बिहार सरकार अब निबंधित मंदिरों एवं मठों के साथ-साथ गैर-निबंधित धार्मिक संस्थानों की परिसंपत्तियों का भी प्रबंधन करने जा रही है। ऐसे धार्मिक संस्थान भी अब सीधे राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की निगरानी में रहेंगे, जिनका निबंधन नहीं हो सका है। राज्य सरकार के स्तर पर जिलों से गैर-निबंधित मंदिरों एवं मठों की सूची मांगी गई है। प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक राज्य में लगभग दो हजार मंदिर-मठ ऐसे हैैं जो अभी पंजीकृत नहीं हैैं। पूरी रिपोर्ट आने पर यह संख्या और बढ़ सकती है।
इस बावत राज्य के विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने बताया कि गैर-पंजीकृत मंदिरों-मठों के प्रबंधन एवं निगरानी के लिए प्रखंड से लेकर जिलों तक अलग-अलग व्यवस्था होगी। प्रत्येक जिले में एडीएम स्तर के नोडल अधिकारी होंगे। सभी स्तर के मंदिरों में सामाजिक लोगों की सहमति से अध्यक्ष और सचिव का चयन किया जाएगा। बड़े मंदिरों की प्रबंध समिति में जिले के डीएम अध्यक्ष या सचिव किसी एक पद पर रहेंगे। प्रखंडों और अनुमंडलों में बीडीओ-सीओ स्तर के अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी जाएगी।
विधि मंत्री ने बताया कि सरकार को यह निर्णय इसलिए लेना पड़ा क्योंकि जिलों से बड़े स्तर पर मंदिरों एवं मठों की हजारों एकड़ जमीन पर अनधिकृत रूप से कब्जे की शिकायतें मिल रही थीं। कई मामलों में सेवादार ही जमीन को बेच रहे हैैं या नियम के विरुद्ध अपने चहेते को लीज पर दे रहे हैैं। नियम है कि मठों-मंदिरों की जमीन को तीन वर्षों से ज्यादा की लीज पर नहीं दी जा सकती है, जबकि सूचना आ रही है कि सौ-पचास वर्ष की लीज पर भी दी जा रही है।
सारस न्यूज टीम, सारस न्यूज़।
बिहार सरकार अब निबंधित मंदिरों एवं मठों के साथ-साथ गैर-निबंधित धार्मिक संस्थानों की परिसंपत्तियों का भी प्रबंधन करने जा रही है। ऐसे धार्मिक संस्थान भी अब सीधे राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की निगरानी में रहेंगे, जिनका निबंधन नहीं हो सका है। राज्य सरकार के स्तर पर जिलों से गैर-निबंधित मंदिरों एवं मठों की सूची मांगी गई है। प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक राज्य में लगभग दो हजार मंदिर-मठ ऐसे हैैं जो अभी पंजीकृत नहीं हैैं। पूरी रिपोर्ट आने पर यह संख्या और बढ़ सकती है।
इस बावत राज्य के विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने बताया कि गैर-पंजीकृत मंदिरों-मठों के प्रबंधन एवं निगरानी के लिए प्रखंड से लेकर जिलों तक अलग-अलग व्यवस्था होगी। प्रत्येक जिले में एडीएम स्तर के नोडल अधिकारी होंगे। सभी स्तर के मंदिरों में सामाजिक लोगों की सहमति से अध्यक्ष और सचिव का चयन किया जाएगा। बड़े मंदिरों की प्रबंध समिति में जिले के डीएम अध्यक्ष या सचिव किसी एक पद पर रहेंगे। प्रखंडों और अनुमंडलों में बीडीओ-सीओ स्तर के अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी जाएगी।
विधि मंत्री ने बताया कि सरकार को यह निर्णय इसलिए लेना पड़ा क्योंकि जिलों से बड़े स्तर पर मंदिरों एवं मठों की हजारों एकड़ जमीन पर अनधिकृत रूप से कब्जे की शिकायतें मिल रही थीं। कई मामलों में सेवादार ही जमीन को बेच रहे हैैं या नियम के विरुद्ध अपने चहेते को लीज पर दे रहे हैैं। नियम है कि मठों-मंदिरों की जमीन को तीन वर्षों से ज्यादा की लीज पर नहीं दी जा सकती है, जबकि सूचना आ रही है कि सौ-पचास वर्ष की लीज पर भी दी जा रही है।
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