शनिवार को बनमनखी व्यवहार न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। लोक अदालत में कुल 128 मामलों को आपसी सुलह के आधार पर निपटाया गया। बताया गया कि बैकं ऋण के 112 मामलों को निपटाते हुए 25 लाख 63 हजार 650 रुपया वसूले गए। वहीं किस्त के आधार पर 63 लाख 82 हजार 7 सौ 5 रूपये का भुगतान किये जाने का समझौता हुआ। जबकि विभिन्न बैंक के एक करोड़ 22 लाख 22 हजार 528 रुपये 70 पैसा कुल ऋण राशि है। इसके अलावा लोक अदालत में 16 सुलहनिय फौजदारी मामलों को आपसी समझौता के आधार पर निपटाया गया। इससे पहले कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का संबंधित करते हुए मुंसिफ सतीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत एक महान पर्व है। जिसे उत्साह के साथ मनाने की जरूरत है। कोई भी न्यायिक पदाधिकारी अपने अदालत में न्यायाधीश होते हैं। लेकिल लोक अदालत में वे सेवा की भाव से कार्य करते हैं। विवादों का समझौता कर समाप्त करने से अंतरआत्मा को शांति मिलती है। इस अदालत के फैसला से न तो किसी की जीत होती है और ना ही किसी की हार। जबकि अदालत के फैसला में एक पक्ष की जीत होती है। दूसरे पक्ष की हार होती है। लोक अदालत के फैसला से समाज में भाईचारा बना रहता है।
इस अवसर पर मुंसफ सतीश कुमार, गैर न्यायायिक सदस्य सह अधिवक्ता उपेन्द्र प्रसाद साह, उपस्थापक अरुण कुमार महतो, ऋषिकेश कुमार साह, तनवीर उस्मानी के अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बनमनखी, सरसी, चौपरा बाजार एवं रुपौली के शाखा प्रबंधक, बैंक ऑफ बरोदा के शाखा प्रबंधक, सीबीआई के शाखा प्रबंधक, उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक आदि मौजूद रहे।
सारस न्यूज़ टीम, बनमनखी।
शनिवार को बनमनखी व्यवहार न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। लोक अदालत में कुल 128 मामलों को आपसी सुलह के आधार पर निपटाया गया। बताया गया कि बैकं ऋण के 112 मामलों को निपटाते हुए 25 लाख 63 हजार 650 रुपया वसूले गए। वहीं किस्त के आधार पर 63 लाख 82 हजार 7 सौ 5 रूपये का भुगतान किये जाने का समझौता हुआ। जबकि विभिन्न बैंक के एक करोड़ 22 लाख 22 हजार 528 रुपये 70 पैसा कुल ऋण राशि है। इसके अलावा लोक अदालत में 16 सुलहनिय फौजदारी मामलों को आपसी समझौता के आधार पर निपटाया गया। इससे पहले कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का संबंधित करते हुए मुंसिफ सतीश कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत एक महान पर्व है। जिसे उत्साह के साथ मनाने की जरूरत है। कोई भी न्यायिक पदाधिकारी अपने अदालत में न्यायाधीश होते हैं। लेकिल लोक अदालत में वे सेवा की भाव से कार्य करते हैं। विवादों का समझौता कर समाप्त करने से अंतरआत्मा को शांति मिलती है। इस अदालत के फैसला से न तो किसी की जीत होती है और ना ही किसी की हार। जबकि अदालत के फैसला में एक पक्ष की जीत होती है। दूसरे पक्ष की हार होती है। लोक अदालत के फैसला से समाज में भाईचारा बना रहता है।
इस अवसर पर मुंसफ सतीश कुमार, गैर न्यायायिक सदस्य सह अधिवक्ता उपेन्द्र प्रसाद साह, उपस्थापक अरुण कुमार महतो, ऋषिकेश कुमार साह, तनवीर उस्मानी के अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बनमनखी, सरसी, चौपरा बाजार एवं रुपौली के शाखा प्रबंधक, बैंक ऑफ बरोदा के शाखा प्रबंधक, सीबीआई के शाखा प्रबंधक, उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक आदि मौजूद रहे।
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