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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनाव आयोग की 17 नई पहल, SIR पर उठे सवालों का जवाब।

सारस न्यूज़, वेब डेस्क।

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने रविवार को एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त श्री सुखबीर सिंह संधू और श्री विवेक जोशी ने भाग लिया। यह प्रेस वार्ता आयोग के दो दिवसीय बिहार दौरे के समापन के बाद आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न हितधारकों से मुलाकात की गई थी। इस दौरान राज्य के सभी जिलों के बूथ स्तर अधिकारी (BLO) भी उपस्थित रहे।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के सफल आयोजन के लिए BLOs की सराहना की। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में 90,000 से अधिक BLOs ने भाग लिया और निर्धारित समय सीमा के भीतर कार्य पूरा किया गया।

17 नई पहलें: मतदाताओं की सुविधा को प्राथमिकता
श्री कुमार ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए चुनाव आयोग ने 17 नई पहलें शुरू की हैं, जिनका उद्देश्य मतदाताओं को बेहतर सुविधा प्रदान करना है। इनमें मतदान केंद्रों पर भीड़ कम करना, कतारों को छोटा करना और एक बूथ पर अधिकतम 1,200 मतदाताओं की सीमा तय करना शामिल है। इसके अलावा, मतदान केंद्रों के बाहर मोबाइल फोन जमा करने के लिए विशेष काउंटर भी स्थापित किए गए हैं।

SIR पर उठे सवालों का जवाब
प्रेस वार्ता के दौरान जब SIR को लेकर सवाल उठाए गए, विशेष रूप से कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा कथित “वोट चोरी” के आरोपों पर, तो मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि SIR की प्रक्रिया पूरी तरह से नियमों के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि 1 अगस्त 2025 को प्रारंभिक मतदाता सूची जारी होने के बाद दावे और आपत्तियों के लिए पर्याप्त समय दिया गया था।
श्री कुमार ने यह भी कहा कि यदि किसी राजनीतिक दल को लगता है कि किसी नाम को सूची से बाहर कर दिया गया है, तो वे अब भी आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जिन घरों में नंबर नहीं हैं, वहां के मतदाताओं को पड़ोसी घर का नंबर या एक वैकल्पिक नंबर देकर सूची में शामिल किया गया है, ताकि कोई भी मतदाता वंचित न रहे।

22 वर्षों बाद SIR की वापसी
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि SIR की प्रक्रिया बिहार में 22 वर्षों बाद दोबारा शुरू की गई है और इसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। उन्होंने कहा कि EROs और BLOs की मेहनत और समर्पण से यह संभव हो पाया।
बिहार विधानसभा चुनाव को पारदर्शी, सुगम और निष्पक्ष बनाने के लिए चुनाव आयोग की ये पहलें एक नई दिशा की ओर संकेत करती हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि वह हर मतदाता की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।


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