विपक्षी पार्टियों ने जो आईएनडीआईए नाम रखा है, यह टैक्टिकल स्मार्ट मूव है जिसमें इलीगल कुछ नहीं, लेकिन आईएनडीआईए एलायंस की लीडरशिप में जनता का विश्वास होगा तभी देंगे वोट :- प्रशांत किशोर।
जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार से जब विपक्षियों पार्टियों ने जो आईएनडीआईए नाम रखा है इस पर सवाल किया गया तो प्रशांत किशोर ने कहा कि विपक्षी दलों ने आईएनडीआईए नाम रखा नहीं है। विपक्ष वालों ने जो आईएनडीआईए नाम रखा है, ये तो एबरेविएशन है जो आईएनडीआईए बन गया। कई लोगों के नजर में ये टैक्टिकल स्मार्ट मूव है।
जब आप चुनाव लड़ते हैं तो आपको अपनी ब्रांडिंग और जनता तक बात पहुंचाने के लिए शब्द प्रयोग किए जाते हैं। इसमें इलीगल कुछ नहीं है। एथिक्स और मॉरल को लेकर आपकी अपनी भावना हो सकती है कि एथिकली ठीक है कि नहीं। नाम उन्होंने जो रखा है वो स्ट्रेटजिकली स्मार्ट मूव है कि अपने आप को आईएनडीआईए बता देना या अपने एलायंस को आईएनडीआईए बता देना या बताने की कोशिश करना। मुजफ्फरपुर के सरैया में पत्रकारों से बातचीत में शुक्रवार को प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि लेकिन सिर्फ नामकरण से किसी की जीत हार नहीं होती है। देश की जनता इससे ज्यादा समझदार है। अगर आईएनडीआईए के नैरेटिव में, आईएनडीआईए के लीडरशिप में एवं आईएनडीआईए एलायंस के कार्यकलाप में जनता का विश्वास होगा वो मत देंगे तभी मत मिलेगा। मैं अपना नाम कुछ भी रख दूं तो हमारा परिचय वो नहीं हो जाएगा। वो तो एक बार को आप कह सकते हैं मान लीजिए अपने पिताजी का नाम बदल लेंगे उससे क्या हो जाएगा। अल्टीमेटली आपका जो केरेक्टर है जो आपका कार्य है जो जनता को कर के दिखाते हैं उससे आपकी पहचान होगी सिर्फ नाम बदलने से कुछ नहीं होगा।
सारस न्यूज, किशनगंज।
जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार से जब विपक्षियों पार्टियों ने जो आईएनडीआईए नाम रखा है इस पर सवाल किया गया तो प्रशांत किशोर ने कहा कि विपक्षी दलों ने आईएनडीआईए नाम रखा नहीं है। विपक्ष वालों ने जो आईएनडीआईए नाम रखा है, ये तो एबरेविएशन है जो आईएनडीआईए बन गया। कई लोगों के नजर में ये टैक्टिकल स्मार्ट मूव है।
जब आप चुनाव लड़ते हैं तो आपको अपनी ब्रांडिंग और जनता तक बात पहुंचाने के लिए शब्द प्रयोग किए जाते हैं। इसमें इलीगल कुछ नहीं है। एथिक्स और मॉरल को लेकर आपकी अपनी भावना हो सकती है कि एथिकली ठीक है कि नहीं। नाम उन्होंने जो रखा है वो स्ट्रेटजिकली स्मार्ट मूव है कि अपने आप को आईएनडीआईए बता देना या अपने एलायंस को आईएनडीआईए बता देना या बताने की कोशिश करना। मुजफ्फरपुर के सरैया में पत्रकारों से बातचीत में शुक्रवार को प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि लेकिन सिर्फ नामकरण से किसी की जीत हार नहीं होती है। देश की जनता इससे ज्यादा समझदार है। अगर आईएनडीआईए के नैरेटिव में, आईएनडीआईए के लीडरशिप में एवं आईएनडीआईए एलायंस के कार्यकलाप में जनता का विश्वास होगा वो मत देंगे तभी मत मिलेगा। मैं अपना नाम कुछ भी रख दूं तो हमारा परिचय वो नहीं हो जाएगा। वो तो एक बार को आप कह सकते हैं मान लीजिए अपने पिताजी का नाम बदल लेंगे उससे क्या हो जाएगा। अल्टीमेटली आपका जो केरेक्टर है जो आपका कार्य है जो जनता को कर के दिखाते हैं उससे आपकी पहचान होगी सिर्फ नाम बदलने से कुछ नहीं होगा।
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