टेढ़ागाछ प्रखंड अंतर्गत मटियारी, डाकपोखर, चिल्हनियां, आदि पंचायतों में नुक्कड़ नाटक सभा के माध्यम से किसानों को जागरूक किया गया। कृषि पदाधिकारी उदय शंकर ने इस संबंध में बताया कि खरीफ फसल के अवशेषों को अक्सर किसानों द्वारा खेतों पर ही जला दिया जाता है। जिससे वातावरण में प्रदुषण का स्तर बढ़ जाता है। जिससे लोगों में विभिन्न तरह की बीमारी होने की आशंकाएं बनी रहती है। जिसको देखते हुए प्रखंड में चार जुलाई से लेकर आठ जुलाई तक पंचायतों में नुक्कड़ सभा के माध्यम से किसानों को फसल के अवशेषों का प्रबंधन के बारे में बताया गया। पलारी को खेतों पर जलाना नहीं चाहिए बल्कि उसका उपयोग पशुओं के चारा के रूप में करना चाहिए। पराली जलाने से खेतों की नमी में कमी आ जाती है, और खेतों की उर्वरा शक्ति घटने लगती है।
खेतों में सिंचाई के लिए सूक्ष्म सिंचाई, टपकन सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई, व्यवस्था के तहत फसलों की सिंचाई करनी चाहिए, जिससे हम पानी की बचत के साथ साथ पैसों की भी बचत कर सकते हैं। किसान कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त कर लोग स्वरोजगार, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार उर्वरक का उपयोग कर खेतों से ज्यादा पैदावार कम खर्च में प्राप्त कर सकते हैं। आधुनिक कृषि यंत्रों एवं तकनिकों का इस्तेमाल कर किसान ज्यादा पैदावार कर खुशहाल जीवन जी सकते हैं। इस मौके पर कृषि पदाधिकारी उदय शंकर, कृषि समन्वयक आकाशदीप मोर्य, किसान सलाहकार चंदन कुमार दास, मनमोहन सिंह, अजय कुमार मौजूद थे।
सारस न्यूज, टेढ़ागाछ।
टेढ़ागाछ प्रखंड अंतर्गत मटियारी, डाकपोखर, चिल्हनियां, आदि पंचायतों में नुक्कड़ नाटक सभा के माध्यम से किसानों को जागरूक किया गया। कृषि पदाधिकारी उदय शंकर ने इस संबंध में बताया कि खरीफ फसल के अवशेषों को अक्सर किसानों द्वारा खेतों पर ही जला दिया जाता है। जिससे वातावरण में प्रदुषण का स्तर बढ़ जाता है। जिससे लोगों में विभिन्न तरह की बीमारी होने की आशंकाएं बनी रहती है। जिसको देखते हुए प्रखंड में चार जुलाई से लेकर आठ जुलाई तक पंचायतों में नुक्कड़ सभा के माध्यम से किसानों को फसल के अवशेषों का प्रबंधन के बारे में बताया गया। पलारी को खेतों पर जलाना नहीं चाहिए बल्कि उसका उपयोग पशुओं के चारा के रूप में करना चाहिए। पराली जलाने से खेतों की नमी में कमी आ जाती है, और खेतों की उर्वरा शक्ति घटने लगती है।
खेतों में सिंचाई के लिए सूक्ष्म सिंचाई, टपकन सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई, व्यवस्था के तहत फसलों की सिंचाई करनी चाहिए, जिससे हम पानी की बचत के साथ साथ पैसों की भी बचत कर सकते हैं। किसान कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त कर लोग स्वरोजगार, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार उर्वरक का उपयोग कर खेतों से ज्यादा पैदावार कम खर्च में प्राप्त कर सकते हैं। आधुनिक कृषि यंत्रों एवं तकनिकों का इस्तेमाल कर किसान ज्यादा पैदावार कर खुशहाल जीवन जी सकते हैं। इस मौके पर कृषि पदाधिकारी उदय शंकर, कृषि समन्वयक आकाशदीप मोर्य, किसान सलाहकार चंदन कुमार दास, मनमोहन सिंह, अजय कुमार मौजूद थे।
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