राजीव कुमार, सारस न्यूज़।
जोहार! दिनांक 10 दिसम्बर 2025 को आदिवासी समाज के लिए एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ। आसेका संस्था के नेतृत्व में बिहार, असम, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल से आए प्रतिनिधि मंडल को महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस मुलाकात ने आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान और अस्तित्व को बचाने की दिशा में नई उम्मीदें जगाई हैं।

बैठक का मुख्य विषय था संथाल समाज की लुप्त होती सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना। प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति महोदया के समक्ष यह चिंता व्यक्त की कि संथाल समाज की भाषा, पर्व-त्योहार और परंपराएँ धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर हैं। इस पर विस्तृत चर्चा करते हुए यह विचार रखा गया कि किस प्रकार सामूहिक प्रयासों और सरकारी सहयोग से इन अमूल्य परंपराओं को बचाया जा सकता है।
इस प्रतिनिधि मंडल में बिहार से आसेका संस्था के महासचिव राजेश कुमार किस्कू और सचिव राज मरांडी, असम से दानियल हांसदा और गणेश, पश्चिम बंगाल से सुबोध हांसदा, झारखंड से राज्य महासचिव सुभाष चन्द्र मरांडी, तथा उड़ीसा से आसेका संस्था के केन्द्रीय अध्यक्ष मनोरंजन मुर्मू शामिल थे। कुल मिलाकर 18 सदस्य इस महत्वपूर्ण चर्चा का हिस्सा बने।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पहल की सराहना करते हुए आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए सकारात्मक संकेत दिए। उन्होंने कहा कि भाषा और संस्कृति किसी भी समाज की आत्मा होती है और इसे संरक्षित करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
यह मुलाकात न केवल संथाल समाज के लिए बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय के लिए एक प्रेरणादायी कदम साबित हुई है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इस चर्चा के परिणामस्वरूप ठोस योजनाएँ बनेंगी और संथाल समाज की भाषा, पर्व-त्योहार और परंपराएँ आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहेंगी।


