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महिला संवाद कार्यक्रम में खेती को आमदनी का जरिया बनाने पर रखे गए अहम सुझाव।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

महिला संवाद कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने खेती को परिवार की जरूरतों तक सीमित न रखकर, इसे आमदनी का सशक्त माध्यम बनाने के लिए कई सुझाव रखे। कार्यक्रम में महिलाओं ने खेती-किसानी को लाभदायक व्यवसाय के रूप में विकसित करने की अपनी आकांक्षाएँ और विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त किए।

पोठिया प्रखंड के कोल्था पंचायत की जेबा परवीन ने फसलों की सिंचाई के लिए सरकार से नहर और सामूहिक बोरिंग (बोरवेल) की सुविधा मुहैया कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि किशनगंज ज़िले में चाय पत्ता, अनानास और ड्रैगन फ्रूट जैसी नकदी फसलों की खेती की अपार संभावनाएँ हैं, जिसे बढ़ावा देने के लिए सरकारी सहयोग आवश्यक है। छोटे जोत वाले सीमांत किसानों की अधिकता को देखते हुए, उन्होंने ऐसी नीतियों की आवश्यकता जताई जिससे किसान खेती के माध्यम से आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें।

महिला संवाद कार्यक्रम में खाद-बीज की बढ़ती कीमत, समय पर उपलब्धता, कृषि लागत में वृद्धि और स्थानीय स्तर पर रोजगार की कमी जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। महिलाओं ने इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार से ठोस और कारगर नीतियाँ लागू करने की मांग की।

इस अवसर पर महिला संवाद कार्यक्रम में शामिल जागरूकता वाहन विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। बड़ी एलईडी स्क्रीन पर चल रहे वीडियो के माध्यम से महिलाएँ सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर रही थीं। इनमें महिला सशक्तिकरण की दिशा में लागू योजनाओं से लाभान्वित होकर सफल बनी महिलाओं की प्रेरणादायक कहानियाँ भी शामिल थीं।

कार्यक्रम में ठाकुरगंज प्रखंड के छेतल पंचायत की असमीरा खातून ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनकी बेटी को स्नातक की पढ़ाई पूरी करने पर मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत ₹50,000 की राशि प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने स्कूल से कॉलेज तक की पढ़ाई सरकारी संस्थानों से की और अब वह सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही है। असमीरा खातून ने गर्व के साथ बताया कि उनके घर में पहली बार कोई कॉलेज तक पढ़ाई कर रहा है, और उनकी बेटी अब पूरे परिवार की उम्मीद बन चुकी है।


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