नई दिल्ली/पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने एक बड़ा राजनीतिक प्रस्ताव रखते हुए कहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देश का उप प्रधानमंत्री बनाए जाने पर गंभीर विचार होना चाहिए। उन्होंने इस विचार को अपनी व्यक्तिगत इच्छा बताते हुए तर्क दिया कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय की अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में उप प्रधानमंत्री का पद उन्हें दिए जाने से बिहार को नई रफ्तार और केंद्र में सशक्त भागीदारी मिल सकती है।
चौबे ने कहा, “स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम के बाद अगर बिहार से कोई नेता उप प्रधानमंत्री बनता है, तो यह राज्य के सम्मान को नई ऊंचाई देगा। नीतीश जी की प्रशासनिक क्षमता और राजनीतिक सूझबूझ को देखते हुए यह समय की मांग है कि उन्हें देश के उच्च पदों में प्रतिनिधित्व मिले।”
चौबे का राजनीतिक सफर: अश्विनी चौबे का राजनीतिक जीवन संघर्षों और उपलब्धियों से भरा रहा है।
1970 के दशक में जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
आपातकाल के दौरान मीसा कानून के तहत जेल भी गए।
2014 और 2019 में बक्सर से लोकसभा सांसद चुने गए।
केंद्र सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे।
1995 से 2014 तक पांच बार विधायक, बिहार सरकार में शहरी विकास मंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और स्वास्थ्य मंत्री जैसे अहम पदों पर कार्य किया।
जेडीयू की प्रतिक्रिया – नीतीश पर पूरा विश्वास भाजपा सहयोगी दल जेडीयू ने भी अश्विनी चौबे के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। मोदी-नीतीश की जोड़ी ने विपक्ष को पूरी तरह हाशिए पर धकेल दिया है।”
उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव में एनडीए को बिहार में 30 सीटों पर जीत और 174 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली है। “नीतीश कुमार बिहार की उम्मीद हैं और केंद्र से लेकर राज्य तक उनके नेतृत्व पर भाजपा, जेडीयू, एलजेपी और रालोसोपा जैसे सहयोगी दलों को पूरा भरोसा है,” नीरज कुमार ने कहा।
राजनीतिक विश्लेषण: नीतीश कुमार को उप प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि बिहार के लिए सशक्त प्रतिनिधित्व की एक मांग है। अगर यह प्रस्ताव गंभीरता से विचाराधीन आता है, तो यह न केवल बिहार की राजनीति में नई दिशा देगा, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी नए समीकरण गढ़ेगा।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
नई दिल्ली/पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने एक बड़ा राजनीतिक प्रस्ताव रखते हुए कहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को देश का उप प्रधानमंत्री बनाए जाने पर गंभीर विचार होना चाहिए। उन्होंने इस विचार को अपनी व्यक्तिगत इच्छा बताते हुए तर्क दिया कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय की अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में उप प्रधानमंत्री का पद उन्हें दिए जाने से बिहार को नई रफ्तार और केंद्र में सशक्त भागीदारी मिल सकती है।
चौबे ने कहा, “स्वर्गीय बाबू जगजीवन राम के बाद अगर बिहार से कोई नेता उप प्रधानमंत्री बनता है, तो यह राज्य के सम्मान को नई ऊंचाई देगा। नीतीश जी की प्रशासनिक क्षमता और राजनीतिक सूझबूझ को देखते हुए यह समय की मांग है कि उन्हें देश के उच्च पदों में प्रतिनिधित्व मिले।”
चौबे का राजनीतिक सफर: अश्विनी चौबे का राजनीतिक जीवन संघर्षों और उपलब्धियों से भरा रहा है।
1970 के दशक में जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
आपातकाल के दौरान मीसा कानून के तहत जेल भी गए।
2014 और 2019 में बक्सर से लोकसभा सांसद चुने गए।
केंद्र सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे।
1995 से 2014 तक पांच बार विधायक, बिहार सरकार में शहरी विकास मंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और स्वास्थ्य मंत्री जैसे अहम पदों पर कार्य किया।
जेडीयू की प्रतिक्रिया – नीतीश पर पूरा विश्वास भाजपा सहयोगी दल जेडीयू ने भी अश्विनी चौबे के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। मोदी-नीतीश की जोड़ी ने विपक्ष को पूरी तरह हाशिए पर धकेल दिया है।”
उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव में एनडीए को बिहार में 30 सीटों पर जीत और 174 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली है। “नीतीश कुमार बिहार की उम्मीद हैं और केंद्र से लेकर राज्य तक उनके नेतृत्व पर भाजपा, जेडीयू, एलजेपी और रालोसोपा जैसे सहयोगी दलों को पूरा भरोसा है,” नीरज कुमार ने कहा।
राजनीतिक विश्लेषण: नीतीश कुमार को उप प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि बिहार के लिए सशक्त प्रतिनिधित्व की एक मांग है। अगर यह प्रस्ताव गंभीरता से विचाराधीन आता है, तो यह न केवल बिहार की राजनीति में नई दिशा देगा, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी नए समीकरण गढ़ेगा।
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