सारस न्यूज टीम, बिहार।
अग्निपथ पर जब देशभर में विरोध के स्वर फूट रहे हैं, तब पश्चिम चंपारण में थरुहट समाज की बेटियां सेना और पुलिस में जाने के लिए पसीना बहा रही हैं। वे सुबह-शाम कठिन अभ्यास कर रही हैं। महात्मा गांधी की कर्मभूमि भितिहरवा समेत गौनाहा प्रखंड के बुनियादी, कस्तूरबा समेत 13 सरकारी विद्यालयों में सेना और सिपाही भर्ती के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें कक्षा छह से लेकर 10वीं तक की 140 छात्राएं भाग ले रही हैं। राज्य सरकार की बुनियादी शिक्षा की पुनर्कल्पना योजना के तहत प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन की ओर से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वर्ष 2017 में इसकी शुरुआत भितिहरवा के बुनियादी विद्यालय से की गई थी। इसके बाद 13 स्कूलों में प्रशिक्षण शिविर चलने लगा। पहले छात्राएं खेल-कूद में रुचि नहीं दिखाती थीं। धीरे-धीरे जागरूकता आई। अब वे कक्षा छह और सात से ही सेना व पुलिस में भर्ती के लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रशिक्षण ले रही हैं। गौनाहा प्रखंड के टहकौल की निशी कुमारी और गांव की खुशी मैट्रिक परीक्षा पास कर चुकी हैं। निशी ने बताया कि कक्षा सात से ही सेना में भर्ती के लिए प्रशिक्षण लेना शुरू किया। इंटर पास होते ही सेना में बहाली के लिए प्रयास करूंगी।
अंतरराष्ट्रीय एथलीट हिमा दास की जीवनी से मिली प्रेरणा
कस्तूरबा छात्रावास की वार्डन इंदू कुमारी ने बताया कि पहले बुनियादी विद्यालय के छात्र प्रतियोगिता या प्रशिक्षण में भाग लेते थे लेकिन छात्राएं नहीं। उन्हें जागरूक करने के लिए अंतरराष्ट्रीय एथलीट हिमा दास का वीडियो दिखाया गया। गरीब परिवार से आने वाली हिमा की सफलता ने यहां की छात्राओं को प्रेरित किया।
बुनियादी विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामनरेश घोष ने बताया कि कस्तूरबा छात्रावास के साथ-साथ स्कूल में पढऩे वाली 100 छात्राएं प्रशिक्षण ले रही हैं। कक्षा छह की छात्रा अर्चना कुमारी महज चार माह के प्रशिक्षण में 14 फीट लंबी कूद में दक्ष हो गई है।
प्रशिक्षण के लिए गौनाहा के 25 गांवों का चयन
फाउंडेशन के फिजिकल ट्रेनर सुमित पांडेय ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व शुरू इस परियोजना को अब सफलता मिलती दिख रही है। प्रशिक्षण के लिए गौनाहा प्रखंड के 25 गांवों का चयन किया गया है। जिस गांव में खेल का मैदान है, उसे प्राथमिकता दी गई है। बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस की महिला स्वाभिमान बटालियन का मुख्यालय जिले के वाल्मीकिनगर में ही खोला गया है। इसमें जिले की तकरीबन 350 लड़कियां अपनी सेवा दे रही हैं। स्वाभिमान बटालियन के समादेष्टा राजेंद्र कुमार का कहना है कि इनमें 27 लड़कियां तो कमांडो के रूप अपनी सेवा दे रही हैं।