक पहल की गई। पांच वर्षों के अथक प्रयास कर एक हजार से अधिक पन्नों का मखाना के ऐतिहासिक दस्तावेजों को संग्रहित कर जीआई टैग हासिल करने के लिए आवेदन किया गया। इसका फलाफल है कि मिथिला मखाना के नाम से जीआइ टैग प्राप्त करने में सफलता मिली है।

उन्होंने कहा कि उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग द्वारा मखाना के विकास के लिए विशेष योजना क्रियान्वित की जा रही है। इस योजना के तहत मुख्य उत्पादक नौ जिलों यथा – मधुबनी, दरभंगा, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, किशनगंज, अररिया, कटिहार एवं पूर्णिया के अतिरिक्त इस वर्ष दो नए जिलों-सीतामढ़ी एवं पश्चिमी चम्पारण को मखाना विकास योजना में शामिल किया गया है। राज्य स्तर पर भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णिया को नोडल केंद्र बनाया गया हैं। राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न सरकारी संस्थानों जैसे राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान, जयपुर, एपीडा एवं उद्यमियों के साथ कार्यशाला, प्रशिक्षण, प्रक्षेत्र दिवस आदि कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को जागरूक किया गया है, जिससे किसानों की आर्थिक उन्नति हुई। 

कृषि मंत्री सुधाकर सिंह कहते हैं कि मिथिला मखाना को पांचवें उत्पाद के रूप में जीआई टैग मिलना बिहार के गर्व की बात है। प्रोटीन एवं स्टार्च के कारण मखाना एक उत्तम खाद्य है। कई रोगों में गुणकारी होने के कारण इसको आज के अधुनिक जीवन का सुपर फूड कहा जाता है। मखाना का जीआई टैगिंग से किसानों को विपणन में अधिक से अधिक लाभ मिलेगा। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में मखाना की विशेष ब्रांडिंग होगी।

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