इस बार के श्रावण मास में चार सोमवार का योग है। इन चारों सोमवारों को विशेष शिव उपासना से चारों प्रकार के पुरुषार्थों की प्राप्ति अर्थात धर्म अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति होगी। प्रथम सोमवार 18 जुलाई को मोना पंचमी के साथ मनसा देवी का पूजन एवं स्त्रियों के लिए खासकर नवविवाहिताओं का विशेष पर्व मुधश्रावणी पूजा का भी शुभारंभ होगा। इससे प्रथम सोमवार को दिन में 2 बजे तक अमृत योग के बाद सिद्धि योग होने से अति विशिष्ट योग बन रहा है। इस बार का श्रावण 14 जुलाई दिन गुरुवार से प्रारंभ होकर 12 अगस्त दिन शुक्रवार श्रावणी पूर्णिमा के साथ ही रक्षाबंधन से सिद्धि योग में विश्राम होगा।
सावन मास का दूसरा सोमवार 25 जुलाई को, सर्वार्थ सिद्धि का योग श्रावण मास का दूसरा सोमवार 25 जुलाई को सोम प्रदोष व्रत अर्थात सोमवारी व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे अति दुर्लभ योग शिव वास के साथ है। इस बार श्रावण कृष्ण पक्ष का प्रदोष चतुर्दशी व्रत 27 जुलाई दिन बुधवार को एवं श्रावणी अमावस्या 28 जुलाई गुरुवार को है। साथ ही उस दिन दिवा रात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग शिव बास एवं अग्निवास भी है। यह जानकारी करजाईन थाना क्षेत्र अंतर्गत गोसपुर निवासी आचार्य धर्मेंद्र नाथ मिश्र ने दी।
12 अगस्त को रक्षाबंधन के साथ होगा श्रावण मास का समापन पंडित सूरजभान उपाध्याय ने श्रावण मास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि श्रावणी झूलन 29 जुलाई से आरंभ होगी। जो सिद्धि योग में है। 31 जुलाई को स्त्रियों एवं नव विवाहिता के विशेष पूजन पर्व मुधश्रावणी का विश्राम हो जाएगा। जो सिद्धि योग में होगा। तीसरा सोमवार 01 अगस्त को है। इसके अगले दिन 02 अगस्त को नाग पंचमी होगा। जो अद्भुत संयोग लिए है। इसमें नाग की पूजा करने से आराधक पर वास्तु देवता की विशेष कृपा बनी रहेगी। चौथा सोमवार 8 अगस्त को होगा। जिस दिन सोमवारी व्रत भी सिद्धि योग में है। यह सोमवारी श्रावण मास का अंतिम सोमवारी है। इसके साथ ही 12 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व है। इसी पर्व के साथ श्रावण मास का समापन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी वर्गों के लोग भगवान शिव की आध्यात्मिक आराधना उपासना करेंगे तो निश्चित रूप से चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होगी। आचार्य का कहना है कि प्रत्येक मानव को इस बार के श्रावण में भगवान शंकर जी की उपासना करें जिस से सभी ग्रहों की अनुकूलता होगी।
सारस न्यूज टीम, किशनगंज।
इस बार के श्रावण मास में चार सोमवार का योग है। इन चारों सोमवारों को विशेष शिव उपासना से चारों प्रकार के पुरुषार्थों की प्राप्ति अर्थात धर्म अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति होगी। प्रथम सोमवार 18 जुलाई को मोना पंचमी के साथ मनसा देवी का पूजन एवं स्त्रियों के लिए खासकर नवविवाहिताओं का विशेष पर्व मुधश्रावणी पूजा का भी शुभारंभ होगा। इससे प्रथम सोमवार को दिन में 2 बजे तक अमृत योग के बाद सिद्धि योग होने से अति विशिष्ट योग बन रहा है। इस बार का श्रावण 14 जुलाई दिन गुरुवार से प्रारंभ होकर 12 अगस्त दिन शुक्रवार श्रावणी पूर्णिमा के साथ ही रक्षाबंधन से सिद्धि योग में विश्राम होगा।
सावन मास का दूसरा सोमवार 25 जुलाई को, सर्वार्थ सिद्धि का योग श्रावण मास का दूसरा सोमवार 25 जुलाई को सोम प्रदोष व्रत अर्थात सोमवारी व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे अति दुर्लभ योग शिव वास के साथ है। इस बार श्रावण कृष्ण पक्ष का प्रदोष चतुर्दशी व्रत 27 जुलाई दिन बुधवार को एवं श्रावणी अमावस्या 28 जुलाई गुरुवार को है। साथ ही उस दिन दिवा रात्रि सर्वार्थ सिद्धि योग शिव बास एवं अग्निवास भी है। यह जानकारी करजाईन थाना क्षेत्र अंतर्गत गोसपुर निवासी आचार्य धर्मेंद्र नाथ मिश्र ने दी।
12 अगस्त को रक्षाबंधन के साथ होगा श्रावण मास का समापन पंडित सूरजभान उपाध्याय ने श्रावण मास के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि श्रावणी झूलन 29 जुलाई से आरंभ होगी। जो सिद्धि योग में है। 31 जुलाई को स्त्रियों एवं नव विवाहिता के विशेष पूजन पर्व मुधश्रावणी का विश्राम हो जाएगा। जो सिद्धि योग में होगा। तीसरा सोमवार 01 अगस्त को है। इसके अगले दिन 02 अगस्त को नाग पंचमी होगा। जो अद्भुत संयोग लिए है। इसमें नाग की पूजा करने से आराधक पर वास्तु देवता की विशेष कृपा बनी रहेगी। चौथा सोमवार 8 अगस्त को होगा। जिस दिन सोमवारी व्रत भी सिद्धि योग में है। यह सोमवारी श्रावण मास का अंतिम सोमवारी है। इसके साथ ही 12 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व है। इसी पर्व के साथ श्रावण मास का समापन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी वर्गों के लोग भगवान शिव की आध्यात्मिक आराधना उपासना करेंगे तो निश्चित रूप से चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होगी। आचार्य का कहना है कि प्रत्येक मानव को इस बार के श्रावण में भगवान शंकर जी की उपासना करें जिस से सभी ग्रहों की अनुकूलता होगी।
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