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जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह को ले डीएम की अध्यक्षता में कार्यशाला का किया गया आयोजन।

देवाशीष चटर्जी, सारस न्यूज़, किशनगंज।

“स्तनपान शिक्षा और सहायता के लिए कदम बढ़ाएं” की थीम पर स्तनपान सप्ताह मनाया जायेगा

एक से सात अगस्त तक आयोजित होने वाले ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ के दौरान जिला स्तर से लेकर ग्रामीण स्तर तक आयोजित किए जाएंगे विविध कार्यक्रम।
जिले में अगस्त का पहला सप्ताह विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है । इस दौरान प्रसूता व शिशुवती महिलाओं के बीच स्तनपान को बढ़ावा देने, शिशुओं, नन्हें बच्चों को बीमारी और कुपोषण से बचाने और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने का प्रयास किया जाएगा। इसी क्रम में मंगलवार को जिला सभागार में जिला स्वास्थ्य समिति के तत्वाधान में जिलापदाधिकारी सह अध्यक्ष जिला स्वास्थ्य समिति श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में विश्व स्तनपान सप्ताह को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने कहा कि मां का दूध नवजात के लिए अमृत समान होता है।जन्म से लेकर छह माह तक यदि एक नवजात शिशु को मां का दूध पिलाया जाए तो मां को 72 प्रतिशत स्वास्थ संबंधी विकार नहीं होते। 28 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर में कमी आती है, 30% डायबिटीज में कमी आती है। जो मां अपने बच्चों को दूध पिलाती हैं तो उसमे से 17 प्रतिशत महिलाओं में हार्ट अटैक का खतरा कम होती है, साथ में 10% अन्य रोग में कमी आती है। 50% महिलाओं को थायराइड से बचाव हो सकता है मां का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान है।वही जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि नवजात शिशुओं को आवश्यक रूप से देखभाल करने एवं धातृ महिलाओं द्वारा स्तनपान कराए जाने की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है। इसको लेकर जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ सामुदायिक स्तर पर भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के एमओआईसी, बीएचएम एवं बीसीएम को जागरूक कराने को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। कार्यशाला में मुख्य रूप से सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर, एसीएमओ डॉ सुरेश प्रशाद , जिला कार्य्रक्रम पदाधिकारी, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सभी सीडीपिओ, सभी प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य उत्प्रेरक शामिल हुए।

स्तनपान शिक्षा और सहायता के लिए कदम बढ़ाएं “की थीम पर स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है:-
जिले के जिला योजना समन्वयक सह नोडल पदाधिकारी विस्वजित कुमार ने बताया की जिले में 2022 के “स्तनपान शिक्षा और सहायता के लिए कदम बढ़ाएं” की थीम पर स्तनपान सप्ताह मनाया जा रहा है। जन्म के तुरंत बाद से कराया जाने वाला स्तनपान ना सिर्फ उन्हें कई गंभीर रोगों से बचाता बल्कि उनके सम्पूर्ण विकास की सबसे महत्वपूर्ण सीढ़ी है। स्तनपान शिशुओं को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि जन्म के एक घंटे से छह महीने तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए। इसके बाद भी दो साल की उम्र तक स्तनपान जारी रखते हुए बच्चे को पोषक पूरक खाद्य पदार्थ देना चाहिए। स्तनपान को प्रोत्साहित करने और दुनिया भर में शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए तब से हर साल 01 अगस्त से 07 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रैस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है।

स्तनपान में पिता की भूमिका भी अहम्:-
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुरेश प्रशाद ने बताया की सूबे में वर्ष 2015-16 के मुकाबले वर्ष 2020-21 में (स्तनपान की प्रारंभिक शुरुआत) दर में गिरावट आई है। जिसे बढ़ाने के लिए जिले में टैगलाइन ये मौका छूटे ना, अंतर्गत अभियान चलाया जाएगा। वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह का उद्देश्य प्रसूता व शिशुवती महिलाओं के बीच स्तनपान के लिए जागरूकता बढ़ाना है, क्योंकि यह बच्चों के साथ-साथ माताओं के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्तनपान की जिम्मेदारी माता के साथ साथ परिवार व मुख्य रूप से पिता की भी होती है। पिता द्वारा बच्चे की माता की देखभाल करना, माता को बच्चे के साथ अधिक समय व्यतीत करने व उचित तरीके से स्तनपान कराने प्रोत्साहित करना आदि तरीके से भूमिका निभाया जाता है।

नियमित स्तनपान से नवजात में रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है:-
जिले के सदर अस्पातल में कार्यरत महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बताया की जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने वाले नवजात शिशुओं में मृत्यु की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके साथ ही पहले छह महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया से होने वाली मृत्यु की संभावना 11 से 15 गुना तक कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित ढंग से शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है एवं वयस्क होने पर उसमें गैर संचारी (एनसीडी) बीमारियों के होने की भी संभावना कम होती है। इसके साथ ही स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं ओवरी कैंसर होने का खतरा भी नहीं होता है।
• रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
• मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता से शिशु मृत्यु दर में कमी
• डायरिया एवं निमोनिया के साथ कई गंभीर रोगों से बचाव
• सम्पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास

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