सारस न्यूज, वेब डेस्क।
बिहार राज्य उद्यमी एवं व्यवसायी आयोग के सदस्य आलोक कुमार भगत ने कहा कि जीएसटी (GST) में किए गए हालिया सुधार बेहद प्रभावशाली हैं, जो केवल टैक्स प्रणाली को सरल बनाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि देशवासियों की सेहत और घरेलू अर्थव्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में भी एक सकारात्मक कदम हैं।
उन्होंने कहा कि अगर ध्यान से देखा जाए, तो यह व्यवस्था कुछ वैसी ही है जैसे घर के बुजुर्ग अपने परिवार की भलाई के लिए नियम तय करते हैं।
स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए खाद्य और रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स में कटौती की गई है। पनीर, दूध, रोटी और परांठा जैसे जरूरी खाद्य पदार्थों को टैक्स फ्री किया गया है, जबकि घी और सूखे मेवों (काजू, पिस्ता, बादाम) पर टैक्स में कमी की गई है।
इसके विपरीत, कोल्ड ड्रिंक और फास्ट फूड जैसे अस्वस्थ विकल्पों पर टैक्स बढ़ा दिया गया है, जिससे लोगों को जंक फूड से दूरी बनाने और स्वस्थ खानपान को अपनाने का संकेत मिलता है।
नशे की वस्तुएं जैसे सिगरेट, शराब, तंबाकू, पुड़िया आदि पर टैक्स में वृद्धि की गई है, जो समाज को इनसे दूर रहने का संदेश देती है।
इसके अलावा, साबुन, टूथपेस्ट, तेल, शैम्पू, शेविंग क्रीम जैसी रोजमर्रा की आवश्यक चीजों पर टैक्स घटाया गया है ताकि आम आदमी के घर का बजट संतुलित रहे और घर की बुनियादी ज़रूरतें आसानी से पूरी हो सकें।
आलोक भगत ने जीएसटी प्रणाली की इस सोच को “विकास और स्वास्थ्य का संतुलन” बताया और कहा कि यह सिर्फ एक टैक्स रिफॉर्म नहीं बल्कि एक सामाजिक सुधार है।